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कोरोना काल में भी उच्च शिक्षा ने स्थापित किए विकास के नए मापदंड: धन सिंह

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Published : Jun 5, 2021, 7:36 PM IST

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नीति आयोग द्वारा जारी उच्च शिक्षा GER (Gross Enrolment Ratio) 39.1 प्रतिशत के साथ तीसरा स्थान आने पर प्रसन्नता व्यक्त की है.

धन सिंह
धन सिंह

देहरादून: उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नीति आयोग द्वारा जारी SDG (Sustainable Development Goals) रिपोर्ट में गोल 4.3 में उच्च शिक्षा में GER (Gross Enrolment Ratio) में पूरे देश में 39.1 प्रतिशत के साथ तीसरा स्थान आने पर प्रसन्नता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा के समग्र विकास की दिशा में सतत प्रयत्नशील है और यह उसी का परिणाम है.

धन सिंह रावत ने कहा कि उच्च शिक्षा ने बीते वर्षों की तुलना में हर क्षेत्र में विकास के नए कीर्तिमान रचे हैं. कोविड 19 के इस कठिन दौर में भी उच्च शिक्षा के विकास की गति रुकी नहीं बल्कि चुनौतियों को स्वीकार कर और आगे बढ़ती रही. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड को एक मॉडल राज्य के रूप में स्थापित करना है, जिसके लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े समस्त शिक्षकों, विद्यार्थियों सहित सरकारी और निजी संस्थानों के सहयोग और भूमिका की आवश्यकता होगी.

उच्च शिक्षा मंत्री के मुताबिक राज्य में 106 शासकीय महाविद्यालय हैं, जिसमें 4 वर्षों के अन्दर रिकॉर्ड 13 डीपीसी कर शत प्रतिशत प्राचार्यों की नियुक्ति की जा चुकी है. लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न विषयों में चयनित 877 प्राध्यापकों को दुर्गम क्षेत्रों में नियुक्ति दी जा चुकी है. उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद् द्वारा चयनित 28 सहायक पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति हुई है. 14 प्रयोगशाला सहायकों की नियुक्ति हुई है. शेष पदों पर नियुक्ति हेतु लोक सेवा आयोग और राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अधियाचन प्रेषित करने की प्रक्रिया गतिमान है.

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने महाविद्यालयों में प्रोफेसर पदनाम को स्वीकृति प्रदान कर 136 प्राध्यापकों को उक्त पदों पर प्रोन्नति प्रदान की. इसके साथ ही महाविद्यालयों में प्राचार्यों की सीधी भर्ती के सम्बन्ध में भी शीघ्र ही निर्णय लिया जाना है. राज्य के 106 शासकीय महाविद्यालयों में 102 महाविद्यालयों को अपना भवन मिला है जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

गोपेश्वर और ऋषिकेश स्थित महाविद्यालयों को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का परिसर बना कर पहाड़ में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा को सुलभ कराने की दिशा में सकारात्मक कार्य हुआ है. रूसा अंतर्गत 62 महाविद्यालयों एवं 4 विश्वविद्यालयों में आधारभूत सुविधा का निर्माण और विकास का कार्य गतिमान है. देवीधुरा, किच्छा और मिठीबेरी में मॉडल कॉलेज की स्थापना, पैठाणी में मॉडल व्यवसायिक महाविद्यालय की स्थापना राज्य के विकास में मील का पत्थर स्थापित होगी.

पढ़ें: दिल्ली में सीएम तीरथ ने उत्तराखंड सदन में किया पौधरोपण, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से की मुलाकात

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय की स्थापना, दून विश्वविद्यालय में नित्यानंद हिमालयी शोध संस्थान की स्थापना पहाड़ और हिमालय के सतत विकास के मॉडल तय करने में सहायक होगी. इसके साथ ही समस्त विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में 4G कनेक्टिविटी, कैंपस में वाई-फाई की स्थापना, ई-ग्रंथालय, सभी महाविद्यालयों में कंप्यूटर लैब, नैक प्रत्यायन के लिए 13 महाविद्यालयों को 01 करोड़ की आर्थिक सहायता, निदेशालय स्तर पर MIS पोर्टल का विकास भी उच्च शिक्षा के समग्र विकास में उल्लेखनीय कदम है.

इसके साथ ही देहरादून में विश्वस्तरीय पुस्तक मेला का आयोजन (2017), हरिद्वार में ज्ञान कुम्भ का आयोजन (2018), देहरादून में यंग लीडर्स कॉन्क्लेव का आयोजन (2020), विवेकानंद जयंती के अवसर पर राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन (2021) तथा नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती, शौर्य दिवस पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को क्रमशः एक लाख, पचहत्तर हजार एवं पचास हजार की धनराशि का पुरस्कार प्रदान कर विद्यार्थियों को एक नया मंच देकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माहौल का विकास किया गया. इसके साथ ही राज्य के महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने पर मेरिट स्कॉलरशिप का प्रावधान किया गया है.

NDA और CDS में चयन तथा मेधावी छात्रों को सिविल सेवा की तैयारी के लिए कोचिंग की योजना उनके शिक्षा के अवरोधों को दूर करने का एक सार्थक प्रयास है. महाविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य में पहली बार भक्त दर्शन उच्च शिक्षा गौरव पुरस्कार की शुरुआत की गयी, जिससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के माध्यम से गुणात्मक परिवर्तन हो सके. इसके साथ ही शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी विभिन्न योजनायें बनायी गयी हैं. राज्य में विश्वस्तरीय विज्ञान और तकनीकी शिक्षा के लिए आइसर सहित भारत सरकार के अन्य संस्थानों को खोले जाने हेतु सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है.

देहरादून: उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नीति आयोग द्वारा जारी SDG (Sustainable Development Goals) रिपोर्ट में गोल 4.3 में उच्च शिक्षा में GER (Gross Enrolment Ratio) में पूरे देश में 39.1 प्रतिशत के साथ तीसरा स्थान आने पर प्रसन्नता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा के समग्र विकास की दिशा में सतत प्रयत्नशील है और यह उसी का परिणाम है.

धन सिंह रावत ने कहा कि उच्च शिक्षा ने बीते वर्षों की तुलना में हर क्षेत्र में विकास के नए कीर्तिमान रचे हैं. कोविड 19 के इस कठिन दौर में भी उच्च शिक्षा के विकास की गति रुकी नहीं बल्कि चुनौतियों को स्वीकार कर और आगे बढ़ती रही. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड को एक मॉडल राज्य के रूप में स्थापित करना है, जिसके लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े समस्त शिक्षकों, विद्यार्थियों सहित सरकारी और निजी संस्थानों के सहयोग और भूमिका की आवश्यकता होगी.

उच्च शिक्षा मंत्री के मुताबिक राज्य में 106 शासकीय महाविद्यालय हैं, जिसमें 4 वर्षों के अन्दर रिकॉर्ड 13 डीपीसी कर शत प्रतिशत प्राचार्यों की नियुक्ति की जा चुकी है. लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न विषयों में चयनित 877 प्राध्यापकों को दुर्गम क्षेत्रों में नियुक्ति दी जा चुकी है. उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद् द्वारा चयनित 28 सहायक पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति हुई है. 14 प्रयोगशाला सहायकों की नियुक्ति हुई है. शेष पदों पर नियुक्ति हेतु लोक सेवा आयोग और राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अधियाचन प्रेषित करने की प्रक्रिया गतिमान है.

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने महाविद्यालयों में प्रोफेसर पदनाम को स्वीकृति प्रदान कर 136 प्राध्यापकों को उक्त पदों पर प्रोन्नति प्रदान की. इसके साथ ही महाविद्यालयों में प्राचार्यों की सीधी भर्ती के सम्बन्ध में भी शीघ्र ही निर्णय लिया जाना है. राज्य के 106 शासकीय महाविद्यालयों में 102 महाविद्यालयों को अपना भवन मिला है जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

गोपेश्वर और ऋषिकेश स्थित महाविद्यालयों को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का परिसर बना कर पहाड़ में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा को सुलभ कराने की दिशा में सकारात्मक कार्य हुआ है. रूसा अंतर्गत 62 महाविद्यालयों एवं 4 विश्वविद्यालयों में आधारभूत सुविधा का निर्माण और विकास का कार्य गतिमान है. देवीधुरा, किच्छा और मिठीबेरी में मॉडल कॉलेज की स्थापना, पैठाणी में मॉडल व्यवसायिक महाविद्यालय की स्थापना राज्य के विकास में मील का पत्थर स्थापित होगी.

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सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय की स्थापना, दून विश्वविद्यालय में नित्यानंद हिमालयी शोध संस्थान की स्थापना पहाड़ और हिमालय के सतत विकास के मॉडल तय करने में सहायक होगी. इसके साथ ही समस्त विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में 4G कनेक्टिविटी, कैंपस में वाई-फाई की स्थापना, ई-ग्रंथालय, सभी महाविद्यालयों में कंप्यूटर लैब, नैक प्रत्यायन के लिए 13 महाविद्यालयों को 01 करोड़ की आर्थिक सहायता, निदेशालय स्तर पर MIS पोर्टल का विकास भी उच्च शिक्षा के समग्र विकास में उल्लेखनीय कदम है.

इसके साथ ही देहरादून में विश्वस्तरीय पुस्तक मेला का आयोजन (2017), हरिद्वार में ज्ञान कुम्भ का आयोजन (2018), देहरादून में यंग लीडर्स कॉन्क्लेव का आयोजन (2020), विवेकानंद जयंती के अवसर पर राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन (2021) तथा नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती, शौर्य दिवस पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को क्रमशः एक लाख, पचहत्तर हजार एवं पचास हजार की धनराशि का पुरस्कार प्रदान कर विद्यार्थियों को एक नया मंच देकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माहौल का विकास किया गया. इसके साथ ही राज्य के महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने पर मेरिट स्कॉलरशिप का प्रावधान किया गया है.

NDA और CDS में चयन तथा मेधावी छात्रों को सिविल सेवा की तैयारी के लिए कोचिंग की योजना उनके शिक्षा के अवरोधों को दूर करने का एक सार्थक प्रयास है. महाविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य में पहली बार भक्त दर्शन उच्च शिक्षा गौरव पुरस्कार की शुरुआत की गयी, जिससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के माध्यम से गुणात्मक परिवर्तन हो सके. इसके साथ ही शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी विभिन्न योजनायें बनायी गयी हैं. राज्य में विश्वस्तरीय विज्ञान और तकनीकी शिक्षा के लिए आइसर सहित भारत सरकार के अन्य संस्थानों को खोले जाने हेतु सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है.

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