देहरादून: समाज में बच्चों के साथ बढ़ रहे यौन शोषण के मामलों को देखते हुए 2012 में सरकार ने एक विशेष कानून 'पॉस्को एक्ट' बनाया था. लेकिन एसटी और दहेज एक्ट की तरह अब पॉस्को एक्ट का भी दुरुपयोग होने लगा है. आपसी रंजिश व लोभ-लालच के चलते कुछ लोगों इसका गलत फायदा उठाकर निर्दोष लोगों को फंसाने के काम कर रहे हैं. यह हमारा नहीं बल्कि कानून के जानकारों का मानना है.
डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार की मानें तो नाबालिग बच्चियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में सिंगल गवाही पर भी सजा का प्रावधान था, लेकिन इसका दुरुपयोग होने लगा, जिसके बाद कोर्ट ने सिंगल गवाही पर होने वाली सजा पर रोक लगा दी.
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डीजी लॉ एंड ऑर्डर के मुताबिक अभी भी कुछ लोग पॉक्सो जैसे एक्ट का दुरुपयोग कर रहे हैं. यही कारण है कि पॉस्को और दुष्कर्म से जुड़े मामलों में पुलिस सटीक तरीके से जांच पड़ताल करती है. इसके लिए जांच अधिकारियों को विशेष निर्देश भी दिए गए हैं.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, पॉक्सो एक्ट के तहत शिकायत आने पर उन्हें तत्काल मुकदमा दर्ज करना होता है. इसी के साथ विवेचना की समय सीमा भी सीमित है. लेकिन विस्तृत जांच विवेचना और सबूत सामने आने के बाद सामने आता है कि पीड़ित पक्ष आपसी रंजिश या लालच के चलते दूसरे पक्ष को फंसाने के लिए उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हैं.
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इस बारे में पॉस्को एक्ट के जानकार अधिवक्ता रजत दुआ का कहना है कि उनके सामने हाल ही में इस तरह के दो फर्जी केस आये थे. पहले केस में पिता के देहांत के बाद 16 तक पालन पोषण करने वाले चाचा-चाची पर नाबालिक लड़की ने आरोप लगाकर उन्हें जेल भेज दिया था. लेकिन कुछ दिनों बाद आरोप लगाने वाली लड़की की मां के बयान लिए गए तो सच्चाई सामने आई. कोर्ट में तथ्यों को देखते हुए दंपति को जमानत दे दी गई. दूसरे केस में किशोरी ने मौजूदा आर्थिक हालत में परिवर्तन लाने के लिए दादा-दादी के ऊपर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए उन्हें जेल भिजवा दिया था.