ETV Bharat / state

उत्तराखंड: कुपोषण ने बढ़ाई सरकार की चिंता, उधम सिंह नगर में 8 हजार बच्चे कुपोषित

author img

By

Published : Aug 11, 2019, 6:22 PM IST

Updated : Aug 11, 2019, 6:27 PM IST

सूबे में कुपोषण को कम करने के लिए महिला कल्याण और बाल विकास विभाग द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, लेकिन उसके बावजूद भी कुपोषण पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है. विभागीय जानकारी के अनुसार कुपोषण के मामले में मैदानी जिले सबसे आगे हैं. उधम सिंह नगर जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 8000 के पार हो चुकी है.

malnutrition in uttarakhand

देहरादूनः उत्तराखंड में कुपोषण अपने पैर पसारता जा रहा है. उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में सबसे ज्यादा 8 हजार बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. विभागीय मंत्री के अनुसार पहाड़ी जिलों के अपेक्षा मैदानी जिलों में कुपोषण के लिए गंदगी और न्यूट्रीशन का अभाव बड़ा कारण है. उत्तराखंड में कुपोषण राज्य गठन के बाद से ही एक बड़ी संख्या बड़ी समस्या रही है जो कि उत्तराखंड के भविष्य के लिए चिंता का एक बड़ा विषय है.

उत्तराखंड में कुपोषण बनी बड़ी समस्या.

उत्तराखंड में कुपोषण को कम करने के लिए महिला कल्याण और बाल विकास विभाग द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, लेकिन उसके बावजूद भी कुपोषण पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है. विभागीय जानकारी के अनुसार कुपोषण के मामले में मैदानी जिले सबसे आगे हैं. उधम सिंह नगर जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 8000 के पार हो चुकी है.

  • हरिद्वार में 7 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
  • वहीं देहरादून में भी 1500 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं.
  • सभी पहाड़ी जिलों में कुपोषित बच्चे 200 से 500 के बीच है.

पहाड़ों पर कम है कुपोषण, ये है वजह
मैदानों की तुलना में पहाड़ों पर बच्चों में कुपोषण कम देखने को मिला है. जिसका सबसे बड़ा कारण पहाड़ों पर पर्याप्त न्यूट्रींस की उपलब्धता है. विभागीय मंत्री रेखा के अनुसार मैदानी क्षेत्रों में स्लम एरिया, गंदगी और न्यूट्रिशन की कमी के चलते ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं, जबकि इसके उलट पहाड़ों पर प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होने वाली खाद्य वस्तुओं के सेवन से न्यूट्रीशन की पूर्ति हो जाती है.

यह भी पढ़ेंः बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी को लेकर सरकार कोर्ट में रखेगी पक्ष: पर्यटन मंत्री

महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में अगर कुछ थोड़े बहुत कुपोषण के मामले हैं तो वो अनुवांशिक कारणों से है लेकिन मैदानी इलाकों में अनुवांशिक समस्या के साथ-साथ गंदगी और न्यूट्रीशन की कमी के चलते कुपोषण की संख्या बढ़ जाती है.

देहरादूनः उत्तराखंड में कुपोषण अपने पैर पसारता जा रहा है. उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में सबसे ज्यादा 8 हजार बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. विभागीय मंत्री के अनुसार पहाड़ी जिलों के अपेक्षा मैदानी जिलों में कुपोषण के लिए गंदगी और न्यूट्रीशन का अभाव बड़ा कारण है. उत्तराखंड में कुपोषण राज्य गठन के बाद से ही एक बड़ी संख्या बड़ी समस्या रही है जो कि उत्तराखंड के भविष्य के लिए चिंता का एक बड़ा विषय है.

उत्तराखंड में कुपोषण बनी बड़ी समस्या.

उत्तराखंड में कुपोषण को कम करने के लिए महिला कल्याण और बाल विकास विभाग द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, लेकिन उसके बावजूद भी कुपोषण पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है. विभागीय जानकारी के अनुसार कुपोषण के मामले में मैदानी जिले सबसे आगे हैं. उधम सिंह नगर जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 8000 के पार हो चुकी है.

  • हरिद्वार में 7 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
  • वहीं देहरादून में भी 1500 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं.
  • सभी पहाड़ी जिलों में कुपोषित बच्चे 200 से 500 के बीच है.

पहाड़ों पर कम है कुपोषण, ये है वजह
मैदानों की तुलना में पहाड़ों पर बच्चों में कुपोषण कम देखने को मिला है. जिसका सबसे बड़ा कारण पहाड़ों पर पर्याप्त न्यूट्रींस की उपलब्धता है. विभागीय मंत्री रेखा के अनुसार मैदानी क्षेत्रों में स्लम एरिया, गंदगी और न्यूट्रिशन की कमी के चलते ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं, जबकि इसके उलट पहाड़ों पर प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होने वाली खाद्य वस्तुओं के सेवन से न्यूट्रीशन की पूर्ति हो जाती है.

यह भी पढ़ेंः बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी को लेकर सरकार कोर्ट में रखेगी पक्ष: पर्यटन मंत्री

महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में अगर कुछ थोड़े बहुत कुपोषण के मामले हैं तो वो अनुवांशिक कारणों से है लेकिन मैदानी इलाकों में अनुवांशिक समस्या के साथ-साथ गंदगी और न्यूट्रीशन की कमी के चलते कुपोषण की संख्या बढ़ जाती है.

Intro:Note- फीड FTP पर (uk_deh_01_malnutrition_in_uttarakhand_byte_7205800) नाम से है।

एंकर- उत्तराखंड में कुपोषण अपने पैर पसारता जा रहा है जिसके चलते उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में सबसे ज्यादा 8 हजार बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। विभागीय मंत्री के अनुसार पहाड़ी जिलों के उपेक्षा मैदानी जिलों में कुपोषण के लिए गंदगी और न्यूट्रिशन का अभाव बड़ा कारण है।




Body:वीओ- उत्तराखंड में कुपोषण राज्य गठन के बाद से ही एक बड़ी संख्या बड़ी समस्या रही है जो कि उत्तराखंड के भविष्य के लिए चिंता का एक बड़ा विषय है। उत्तराखंड में कुपोषण को कम करने के लिए महिला कल्याण और बाल विकास विभाग द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं लेकिन उसके बावजूद भी कुपोषण पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है।

विभागीय जानकारी के अनुसार कुपोषण के मामले में मैदानी जिले सबसे आगे हैं।
- उधम सिंह नगर जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 8000 के पार हो चुकी है
-इसी तरह से हरिद्वार में 7 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार है
-तो वही देहरादून में भी 1500 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं
- सभी पहाड़ी जिलों में कुपोषित बच्चे 200 से 500 के बीच है।

पहाड़ों पर कम है कुपोषण, ये है वजह----
मैदानों की तुलना में पहाड़ों पर बच्चों में कुपोषण कम देखने को मिला है जिसका सबसे बड़ा कारण पहाड़ों पर पर्याप्त न्यूट्रींस की उपलब्धता है। विभागीय मंत्री रेखा के अनुसार मैदानी क्षेत्रों में स्लम एरिया, गंदगी और न्यूट्रिशन की कमी के चलते ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं। जबकि इसके उलट पहाड़ों पर प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होने वाली खाद्य वस्तुओं के सेवन से न्यूट्रिशन की पूर्ति हो जाती है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में अगर कुछ थोड़े बहुत कुपोषण के मामले हैं तो वो अनुवांशिक कारणों से है लेकिन मैदानी इलाकों में अनुवांशिक समस्या के साथ साथ गंदगी और न्यूट्रिशन की कमी के चलते कुपोषण की संख्या बढ़ जाती है।

बाइट- रेखा आर्य, महिला एवं बाल विकास मंत्री उत्तराखंड



Conclusion:
Last Updated : Aug 11, 2019, 6:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.