ऋषिकेश: नगर निगम ऋषिकेश में गजब के कारनामे देखने को मिल रहे हैं. बीते दिनों हुई बोर्ड बैठक में डीलिंग क्लर्क के द्वारा संपत्तियों से संबंधित लगभग 150 से 200 फाइलें गायब होने की बात उठाई गई. जिस पर निगम के आला अधिकारी कार्रवाई करने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते ही दिखाई दे रहे हैं. इस मामले में मुख्य नगर आयुक्त ने ऋषिकेश कोतवाली में पत्र भेजकर FIR दर्ज कर जांच के लिए कहा था, जिस पर कोतवाली प्रभारी ने पहले विभागीय जांच करने के लिए निगम को पत्र लिखा है.
ऋषिकेश नगर निगम आए दिन चर्चाओं में रहता है. चर्चाएं सिर्फ और सिर्फ अनियमितता और घोटालों से संबंधित रहती हैं. जी हां...ऋषिकेश नगर निगम में बंद अलमारी के अंदर रखें संपत्तियों से संबंधित अहम दस्तावेज गायब हो जाते हैं और किसी को भनक तक नहीं लगी है. जब इस मामले का खुलासा हुआ तो कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक के हाथ-पांव फूल गये.
मुख्य नगर आयुक्त चतर सिंह चौहान ने बताया कि संपत्ति संबंधित फाइलें गायब होने की बात बोर्ड बैठक में डीलिंग क्लर्क ने जानकारी दी थी. इस संबंध में उन्होंने ऋषिकेश कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा लिखने के लिए भेजा गया था, लेकिन कोतवाली प्रभारी ने वापस नगर निगम को पत्र लिखकर विभागीय जांच करने के लिए कहा है, जिसमें कहा गया है कि विभागीय जांच के बाद शिकायत लिखी जाएगी.
मुख्य नगर आयुक्त ने बताया कि इसकी जांच के लिए कमेटी का गठन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बैठक में पार्षदों ने एसआईटी जांच की बात रखी थी. लेकिन यह सिर्फ चर्चा का विषय था. उन्होंने बताया कि एसआईटी जांच के लिए किसी भी तरह का कोई प्रस्ताव नहीं आया है. यही कारण है कि अभी तक एसआईटी जांच के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र नहीं लिखा गया है.
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वहीं, हैरानी की बात यह है कि नगर निगम से कितनी फाइलें गायब हुई हैं, इसकी जानकारी भी मुख्य नगर आयुक्त को नहीं है. उनका कहना है कि इस विषय में डीलिंग क्लर्क के द्वारा उनको किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी गई है.
बता दें, बीते 29 जुलाई को ऋषिकेश नगर निगम में बोर्ड बैठक बुलाई गई थी, इस बैठक में संपत्ति से संबंधित फाइलें गायब होने की बात निकल कर आई जिसके बाद संबंधित विभाग के डीलिंग क्लर्क ने यह बात स्वीकार करते हुए कहा कि निगम के भीतर से संपत्तियों से संबंधित फाइलों से भरी अलमारी के भीतर से सभी संपत्ति संबंधित दस्तावेज गायब हो चुके हैं.
यह मामला डीलिंग कलर के द्वारा सामने रखने के बाद अधिकारी हक्का-बक्का रह गए. हालांकि, यह नहीं था कि अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी. जानकारी होने के बावजूद भी निगम के उच्च अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे थे. अब मामला बोर्ड बैठक में निकल कर आया है. तो अधिकारी इस पर अमल करने पर मजबूर हो गए हैं. हालांकि, अभी भी इस पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है.