देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह रावत के सामने प्रदेश में कई चुनौतियां है, जिसमें विकास का मुद्दा प्रमुख है. जिसको लेकर वे पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. वहीं सूबे में नेतृत्व परिवर्तन के बाद सीएम की जिम्मेदारी संभालने वाले पुष्कर सिंह धामी पिछले एक हफ्ते में दूसरी बार दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात की. इस दौरान सीएम केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर विभिन्न योजनाओं पर भी बातचीत कर राज्य में नई संभावनाओं को तलाश रहे हैं.
दरअसल, ऐसे कई मुद्दे हैं जिसको लेकर उत्तराखंड की निगाहे केंद्र पर बनी हुई हैं और अब सीएम पुष्कर सिंह धामी इन विषयों पर केंद्रीय मंत्रियों से स्वीकृति लेने की कोशिश कर रहे हैं. उत्तराखंड समेत देश के सभी राज्य केंद्र से ज्यादा से ज्यादा योजनाओं को प्रदेश में लाने के प्रयास करते हैं. लेकिन हिमालयी राज्य होने और आर्थिक रूप से विभिन्न परेशानियों के चलते उत्तराखंड का केंद्रीय योजनाओं और बजट पर ज्यादा फोकस रहता है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली में ताबड़तोड़ दौरे इस बात को जाहिर भी कर रहे हैं. ऐसे कई सेक्टर हैं जिन पर राज्य सरकार का विशेष फोकस होता है और केंद्र से मदद के भी प्रयास रहते हैं. राज्य सरकार का प्रयास है कि केंद्रीय योजनाओं के बजट में बढ़ोत्तरी की जाए ताकि योजनाओं को प्रदेश में वृहद रूप दिया जा सके. इसके लिए केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर विभिन्न केंद्रीय योजनाओं में अधिक बजट पाने की कोशिश मुख्यमंत्री की रही है.
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सीमांत राज्य होने के चलते प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा से लेकर पलायन को रोकने के लिए भी राज्य सरकार केंद्र से विशेष योजनाओं की मांग करती रही है. इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में फूलों और सड़कों के निर्माण की स्वीकृतियां शामिल हैं. इसके अलावा सामरिक महत्व होने के कारण बॉर्डर एरिया विकास कार्यक्रमों को तेजी से चलाने की भी राज्य की मांग रही है.
उधर, कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में सेना की भर्तियां भी नहीं हो पाई लिहाजा युवाओं को क्षेत्र में रोजगार देने के लिए प्रदेश में भर्तियां निकालने की भी गुजारिश की जा रही है. उधर पलायन रोकने के लिए उन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं को जुटाने को देखते हुए केंद्र से विशेष बजट की भी मांग रही है. रेलवे प्रोजेक्ट पर भी उत्तराखंड केंद्र से विशेष मांग करता रहा है इसमें अब तक स्वीकृत विभिन्न रेल परियोजनाओं में तेजी से कार्य आगे बढ़ाने और जरूरी मंजूरी के लिए स्वीकृति देने की भी मांग रही है.
इसमें देहरादून से कालसी, देहरादून हरिद्वार डबल लेन रोड, देहरादून और रायवाला रेलवे स्टेशन के विकास, हर्रावाला रेलवे स्टेशन को बेहतर बनाना, देहरादून से कर्णप्रयाग रेल परियोजना के कार्य में तेजी लाना और बजट की स्वीकृति देना, बागेश्वर टनकपुर रेल लाइन ऋषिकेश से उत्तरकाशी और गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाली विभिन्न परियोजनाओं पर केंद्रीय स्वीकृति की कोशिश रही है.
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पर्यटन के क्षेत्र में भी राज्य केंद्र से कई योजनाओं के लिए स्वीकृति मांगता रहा है. इसमें पर्यटन क्षेत्रों के विकास के साथ में पर्यटक स्थल विकसित करने से जुड़ी योजनाओं की मंजूरी लेने, आईडीपीएल स्पेशल टूरिज्म जोन बनाने, 13 जिले 13 डेस्टिनेशन के लिए केंद्र से मदद लेने जैसी योजनाए शामिल हैं.
उत्तराखंड में लखवाड़ और किसानों समेत बन रही विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं की स्वीकृति के मसले भी केंद्र में पेंडिंग है. उन पर भी मुख्यमंत्री की तरफ से तेजी लाने की कोशिश की जा रही है. लघु जल विद्युत परियोजनाओं के विकास और निर्माण के लिए केंद्र से सुझाव और बजटीय प्रावधान करवाने की कोशिश रहेगी.
प्रदेश में हवाई सेवाओं को बेहतर करने के लिए विभिन्न जिलों को हवाई सेवाओं से जोड़ना और प्रदेश के एयरपोर्ट के विकास को लेकर जरूरी स्वीकृति या केंद्र से लेना. इसमें देहरादून और पंतनगर एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना शामिल है.
शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड में केंद्रीय योजनाओं के तहत बजट को बढ़ाना सबसे बड़ी प्रमुख विषय है. इसके अलावा हाईटेक क्लास रूम से लेकर तकनीकी और उच्च स्तर के संस्थानों को उत्तराखंड में लाने पर भी उत्तराखंड राज्य का फोकस रहा है.
प्रदेश को कोविड-19 के चलते स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र की सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है. इस समय ऋषिकेश में एम्स को और वेद रूप देने और कुमाऊं में भी एक एम्स की स्थापना करवाना राज्य की प्रमुखता रहेगा. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को और बेहतर करने और तीसरी लहर को देखते हुए बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र की मदद की भी अपेक्षा रहेगी.
शहरी विकास विभाग के अंतर्गत उत्तराखंड में मास्टर प्लान के तहत बजट की कमी ना हो इसके लिए प्रयास किया जाएगा, इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन के तहत भी राज्य को बजट आवंटन करवाने का मुख्यमंत्री प्रयास कर रहे हैं. गरीब परिवारों को आवास देने से जुड़ी योजना में भी बजट आवंटन का प्रयास होगा.
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तमाम ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए भी मुख्यमंत्री केंद्रीय मदद पाने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें बदरीनाथ और केदारनाथ के स्वरूप को बेहतर करने की दिशा में योजना की स्वीकृति समेत विभिन्न एनओसी पाने की दिशा में भी प्रयास किया जा रहा है.