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'मरोज पर्व' संजोये हुए है सांस्कृतिक विरासत, जौनसार में जश्न का माहौल

जनजातीय क्षेत्र के जौनसार बावर में मरोज का पर्व एक महीने तक मनाया जाता है. इस दौरान प्रवासी लोग यानी गांव से बाहर गए लोग अपने गांव आते हैं. जहां पर सभी लोग रात को एक साथ मिलकर जश्न मनाते हैं.

vikasnagar news
मरोज पर्व
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Published : Jan 23, 2020, 5:08 PM IST

Updated : Jan 23, 2020, 8:09 PM IST

विकासनगरः उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, यहां कोने-कोने में देवी-देवताओं का वास है. यहां पर विराजमान आस्था के केंद्र, संस्कृति, लोक पर्व और परंपराएं इस पावन धरा को अलग पहचान दिलाते हैं. इसी कड़ी में जनजातीय क्षेत्र के जौनसार बावर का मरोज पर्व भी शामिल है, जो माघ महीने में धूमधाम से मनाया जाता है.

मरोज पर्व का जश्न.

यह त्योहार मेहमान नवाजी, आपसी भाईचारा, मेल मिलाप और मोहब्बत का प्रतीक है. जिसके तहत प्रवासी लोग यानी गांव से बाहर गए लोग अपने गांव आते हैं. जहां पर सभी लोग रात को एक साथ मिलकर मरोज पर्व का जश्न मनाते हैं.

ये भी पढे़ंः सारी गांव के लोगों ने भगवान तुंगनाथ को नम आंखों से किया विदा, करोखी गांव में हुआ भव्य स्वागत

इस दौरान रात का महफिल देखने लायक होता है. जहां पर ढोलक की थाप और खंजरी की झंकार के साथ पांरपरिक गीत हारुल, नाटी लगाई जाती है. जिसमें क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या नौजवान, क्या महिलाएं सभी लोग मिल जुलकर रात भर नाचते हैं.

इस खास पर्व पर विवाहिता बेटियों को न केवल याद किया जाता है. बल्कि, उन्हें विशेष सम्मान भी दिया जाता है. इस त्योहार के बहाने ही बेटियां अपनी सखी और सहेलियों से आपसी मेल मिलाप कर पाती हैं. जबकि, विशेष भोज में मीठी रोटी के साथ घी परोसने की पंरपरा है. इसलिए तो यह पर्व आपसी मेल मिलाप और रिश्ते नाते निभाने को लेकर खास बनाता है.

विकासनगरः उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, यहां कोने-कोने में देवी-देवताओं का वास है. यहां पर विराजमान आस्था के केंद्र, संस्कृति, लोक पर्व और परंपराएं इस पावन धरा को अलग पहचान दिलाते हैं. इसी कड़ी में जनजातीय क्षेत्र के जौनसार बावर का मरोज पर्व भी शामिल है, जो माघ महीने में धूमधाम से मनाया जाता है.

मरोज पर्व का जश्न.

यह त्योहार मेहमान नवाजी, आपसी भाईचारा, मेल मिलाप और मोहब्बत का प्रतीक है. जिसके तहत प्रवासी लोग यानी गांव से बाहर गए लोग अपने गांव आते हैं. जहां पर सभी लोग रात को एक साथ मिलकर मरोज पर्व का जश्न मनाते हैं.

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इस दौरान रात का महफिल देखने लायक होता है. जहां पर ढोलक की थाप और खंजरी की झंकार के साथ पांरपरिक गीत हारुल, नाटी लगाई जाती है. जिसमें क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या नौजवान, क्या महिलाएं सभी लोग मिल जुलकर रात भर नाचते हैं.

इस खास पर्व पर विवाहिता बेटियों को न केवल याद किया जाता है. बल्कि, उन्हें विशेष सम्मान भी दिया जाता है. इस त्योहार के बहाने ही बेटियां अपनी सखी और सहेलियों से आपसी मेल मिलाप कर पाती हैं. जबकि, विशेष भोज में मीठी रोटी के साथ घी परोसने की पंरपरा है. इसलिए तो यह पर्व आपसी मेल मिलाप और रिश्ते नाते निभाने को लेकर खास बनाता है.

Intro:विकासनगर_ जौनसार बावर में इन दिनों माघ मरोज पर्व की धूम है मेहमानों की आवाभगत से गांव घर गुलजार है वहीं रात्रिभोज के बाद गीत नृत्य कर जनजातीय संस्कृति का मना रहै जश्न.


Body:जौनसार बावर अपनी अलग संस्कृति और रीति रिवाजो के लिए खास पहचान रखता है .एक माह तक मनाए जाने वाले माघ मररोज पर्व पर मेहमानों की आवाभगत की जाती है गांव घरों में इन दिनों पर्व पर ढोलक की थाप व खंजरी की झंकार के साथ नृत्य गीत हारूल, नाटी से गुलजार है वहीं इस खास पर्व पर विवाहिता बेटियों को न केवल याद किया जाता है बल्कि उनके सम्मान में उन्हें विशेष सम्मान भी दिया जाता है.यह पर्व आपसी मेल मिलाप और रिश्ते नाते निभाने को खास बनाता है.


Conclusion:ग्रामीण भागीरथी जोशी बताते है की माघ मरोज पर्व हमारी संस्कृति है इस पर्व मे मेहमानों की आवाभगत की जाती है व विवाहिता बेटियों को विशेष सम्मान दिया जाता है और विशेष भोज मे मीठी रोटी के साथ घी परोसने की पंरपरा है .इस पर्व पर बेटियां अपनी सखा सहेलियों से आपसी भेट मिल भी कर पाती
यह पर्व वर्ष मे एक बार आता है और र इस पर्व को हर्ष और उल्लास के साथ पूरे एक माह यक मनाया जाता है.

बाइट_भागीरथी जोशी _ग्रामीण
Last Updated : Jan 23, 2020, 8:09 PM IST
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