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कोरोना काल में वन गुर्जरों पर सरकारी सितम, विभागीय मंत्री ने दिए जांच के आदेश

इस घटना से जुड़ा हुआ वीडियो सामने आने के बाद वन मंत्री हरक सिंह ने मामले की जांच का जिम्मा वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन को दिया है.

देहरादून
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Published : Jun 25, 2020, 9:39 PM IST

Updated : Jun 25, 2020, 10:47 PM IST

देहरादून: कोरोना काल में जब गरीबों को दो जून की रोटी भी मयस्सर नहीं हो रही है. तब सरकारी सितम का एक मामला प्रकाश में आया है. घटना क्रम वन विभाग की कार्रवाई से जुड़ा है. देहरादून के वन कर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने बमुश्किल रोजी-रोटी चला रहे गुर्जरों के साथ मारपीट कर उन्हें घायल कर दिया. मामला प्रकाश में आने के बाद वन मंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं.

हाल ही में अतिक्रमण हटाने गई टीम के साथ बदसलूकी करने का आरोप जिन वन गुर्जरों पर लगाया जा रहा था. अब उन्हीं वन गुर्जरों के आरोप पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने जांच बैठा दी है. दरअसल, पिछले दिनों वन विभाग की एक टीम ने वन क्षेत्र में गुर्जरों के अतिक्रमण करने को लेकर उन्हें हटाने की कोशिश की थी. जिसमें वन गुर्जरों पर टीम के साथ बदसलूकी का आरोप लगाया गया था. जिसके बाद कुछ वन गुर्जरों को जेल भी भेजा गया.

कोरोना काल में वन गुर्जरों पर सरकारी सितम

पढ़ें- कर्मचारियों के वेतन कटौती का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, सरकार से मांगा जवाब

मामले में जब एक वीडियो सामने आया तो उसके बाद वन कर्मी ही सवालों के घेरे में आ गए. इस वीडियो में वन कर्मी गुर्जरों के साथ बहस करते हुए नजर आए और इसके बाद एक गुर्जर महिला को वीडियो में घायल दिखाया गया, जिसे एंबुलेंस के जरिए अस्पताल ले जाया गया.

इस वीडियो के सामने आने के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत ने इस पर जांच बैठाते हुए वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन को इसकी जांच दी है. हरक सिंह रावत ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान यदि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से बचा जा सकता था तो वन विभाग के कर्मियों को ऐसा करने से बचना चाहिए था.

पढ़ें- आरुषि को मिली मदद, केदारनाथ विधायक ने भिजवाया देहरादून, इलाज शुरू

उन्होंने कहा कि भले ही वन गुर्जरों को जेल भेज दिया गया हो, लेकिन यदि जांच में वन कर्मियों की गलती सामने आई तो सरकार न केवल मुकदमा वापस लेगी, बल्कि मामला वन कर्मियों पर भी चलाया जा सकता है.

देहरादून: कोरोना काल में जब गरीबों को दो जून की रोटी भी मयस्सर नहीं हो रही है. तब सरकारी सितम का एक मामला प्रकाश में आया है. घटना क्रम वन विभाग की कार्रवाई से जुड़ा है. देहरादून के वन कर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने बमुश्किल रोजी-रोटी चला रहे गुर्जरों के साथ मारपीट कर उन्हें घायल कर दिया. मामला प्रकाश में आने के बाद वन मंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं.

हाल ही में अतिक्रमण हटाने गई टीम के साथ बदसलूकी करने का आरोप जिन वन गुर्जरों पर लगाया जा रहा था. अब उन्हीं वन गुर्जरों के आरोप पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने जांच बैठा दी है. दरअसल, पिछले दिनों वन विभाग की एक टीम ने वन क्षेत्र में गुर्जरों के अतिक्रमण करने को लेकर उन्हें हटाने की कोशिश की थी. जिसमें वन गुर्जरों पर टीम के साथ बदसलूकी का आरोप लगाया गया था. जिसके बाद कुछ वन गुर्जरों को जेल भी भेजा गया.

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मामले में जब एक वीडियो सामने आया तो उसके बाद वन कर्मी ही सवालों के घेरे में आ गए. इस वीडियो में वन कर्मी गुर्जरों के साथ बहस करते हुए नजर आए और इसके बाद एक गुर्जर महिला को वीडियो में घायल दिखाया गया, जिसे एंबुलेंस के जरिए अस्पताल ले जाया गया.

इस वीडियो के सामने आने के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत ने इस पर जांच बैठाते हुए वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन को इसकी जांच दी है. हरक सिंह रावत ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान यदि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से बचा जा सकता था तो वन विभाग के कर्मियों को ऐसा करने से बचना चाहिए था.

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उन्होंने कहा कि भले ही वन गुर्जरों को जेल भेज दिया गया हो, लेकिन यदि जांच में वन कर्मियों की गलती सामने आई तो सरकार न केवल मुकदमा वापस लेगी, बल्कि मामला वन कर्मियों पर भी चलाया जा सकता है.

Last Updated : Jun 25, 2020, 10:47 PM IST
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