ऋषिकेशः स्वरोजगार को बढ़ावा देने और बेरोजगारी खत्म करने के सरकार के दावों को विभागीय अधिकारी पलीता लगा रहे हैं. इसकी बानगी टिहरी जिले के दूरस्थ गांव सरोट में देखने को मिलती है. टिहरी जिले के डोबन सरोट गांव के पास 1990 के दशक में यूपी सरकार के उद्योग विभाग द्वारा गांव के पास मिनी इंडस्ट्रियल इस्टेट विकसित करने के नाम पर ग्रामीणों से ओने-पौने दामों पर करीब 150 नाली भूमि अधिग्रहित की थी और लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने का सपना दिखाया गया, लेकिन आज तक लोगों का सपना पूरा नहीं हो पाया.
उत्तराखंड बनने के बाद 2014-15 में सिडकुल द्वारा उक्त भूमि को विकसित किया गया और सड़क, पार्क, गेट का निर्माण कर औद्योगिक इकाइयों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी. साथ ही उद्योग विभाग द्वारा कमेटी बनाकर 19 लोगों के आवेदन स्वीकृत किये गए, लेकिन सरकार बदलने के बाद कार्य ठंडे बस्ते में चला गया और कार्य ठप पड़ा है.
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जिसके बाद से ग्रामीण उद्योग विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी उनकी सुनने को तैयार नहीं हैं और मामला शासन में लंबित होने की बात कह रहे हैं. जब डीएम से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने उद्योग विभाग के साथ बात करने का आश्वासन दिया.
विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते मिनी इंडस्ट्रियल इस्टेट इन दिनों जंगल में तब्दील हो चुका है और ग्रामीणों का स्वरोजगार का सपना सपना बनकर ही रह गया. जिससे आज वे खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.