देहरादून: देश में पर्यटन गतिविधियों को पटरी पर लाने और पर्यटकों को बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति विभाग रणनीति बनाने में जुट गया है. इसके तहत कोरोना काल में पर्यटन को हुए नुकसान की भरपाई और आगे की रणनीति पर तैयारी की जाएगी. इसी कड़ी में आज केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल की अध्यक्षता में सभी राज्यों के पर्यटन मंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बैठक हुई. बैठक के दौरान सतपाल महाराज ने प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दूरस्थ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी, दूरसंचार और इंटरनेट की व्यवस्था में सुधार को जरूरी बताया.
उत्तराखंड में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अपने विचार बैठक में रखे. उन्होंने कहा उत्तराखंड में पर्यटन की बड़ी संभावनाएं हैं. उत्तराखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी, दूरसंचार और इंटरनेट आदि की व्यवस्था में सुधार के लिए, भारत सरकार से सहयोग की अपेक्षा है.
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महाराज ने कहा कि यदि हम ऐसा कर पाए तो ग्रामीण क्षेत्रों के लोग न सिर्फ सरकारी योजनाओं का ऑनलाइन लाभ उठा सकते हैं, बल्कि यात्रा के लिए 'मेक माई ट्रिप', 'गो इबिगो' के साथ-साथ पर्यटन को भी जोड़ा जा सकेगा, ताकि बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच सके.
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सतपाल महाराज ने कहा कि केंद्र सरकार भी उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों का व्यापक रूप से प्रचार प्रसार करें. साथ ही उत्तराखंड की आईकॉनिक साइट जिसमें नवग्रह सर्किट बनाया गया है, उसका भी व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए. इससे उत्तराखंड को लाभ होगा. पर्यटन मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के अंदर बहुत बड़ा वन बाहुल्य क्षेत्र है, इसलिए यहां ईको टूरिज्म की बड़ी संभावनाएं हैं.
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सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के बुग्यालों में अभी भी लोगों की धार्मिक आस्था है. यही वजह है कि वहां कमर्शियल गतिविधियां बंद की गई हैं. यहां लोग आंछरियों, परियों और देवताओं का पूजन करने आते हैं. उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में ऐसे स्थान भी हैं जहां जाकर लोग भगवती की आराधना और पूजन कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में राज्य का पर्यटन विभाग एक ओर जहां शाक्त और वैष्णों सर्किट बनाने जा रहा है, वहीं हम हिमालयन इम्यूनिटी बूस्टिंग भोजन को भी बढ़ावा दे रहे हैं.