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MDDA ने जारी किया कमर्शियल भवनों को नोटिस, कंपाउंडिंग ही आखिरी विकल्प

एमडीडीए ने हाई कोर्ट के आदेश पर व्यावसायिक भवनों को नोटिस जारी कर दिया है. ऐसे में व्यापारियों के पास सिर्फ एक ही विकल्प बचता है कि सभी व्यापारी अपने भवनों की कंपाउंडिंग करा लें. इसके लिए भवन स्वामी वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम का सहारा ले सकते हैं.

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Published : Oct 9, 2019, 3:22 PM IST

Updated : Oct 9, 2019, 3:46 PM IST

देहरादून

देहरादून: मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण ने राजधानी देहरादून के कई व्यावयायिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं. यह कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश पर की गई है. इन प्रतिष्ठानों का संचालन आवासीय नक्शे पर किया जा रहा है. अब ऐसे भवन स्वामियों के पास एकमात्र विकल्प कंपाउंडिंग ही बचा है. जिससे अब व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर सीलिंग को लेकर एक नई और समस्या पैदा हो गई है.

बता दें, आरटीआई से खुलासा हुआ कि देहरादून में अतिक्रमण हटाओ अभियान बीते जून महीने के अंत से चल रहा है. उसकी कार्रवाई को लेकर अधिकारियों के पास लिखित में कोई ठोस जवाब ही नहीं है.

बता दें, जिन क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया, वहां बड़ी संख्या में भवनों के आगे का भाग अतिक्रमण के दायरे में आने पर ध्वस्त कर दिया गया. इससे जितना फ्रंट एक भवन के लिए चाहिए, उसमें काफी कमी आ गई है. लिहाजा, यह सभी भवन एमडीडीए के बिल्डिंग बायलॉज के लिहाज से अवैध हो गए हैं तो वहीं, कई प्रतिष्ठान ऐसे भी हैं जिनका हिस्सा अतिक्रमण अभियान की भेंट चढ़ने के बाद पीछे बहुत कम जगह बची है. कई भवन कंपाउंडिंग की सीमा में भी नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में एमडीडीए कई भवनों के खिलाफ कभी भी ध्वस्तीकरण करने की कार्रवाई शुरू कर सकता है. एमडीडीए की ओर से सबसे अधिक नोटिस ऐसे प्रतिष्ठानों को भेजे गए हैं, जिनका भवन आवासीय नक्शे में पास हैं, जबकि इन पर कमर्शियल गतिविधियां चल रहीं हैं.

हाई कोर्ट के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे भवनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही जिन भवनों को एमडीडीए ने नोटिस जारी किए हैं, उनके लिए बचाव के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम के जरिए कंपाउंडिंग ही करना पड़ेगा, ताकि सभी भवन स्वामी आसानी से अपने निर्माण को वर्तमान उपयोग के हिसाब से वैध करा सकें. एमडीडीए ने 300 से अधिक जाखन, मालसी और कुठाल गेट क्षेत्र के ऐसे प्रतिष्ठानों को नोटिस भेजे हैं जिनका संचालन स्वीकृत नक्शे से अलग किया जा रहा है.

वहीं, सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार अतिक्रमण अभियान को लेकर आज तक जो भी आरटीआई लगाई गई है. उसमें से एक का भी संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है. यह स्थिति तब से है, जब हाई कोर्ट के 18 जून 2018 के आदेश के क्रम में यह अभियान शुरू किया गया था. अभियान का निर्देशन अपर मुख्य सचिव कर रहे हैं तो वहीं जिला स्तर पर 6 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है. टास्क फोर्स द्वारा हाई कोर्ट को समय-समय पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान के तहत की गई कार्रवाई से अवगत कराया जा रहा है. यानि कि पूरे अभियान के दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन आरटीआई में जनता के सामने अपनी कार्रवाई को साझा करने से कतरा रहे हैं. अतिक्रमण से संबंधित आरटीआई की अर्जी राजपुर रोड निवासी अधिवक्ता एके जुयाल की ओर से दाखिल की गई थी.

पढ़ें- नैनीतालः धू-धू कर जला 55 फीट ऊंचा रावण का पुतला, हर्षोल्लास से मना दशहरा पर्व

वहीं, एमडीडीए उपाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव के अनुसार एमडीडीए ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं. ऐसे में व्यापारियों के पास सिर्फ एक ही विकल्प बचता है कि सभी व्यापारी अपने भवनों को कंपाउंडिंग करा लें. इसके लिए भवन स्वामी वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम का सहारा ले सकते हैं.

उधर, सूचना आयोग ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वह अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में टास्क फोर्स के सदस्यों की अगले 15 दिन में बैठक कराएं, जिससे अपर जिलाधिकारी के माध्यम से सभी सदस्यों से सूचना संकलित की जा सके. इसके बाद कलेक्ट्रेट के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराई जाएगी.

देहरादून: मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण ने राजधानी देहरादून के कई व्यावयायिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं. यह कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश पर की गई है. इन प्रतिष्ठानों का संचालन आवासीय नक्शे पर किया जा रहा है. अब ऐसे भवन स्वामियों के पास एकमात्र विकल्प कंपाउंडिंग ही बचा है. जिससे अब व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर सीलिंग को लेकर एक नई और समस्या पैदा हो गई है.

बता दें, आरटीआई से खुलासा हुआ कि देहरादून में अतिक्रमण हटाओ अभियान बीते जून महीने के अंत से चल रहा है. उसकी कार्रवाई को लेकर अधिकारियों के पास लिखित में कोई ठोस जवाब ही नहीं है.

बता दें, जिन क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया, वहां बड़ी संख्या में भवनों के आगे का भाग अतिक्रमण के दायरे में आने पर ध्वस्त कर दिया गया. इससे जितना फ्रंट एक भवन के लिए चाहिए, उसमें काफी कमी आ गई है. लिहाजा, यह सभी भवन एमडीडीए के बिल्डिंग बायलॉज के लिहाज से अवैध हो गए हैं तो वहीं, कई प्रतिष्ठान ऐसे भी हैं जिनका हिस्सा अतिक्रमण अभियान की भेंट चढ़ने के बाद पीछे बहुत कम जगह बची है. कई भवन कंपाउंडिंग की सीमा में भी नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में एमडीडीए कई भवनों के खिलाफ कभी भी ध्वस्तीकरण करने की कार्रवाई शुरू कर सकता है. एमडीडीए की ओर से सबसे अधिक नोटिस ऐसे प्रतिष्ठानों को भेजे गए हैं, जिनका भवन आवासीय नक्शे में पास हैं, जबकि इन पर कमर्शियल गतिविधियां चल रहीं हैं.

हाई कोर्ट के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे भवनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही जिन भवनों को एमडीडीए ने नोटिस जारी किए हैं, उनके लिए बचाव के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम के जरिए कंपाउंडिंग ही करना पड़ेगा, ताकि सभी भवन स्वामी आसानी से अपने निर्माण को वर्तमान उपयोग के हिसाब से वैध करा सकें. एमडीडीए ने 300 से अधिक जाखन, मालसी और कुठाल गेट क्षेत्र के ऐसे प्रतिष्ठानों को नोटिस भेजे हैं जिनका संचालन स्वीकृत नक्शे से अलग किया जा रहा है.

वहीं, सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार अतिक्रमण अभियान को लेकर आज तक जो भी आरटीआई लगाई गई है. उसमें से एक का भी संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है. यह स्थिति तब से है, जब हाई कोर्ट के 18 जून 2018 के आदेश के क्रम में यह अभियान शुरू किया गया था. अभियान का निर्देशन अपर मुख्य सचिव कर रहे हैं तो वहीं जिला स्तर पर 6 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है. टास्क फोर्स द्वारा हाई कोर्ट को समय-समय पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान के तहत की गई कार्रवाई से अवगत कराया जा रहा है. यानि कि पूरे अभियान के दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन आरटीआई में जनता के सामने अपनी कार्रवाई को साझा करने से कतरा रहे हैं. अतिक्रमण से संबंधित आरटीआई की अर्जी राजपुर रोड निवासी अधिवक्ता एके जुयाल की ओर से दाखिल की गई थी.

पढ़ें- नैनीतालः धू-धू कर जला 55 फीट ऊंचा रावण का पुतला, हर्षोल्लास से मना दशहरा पर्व

वहीं, एमडीडीए उपाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव के अनुसार एमडीडीए ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं. ऐसे में व्यापारियों के पास सिर्फ एक ही विकल्प बचता है कि सभी व्यापारी अपने भवनों को कंपाउंडिंग करा लें. इसके लिए भवन स्वामी वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम का सहारा ले सकते हैं.

उधर, सूचना आयोग ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वह अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में टास्क फोर्स के सदस्यों की अगले 15 दिन में बैठक कराएं, जिससे अपर जिलाधिकारी के माध्यम से सभी सदस्यों से सूचना संकलित की जा सके. इसके बाद कलेक्ट्रेट के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराई जाएगी.

Intro:मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने देहरादून के कई प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं।और यह कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश पर की गई है क्योंकि इनका संचालन आवासीय नक्शे पर किया जा रहा है अब ऐसे भवन स्वामियों के पास एकमात्र विकल्प कंपाउंडिंग ही बचा है।जिससे अब व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर सीलिंग को लेकर एक नई और समस्या पैदा हो गई है।वही आरटीआई से खुलासा हुआ कि देहरादून में अतिक्रमण हटाओ अभियान पिछले जून महीने के अंत से चल रहा है उसकी कार्रवाई को लेकर अधिकारियों के पास लिखित में कोई ठोस जवाब ही नहीं है।साथ ही आरटीआई में इस बात को स्वीकार अभियान के लिए बनाई गई टास्क फोर्स के अधिकारी भी कर रहे हैं।


Body:बता दे कि जिन जिन क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया वहां बड़ी संख्या में भवनों के आगे का भाग अतिक्रमण के दायरे में आने पर ध्वस्त कर दिया गया इससे जितना फ्रंट साइड बैग एक भवन के लिए चाहिए उसमें काफी कमी आ गई है,लिहाजा यह सभी भवन एमडीडीए के बिल्डिंग बायलॉज के लिहाज से अवैध हो गए हैं कई प्रतिष्ठान ऐसे भी है जिनका हिस्सा अतिक्रमण अभियान की भेंट चढ़ने के बाद पीछे बहुत कम जगह बच गई है ऐसे में कई भवन कंपाउंडिंग की सीमा में भी नहीं आ पा रहे हैं लिहाजा ऐसे भवनों के खिलाफ कभी भी एमडीडीए ध्वस्तीकरण करने की कार्रवाई शुरू कर सकता है। और एमडीडीए की ओर से सबसे अधिक नोटिस ऐसे प्रतिष्ठानों को भेजे गए हैं जिनका भवन आवासीय नक्शे में पास है जबकि इन पर कॉमर्शियल गतिविधियां चल रही है हाईकोर्ट के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे भवनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। साथ ही जिन भवनों को एमडीडीए ने नोटिस जारी किए हैं उनके लिए बचाव के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम के जरिए कंपाउंडिंग ही करना पड़ेगा ताकि सभी भवन स्वामी आसानी से अपने निर्माण को वर्तमान उपयोग के हिसाब से वैध करा सकें। एमडीडीए ने बड़ी संख्या 300 से अधिक जाखंन,मालसी और कुठाल गेट क्षेत्र के ऐसे प्रतिष्ठानों को नोटिस भेजे हैं जिनका संचालन स्वीकृत नक्शे से अलग किया जा रहा है।
वहीं सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार अतिक्रमण अभियान को लेकर आज तक जो भी आरटीआई लगाई गई है उसमें से एक का भी संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है यह स्थिति तब से है जब हाईकोर्ट के 18 जून 2018 के आदेश के क्रम में यह अभियान शुरू किया गया था,अभियान का निर्देशन एवं अपर मुख्य सचिव कर रहे हैं और जिला स्तर पर छह सदस्य टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है।टास्क फोर्स ने हाईकोर्ट को भी समय-समय पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान के तहत की गई कार्रवाई से अवगत कराया जा रहा है यानी कि पूरे अभियान के दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं लेकिन आरटीआई में जनता के सामने अपनी कार्रवाई को साझा करने से कतरा रहे हैं।अतिक्रमण से संबंधित आरटीआई की अर्जी राजपुर रोड निवासी अधिवक्ता एके जुयाल की ओर से दाखिल की गई थी।


Conclusion:एमडीडीए के उपाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव के अनुसार एमडीडीए ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए है और ऐसे में व्यापारियों के पास सिर्फ एक ही विकल्प रहता है कि सभी व्यापारी अपने भवनों को कंपाउंड करा लें इसके लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम का सहारा ले सकते हैं।
वही सूचना आयोग ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं,उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वह अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में टास्क फोर्स के सदस्यों की अगले 15 दिन में बैठक कराएं ताकि अपर जिलाधिकारी के माध्यम से सभी सदस्यों से सूचना संकलित की जा सके इसके बाद कलेक्ट्रेट के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराई जाएगी।
Last Updated : Oct 9, 2019, 3:46 PM IST
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