देहरादून: आगामी बजट को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ सोमवार को वर्चुअल बैठक की. उत्तराखंड की तरफ से कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक बैठक में शामिल हुए. बैठक में उत्तराखंड के विकास के लिए आयुष, ग्रीन बोनस, सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम, प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीण, शहरी विकास, वन एवं पर्यावरण, पर्यटन, उद्योग से सम्बन्धित प्रस्ताव पर विस्तार से जानकारी दी गई.
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Union Finance Minister Smt. @nsitharaman holds Pre-Budget meeting for upcoming Budget 2021-22 with Finance Ministers of all States and Union Territories (with legislature) through video conferencing in New Delhi today. (1/2) pic.twitter.com/wD3xXQcxVx
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आयुष विभाग के अन्तर्गत मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि प्रधानमंत्री के विशेष प्रयास से योग एक त्योहार के रूप में दुनिया भर में मनाया जाता है. इसे आगे बढ़ाने के लिए देवभूमि उत्तराखंड की महान जनता की ओर से स्पेशल इकोनॉमिक जोन की तर्ज पर एक नयी केन्द्र सहायतित योजना स्पेशल आयुष जोन, जो विशेषकर वैलनेस सेंटर, योग विश्वविद्यालय आध्यात्मिक केन्द्र और जड़ी बूटियों व हर्बल विनिर्माण इकाईयों के रोपण आदि को सम्मिलित करें. इस विशेष आयुष जोन को वही लाभ प्राप्त हो जो विशेष आर्थिक क्षेत्र को मिलते हैं.
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ग्रीन बोनस के रूप में बजट की मांग
मंत्री मदन कौशिक ने बैठक में बताया कि राज्य का 71 प्रतिशत क्षेत्र वन, बुग्यालों और ग्लेशियरों के अन्तर्गत है. समग्र राष्ट्र हित में उसे संरक्षित रखने का दायित्व राज्य पर है. इस प्रकार विकास कार्यों के लिए केवल 29 प्रतिशत भूमि ही राज्य में उपलब्ध हैं. पर्यावरण के संरक्षण पारिस्थितिकी सेवाओं, ईको सिस्टम सर्विस के योगदान से हम राष्ट्र और विश्व के हित में कार्यरत हैं.
ग्रीन एकाउंटिंग से सम्बन्धित एक अध्ययन के अनुसार राज्य के वनों से सम्बन्धित 21 इको सिस्टम सर्विस के फ्लो बेनिफिट्स का सालाना 95 हज़ार करोड़ रुपये का आकलन किया गया है, जहां अन्य राज्यों ने अपनी विकास यात्रा में जंगलों को नष्ट करके औद्योगिक गतिविधियां बढ़ायी है. तो वहीं उत्तराखंड पर्यावरण सन्तुलन में कम भूमि पर ही विकास गतिविधियां सीमित रखकर भारी कीमत अदा कर रहे है. मंत्री कोशिक ने देवभूमि उत्तराखंड के लिए ग्रीन बोनस विषयक प्राविधानों की आगामी बजट में स्थान मिलने की आशा जतायी.
प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों के विकास को लेकर चर्चा
उत्तराखंड से दो देश नेपाल और चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं लगी हुई हैं. इन क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास अन्य क्षेत्रों के मुकाबले बहुत कम हुआ है. जिसके कारण यहां से लोगों का पलायन हो रहा है जो सुरक्षा की दृष्टि से अनुकूल नहीं है. ऐसे में हिमालयी राज्य के सीमान्त क्षेत्रों का विकास करने के लिए कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाले बजट को बढ़ाने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री आवास निर्माण के लिए सहायता राशि बढ़ाने का अनुरोध
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अन्तर्गत कहा गया कि दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र होने के कारण निर्माण सामग्री को आवास निर्माण स्थल तक पहुंचाने में ढुलान आदि व्यय अत्याधिक होने के कारण हिमालयी पर्वतीय राज्यों में प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत आवास निर्माण हेतु प्रति लाभार्थी 1.30 लाख रुपये को बढ़ाकर प्रति लाभार्थी 2 लाख रुपये की सहायता राशि का प्रावधान करने का अनुरोध किया.
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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के दिशा-निर्देशों में बदलाव का अनुरोध
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के दिशा निर्देशों के अनुसार पर्वतीय राज्यों में 250 से अधिक आबादी की पात्र बसावटों को ही संयोजित किये जाने का लक्ष्य है, जबकि पर्वतीय राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों एवं जनसंख्या के विरल घनत्व को दृष्टिगत रखते हुए योजना के तहत 250 के स्थान पर 150 किए जाने का निवेदन किया.
साथ ही वन एवं पर्यावरण के लिए कहा कि उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संषर्घ प्रकरणों में मानव मृत्य, घायल पशु क्षति, फसल क्षति और मकान क्षति के प्रकरणों के निस्तारण के लिए पीड़ितों को दिये जाने वाले मुआवजे की धनराशि केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय योजनाओं के रूप में प्रदान करने के प्राविधान है.
प्रदेश में रोपवे के लिए नई केंद्र योजना शुरू करने का निवेदन
पर्यटन विभाग को लेकर कहा कि गर्मी के दौरान पहाड़ी राज्यों में पर्यटकों की भारी आवाजाही होती है. इससे लंबे ट्रैफिक जाम और भारी प्रदूषण का खतरा पैदा होता है. इस स्थिति में रोपवे एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. उन्होंनें भारत सरकार से रोपवे सेक्टर में गौरी कुंड से केदारनाथ, नैनीताल रोपवे, गोविन्दघाट से हेमकुण्ड के लिए एक अलग केन्द्र सहायतित योजना शुरू करने के लिए निवेदन किया.
इनक्यूबेटर के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने की मांग
उद्योग विभाग को लेकर बताया कि उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां भौगोलिक दृष्टि से दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्र विद्यमान है. वहां रोजगार के अवसरों की कमी के दृष्टिगत राज्य को पलायन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में रोजगार और लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रयास किये जाये. छोटे उद्यम के लिए वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था करने में भी समस्या होती है. स्मॉल बिजनेस के लिए वेंचर फंड की स्थपना हेतु धनराशि की आवश्यकता है. छोटे उद्यमी को मेंटरिंग और हेण्ड होडिंग स्पोर्ट के लिए रूरल बिजनेस इक्यूबेटर की स्थापना की जानी है. इस प्रकार के इंक्यूबेटर, जिला मुख्यालयों पर स्थापित करने से स्माल बिजनेस को महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हो सकेगा. इंक्यूबेटर के लिए भारत सरकार द्वारा वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराये जाने से प्रदेश की आर्थिकी को विशेष बल मिलेगा.
श्रम सामग्री अनुपात में बदलाव का अनुरोध
ग्राम्य विकास में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के सम्बन्ध में बताया गया कि पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण उत्तराखंड में सामग्री ढुलान अत्यन्त मंहगा होता है. जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचने पर सामग्री की वास्तविक लागत में काफी बढ़ोत्तरी हो जाती है. इस कारण मनरेगा कार्यक्रम के तहत टिकाऊ प्रवृत्ति के कार्य कराने में कठिनाई होती है. ऐसे में पर्वतीय राज्यों हेतु श्रम सामग्री अनुपात 60:40 के बजाय 50:50 किया जाए. जिससे गुणवत्तापूर्ण स्थायी परिसम्पत्तियों के निर्माण में सहायक सिद्ध होगा.
वृद्धावस्था पेंशन को बढ़ाए जाने की मांग
समाज कल्याण विभाग को लेकर बताया कि भारत सरकार द्वारा वर्तमान में वृद्धावस्था पेंशन प्रति लाभार्थी 200 रुपये की दर से दिया जा रहा है. जिसको बढ़ाकर अधिकतम 1000 रुपये करने की जरूरत है. साथ ही कहा कि उत्तराखण्ड को 38वें राष्ट्रीय खेल आयोजन का अवसर मिलने और वर्ष 2021 में आयोजित किये जाने के सम्बध में कहा कि राष्ट्रीय खेलों में 38वें संस्करण के 39 खेल विधाओं में खेल प्रतियोगितायें आयोजित की जायेंगी. राष्ट्रीय खेलों को राज्य में सफलतापूर्वक आयोजित किये जाने एवं अवस्थापना विकास के लिए समुचित वित्तीय सहायता की मांग की.