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चारधाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का प्रस्ताव, बदलते वेदर पैटर्न ने उड़ाई सबकी नींद - मौसम विभाग

उत्तराखंड में मौसम के अचानक बदले मिजाज को जानने के लिए मौसम विभाग ने चारधाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. चारधाम में छोटे डॉप्लर रडार लगने से वहां मौसम की हर गतिविधि की जानकारी मौसम विभाग को मिल जाएगी.

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Published : Apr 4, 2023, 8:07 PM IST

Updated : Apr 4, 2023, 8:13 PM IST

चारधाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का प्रस्ताव

देहरादून: उत्तराखंड में मार्च और अप्रैल के शुरुआती दौरा में मौसम ने अपना जो नया रूप दिखाया है, उसने सरकार की थोड़ी चिंता जरूर बढ़ा दी है. उत्तराखंड में लगातार बदलते वेदर पैटर्न को देखते हुए मौसम विभाग ने चारोंधाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का फैसला लिया है, ताकि उन्हें चारधाम में मौसम की सटीक जानकारी मिल सके और समय रहते किसी आपदा से बचा सके. मौसम विभाग ने अपने ये प्रस्ताव शासन को भेजा है.

अप्रैल के महीने में मौसम की जो मनमर्जियां देखने को मिल रही है, उससे सबको चौका रखा है. जिस अप्रैल में सूरज की तपिश से लोगों से पसीने छूटने शुरू हो जाते हैं, उस महीने में मैदानी इलाकों में जहां बारिश और ओलावृष्टि हो रही है तो वहीं उच्च हिमालयी क्षेत्र में बर्फ गिर रही है. इस बदलते वेदर पैटर्न ने हर किसी की नींद उड़ा रखी है. मौसम के इस मिजाज को देखते हुए मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन अभी से चारधाम यात्रा को लेकर अलर्ट हो गया है और वो चारधाम में किसी भी तरह की लापरवाही बरतने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि मौसम विभाग चारधाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का विचार कर रहा है.
पढ़ें- Kedarnath Dham: कुबेर ग्लेशियर के चलते पैदल मार्ग बंद, मौसम ने यात्रा की तैयारियों पर लगाया ब्रेक

दरअसल, उत्तराखंड में वैसे से मॉनसून सीजन में बारिश हर साल कहर बरपाती है, लेकिन बीते कुछ सालों की घटनाओं पर ध्यान दे तो अब उत्तराखंड में बारिश कभी कहर बनकर टूट पड़ती है. 7 फरवरी 2021 में रैणी आपदा इसका एक उदाहरण है. इसके अलावा अक्टूबर और नवंबर में उधमसिंह नगर जैसे मैदानी इलाकों में आई भीषण बाढ़ का मामला हो. यही कारण है कि चारधाम यात्रा में राज्य को इस तरह की किसी भी आपदा का सामना न करना पड़े, उसके लिए पहले से ही मौसम विभाग तैयारी करने में लगा हुआ है.

देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि उन्होंने चारधाम यात्रा के दौरान उन्होंने गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. प्रदेश में पहले ही तीन बड़े डॉप्लर रडार स्थापित किए जा चुके हैं. जिसमें से पहला मुक्तेश्वर, दूसरा यमकेश्वर और तीसरा सुरकंडा देवी मंदिर में लगाया गया है, लेकिन यह रडार बड़े क्षेत्र में असर करते हैं. लेकिन चारधाम जो संकरी घाटियों के बीच में बसे हैं और यहां पर मौसम संबंधित जानकारियों के लिए छोटे डॉप्लर रडार स्थापित करने बेहद जरूरी हैं.
पढ़ें- Chardham Yatra: GMVN को अभीतक मिली 7 करोड़ की बुकिंग, 9.50 लाख से ज्यादा भक्तों ने कराया रजिस्ट्रेशन

विक्रम सिंह का कहना है कि चारधामों में डॉप्लर रडार लगाने को लेकर के शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. उत्तराखंड में देहरादून और उधमसिंह नगर तराई के दो ऐसे इलाके हैं, जहां पर घनी आबादी क्षेत्र है. लिहाजा यहां पर केवल कुछ ही उपकरणों पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है. इसलिए देहरादून और उधमसिंह नगर में दो बड़े डॉप्लर रडार को लेकर के प्लान तैयार किया जा रहा है और यहां पर भी दो अन्य रडार स्थापित किए जाने हैं. इस तरह से उत्तराखंड में 3 डॉप्लर रडार लग चुके हैं और 6 और लगाने का प्रस्ताव है.

चारधाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का प्रस्ताव

देहरादून: उत्तराखंड में मार्च और अप्रैल के शुरुआती दौरा में मौसम ने अपना जो नया रूप दिखाया है, उसने सरकार की थोड़ी चिंता जरूर बढ़ा दी है. उत्तराखंड में लगातार बदलते वेदर पैटर्न को देखते हुए मौसम विभाग ने चारोंधाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का फैसला लिया है, ताकि उन्हें चारधाम में मौसम की सटीक जानकारी मिल सके और समय रहते किसी आपदा से बचा सके. मौसम विभाग ने अपने ये प्रस्ताव शासन को भेजा है.

अप्रैल के महीने में मौसम की जो मनमर्जियां देखने को मिल रही है, उससे सबको चौका रखा है. जिस अप्रैल में सूरज की तपिश से लोगों से पसीने छूटने शुरू हो जाते हैं, उस महीने में मैदानी इलाकों में जहां बारिश और ओलावृष्टि हो रही है तो वहीं उच्च हिमालयी क्षेत्र में बर्फ गिर रही है. इस बदलते वेदर पैटर्न ने हर किसी की नींद उड़ा रखी है. मौसम के इस मिजाज को देखते हुए मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन अभी से चारधाम यात्रा को लेकर अलर्ट हो गया है और वो चारधाम में किसी भी तरह की लापरवाही बरतने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि मौसम विभाग चारधाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का विचार कर रहा है.
पढ़ें- Kedarnath Dham: कुबेर ग्लेशियर के चलते पैदल मार्ग बंद, मौसम ने यात्रा की तैयारियों पर लगाया ब्रेक

दरअसल, उत्तराखंड में वैसे से मॉनसून सीजन में बारिश हर साल कहर बरपाती है, लेकिन बीते कुछ सालों की घटनाओं पर ध्यान दे तो अब उत्तराखंड में बारिश कभी कहर बनकर टूट पड़ती है. 7 फरवरी 2021 में रैणी आपदा इसका एक उदाहरण है. इसके अलावा अक्टूबर और नवंबर में उधमसिंह नगर जैसे मैदानी इलाकों में आई भीषण बाढ़ का मामला हो. यही कारण है कि चारधाम यात्रा में राज्य को इस तरह की किसी भी आपदा का सामना न करना पड़े, उसके लिए पहले से ही मौसम विभाग तैयारी करने में लगा हुआ है.

देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि उन्होंने चारधाम यात्रा के दौरान उन्होंने गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में छोटे डॉप्लर रडार लगाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. प्रदेश में पहले ही तीन बड़े डॉप्लर रडार स्थापित किए जा चुके हैं. जिसमें से पहला मुक्तेश्वर, दूसरा यमकेश्वर और तीसरा सुरकंडा देवी मंदिर में लगाया गया है, लेकिन यह रडार बड़े क्षेत्र में असर करते हैं. लेकिन चारधाम जो संकरी घाटियों के बीच में बसे हैं और यहां पर मौसम संबंधित जानकारियों के लिए छोटे डॉप्लर रडार स्थापित करने बेहद जरूरी हैं.
पढ़ें- Chardham Yatra: GMVN को अभीतक मिली 7 करोड़ की बुकिंग, 9.50 लाख से ज्यादा भक्तों ने कराया रजिस्ट्रेशन

विक्रम सिंह का कहना है कि चारधामों में डॉप्लर रडार लगाने को लेकर के शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. उत्तराखंड में देहरादून और उधमसिंह नगर तराई के दो ऐसे इलाके हैं, जहां पर घनी आबादी क्षेत्र है. लिहाजा यहां पर केवल कुछ ही उपकरणों पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है. इसलिए देहरादून और उधमसिंह नगर में दो बड़े डॉप्लर रडार को लेकर के प्लान तैयार किया जा रहा है और यहां पर भी दो अन्य रडार स्थापित किए जाने हैं. इस तरह से उत्तराखंड में 3 डॉप्लर रडार लग चुके हैं और 6 और लगाने का प्रस्ताव है.

Last Updated : Apr 4, 2023, 8:13 PM IST
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