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विकास के नाम पर प्रकृति से खिलवाड़, MDDA काटेगा 22 पेड़ - एमडीडीए

देहरादून की इंदिरा मार्केट में एमडीडीए री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत करने जा रहा है. ऐसे में एमडीडीए इंदिरा मार्केट में खड़े 22 पेड़ों को काटने जा रहा है, जिसका स्थानीय निवासियों ने विरोध करना शुरू दिया है.

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विकास के नाम पर प्रकृति से खिलवाड़
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Published : May 27, 2020, 1:20 PM IST

देहरादून: भीषण गर्मी के इस मौसम में जहां गरीब सड़क पर छांव ढूंढ रहा है ऐसे में देहरादून में वन विभाग द्वारा शहर के बीचों-बीच इंदिरा मार्केट में चल रहे री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों के कटान की अनुमति दे दी गई है. इसका स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है. ऐसे में ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा और स्थानीय लोगों से बात की.

एक तरफ कोरोना का कहर, दूसरी तरफ आसमान से बरसती तपिश. ऐसे में गरीब आदमी की सोशल डिस्टेंसिंग और पेड़ की छांव वाली तस्वीर इन दिनों आसानी से देखी जा सकती है. लेकिन देहरादून में इस तस्वीर को भी उजाड़ने का प्रयास वन विभाग और एमडीडीए द्वारा किया जा रहा है. दरअसल, देहरादून शहर के बीचों बीच मौजूद इंदिरा मार्केट में मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण यानी एमडीडीए द्वारा री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को अमली जामा पहनाने के लिए भरी गर्मी के इस मौसम में 22 पेड़ों की कटान के लिए मार्किंग की गई है. पेड़ों के कटान को इस भीषण गर्मी के मौसम में अंजाम दिया जा रहा है.

इंदिरा मार्केट में पेड़ों को काटने का विरोध.

इस पर स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि ये पेड़ गरीबों, टैक्सी संचालकों, रेहड़ी चलाने वालों के लिए और बेसहारा लोगों के लिए सिर पर छांव का काम करते हैं. वन विभाग द्वारा भीषण तपिश के इन दिनों में ही इन पेड़ों को काटने की अनुमति देने से शहर के बीच में मिलने वाली इस हरियाली को नेस्तनाबूद करने का काम किया जा रहा है.

पढ़ें- ऋषिकेश एम्स में रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम से हो रही कोविड-19 के मरीजों की देखभाल

समाजसेवी संस्था सिटीजन फॉर ग्रीन देहरादून के सदस्य हिमांशु अरोड़ा का कहना है कि कोविड-19 के इस दौर में अमीर आदमी बड़ी-बड़ी इमारतों में अपने ऑफिस में आराम से बैठा है. वहीं, गरीब आदमी जो कि सड़क पर चलने के लिए मजबूर है उसके सिर से वन विभाग और एमडीडीए गर्मी के सीजन में छांव हटाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एमडीडीए द्वारा इस काम को गर्मी के मौसम के बाद भी अंजाम दिया जा सकता था. उन्होंने कहा कि देहरादून शहर वैसे भी कंक्रीट का जंगल बनता जा रहा है और ऐसे में शहर के बीच से पेड़ों को हटाना तर्क संगत नहीं है.

इस मामले में ईटीवी भारत ने डीएफओ से बात की तो उन्होंने कहा कि इसमें वन विभाग की कोई भूमिका नहीं है. वन विभाग केवल अनुमति प्रदान करता है. यह काम सरकार का है. सरकार ने ही इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी है. ऐसे में वन विभाग सरकार के इस प्रोजेक्ट को अंजाम दे रहा है. इसके साथ ही डीएफओ ने पेड़ों के कटान का विरोध कर रहे लोगों से अपील की है कि अगर वह इस कार्य से खुश नहीं है तो संबंधित विभाग जो कि इस प्रोजेक्ट को अंजाम दे रहा है उससे संपर्क करें.

देहरादून: भीषण गर्मी के इस मौसम में जहां गरीब सड़क पर छांव ढूंढ रहा है ऐसे में देहरादून में वन विभाग द्वारा शहर के बीचों-बीच इंदिरा मार्केट में चल रहे री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों के कटान की अनुमति दे दी गई है. इसका स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है. ऐसे में ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा और स्थानीय लोगों से बात की.

एक तरफ कोरोना का कहर, दूसरी तरफ आसमान से बरसती तपिश. ऐसे में गरीब आदमी की सोशल डिस्टेंसिंग और पेड़ की छांव वाली तस्वीर इन दिनों आसानी से देखी जा सकती है. लेकिन देहरादून में इस तस्वीर को भी उजाड़ने का प्रयास वन विभाग और एमडीडीए द्वारा किया जा रहा है. दरअसल, देहरादून शहर के बीचों बीच मौजूद इंदिरा मार्केट में मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण यानी एमडीडीए द्वारा री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को अमली जामा पहनाने के लिए भरी गर्मी के इस मौसम में 22 पेड़ों की कटान के लिए मार्किंग की गई है. पेड़ों के कटान को इस भीषण गर्मी के मौसम में अंजाम दिया जा रहा है.

इंदिरा मार्केट में पेड़ों को काटने का विरोध.

इस पर स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि ये पेड़ गरीबों, टैक्सी संचालकों, रेहड़ी चलाने वालों के लिए और बेसहारा लोगों के लिए सिर पर छांव का काम करते हैं. वन विभाग द्वारा भीषण तपिश के इन दिनों में ही इन पेड़ों को काटने की अनुमति देने से शहर के बीच में मिलने वाली इस हरियाली को नेस्तनाबूद करने का काम किया जा रहा है.

पढ़ें- ऋषिकेश एम्स में रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम से हो रही कोविड-19 के मरीजों की देखभाल

समाजसेवी संस्था सिटीजन फॉर ग्रीन देहरादून के सदस्य हिमांशु अरोड़ा का कहना है कि कोविड-19 के इस दौर में अमीर आदमी बड़ी-बड़ी इमारतों में अपने ऑफिस में आराम से बैठा है. वहीं, गरीब आदमी जो कि सड़क पर चलने के लिए मजबूर है उसके सिर से वन विभाग और एमडीडीए गर्मी के सीजन में छांव हटाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एमडीडीए द्वारा इस काम को गर्मी के मौसम के बाद भी अंजाम दिया जा सकता था. उन्होंने कहा कि देहरादून शहर वैसे भी कंक्रीट का जंगल बनता जा रहा है और ऐसे में शहर के बीच से पेड़ों को हटाना तर्क संगत नहीं है.

इस मामले में ईटीवी भारत ने डीएफओ से बात की तो उन्होंने कहा कि इसमें वन विभाग की कोई भूमिका नहीं है. वन विभाग केवल अनुमति प्रदान करता है. यह काम सरकार का है. सरकार ने ही इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी है. ऐसे में वन विभाग सरकार के इस प्रोजेक्ट को अंजाम दे रहा है. इसके साथ ही डीएफओ ने पेड़ों के कटान का विरोध कर रहे लोगों से अपील की है कि अगर वह इस कार्य से खुश नहीं है तो संबंधित विभाग जो कि इस प्रोजेक्ट को अंजाम दे रहा है उससे संपर्क करें.

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