देहरादून: उत्तराखंड के लिए साल 2023 कई खट्टे मीठे अनुभव लेकर आया. साल 2023 में प्रदेश में कई ऐसी घटनाएं घटीं जो देश ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर भी छाई रहीं. साल के शुरुआती महीने यानी जनवरी से लेकर अंत के महीने दिसंबर तक प्रदेश में कुछ ना कुछ ऐसा होता रहा जो सुर्खियों में रहा. इसके बाद यह कहना बिल्कुल सही होगा कि साल 2023 में उत्तराखंड ने कई उतार-चढ़ाव देखे. साल के हर महीने में कुछ ना कुछ ऐसा जरूर हुआ जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा.
जोशीमठ की घटना आई सबसे पहले चर्चा में: साल के शुरुआती महीने में उत्तराखंड तब चर्चा में आया जब जनवरी महीने में अचानक चमोली जिले को जोशीमठ के घरों में दरारों की खबरें सामने आईं. शुरुआती दौर में कुछ एक खबरों ने सबका ध्यान खींचा. लेकिन धीरे धीरे चमोली का जोशीमठ देश और दुनिया में चर्चा में आ गया. एक के बाद एक वार्ड से आई इन खबरों के बाद दुनिया भर की मीडिया ने इसे जगह दी. लंबे समय तक चर्चाओं में रहने के बाद केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम विभागों ने चमोली के जोशीमठ का रुख किया. जोशीमठ की इन दरारों के लिए राज्य सरकार ने मार्च महीने में 1000 करोड़ रुपए जारी करने का मन बनाया. इसके साथ ही केंद्र सरकार से भी राहत पैकेज देने का आग्रह किया. इस पूरे घटनाक्रम के बाद राहत भरी खबर यह रही कि किसी व्यक्ति की जनहानि नहीं हुई. समय रहते सभी परिवारों को शिफ्ट कर लिया गया. लेकिन इस घटना ने लगभग 3 महीने तक सबका ध्यान अपनी ओर खींच कर रखा.
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चमोली के इस हादसे ने सब को रुलाया: जोशीमठ में जिस वक्त दरारों की चर्चा हो रही थी, इसी वक्त जुलाई महीने में चमोली में ही एक और घटना हुई. यह घटना इतनी दर्दनाक थी कि जिसने भी इसकी तस्वीर देखी वह अपने आंसू नहीं रोक पाया. चमोली के एसटीपी प्लांट में एक मृतक के लिए आंदोलन कर रहे लोगों की भीड़ लगभग 100 की संख्या में थी. यह सभी लोग प्लांट के अंदर खड़े होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. काफी देर से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, वैसे-वैसे पुलिसकर्मियों ने मोर्चा संभालते हुए भीड़ को वहां से इधर-उधर करना शुरू कर दिया. लेकिन कुछ लोग लगातार पुलिस की बात को नजर अंदाज कर रहे थे. तभी प्रोजेक्ट में तकनीकी खराबी होने की वजह से पूरे क्षेत्र में करंट फैल गया. लोहे की रेलिंग पर जो लोग खड़े थे वो वहीं पर झुलसने लगे. यह हादसा इतना खतरनाक था कि जो लोग इस हादसे का शिकार हुए वह पत्ते की तरह राख होने लगे थे. इस हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें स्थानीय दरोगा भी शामिल थे. इस घटना के बाद राज्य सरकार ने तत्काल तमाम एसटीपी प्लांट का सर्वे करवाया और इस घटना के बाद कई अधिकारियों को भी सस्पेंड किया गया था. एक साथ 16 लोगों को जलते हुए न केवल चमोली ने देखा बल्कि पूरा देश देख रहा था.
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उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू बना दुनिया भर में चर्चा का केंद्र बिंदु: और अब बात उस घटना की जिसने देश ही नहीं विदेशों तक उत्तराखंड के छोटे से जनपद उत्तरकाशी को विश्व पटल पर चर्चाओं में ला दिया. ये घटना है 12 नवंबर 2023 की. जब उस दिन पूरा देश दीपावली के उत्सव में व्यस्त था तभी उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंस गए थे. पहले दिन किसी को यह नहीं मालूम था कि यह हादसा दुनिया का इकलौता ऐसा हादसा बन जाएगा जिसकी चर्चा न केवल भारत करेगा बल्कि पूरा विश्व इस पर अपनी नजर बनाकर रखेगा. 41 मजदूरों के फंसने के बाद राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार और देश-विदेश के एक्सपर्ट ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी आकर इस रेस्क्यू अभियान में अपना हाथ बंटाया. एक के बाद एक दिन निकलते गए और 17 दिन बाद बमुश्किल 41 मजदूरों का रेस्क्यू हो पाया. यह घटना भारत की सबसे बड़े रेस्क्यू अभियान की घटना में तब्दील हो गई. इसमें हर एक घंटे के बाद हालात बदल रहे थे. अंधेरी सुरंग में बंद सभी 41 लोगों ने हौसला नहीं हारा और सभी लोग सकुशल बाहर आ सके.
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गढ़वाल और कुमाऊं के ये सड़क हादसे रहे चर्चा में: उत्तराखंड में साल 2023 में दो बड़े सड़क हादसे हुए. सबसे पहले एक सड़क हादसा 20 अगस्त के दिन उत्तरकाशी के गंगोत्री नेशनल हाईवे पर हुआ. यहां पर गुजरात से आए 35 यात्रियों की बस गंगोत्री धाम के दर्शन के लिए पहुंच रही थी. तभी बस हादसे का शिकार हो गई. मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम कड़ी मशक्कत के बाद 27 लोगों को बचाने में कामयाब होती है. इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो जाती है.
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अक्टूबर महीने में ही साल 2023 में उत्तराखंड में एक और बड़ा हादसा हुआ. हरियाणा के एक निजी स्कूल की बस तमाम टीचर को लेकर उत्तराखंड भ्रमण पर आयी थी. तभी नैनीताल के पास यह बस हादसे का शिकार हो गई. इस हादसे में भी 7 लोगों की जान चली गई थी. इसमें कई टीचर और स्कूल स्टाफ के साथ-साथ एक 7 साल का बच्चा भी शामिल था. इस हादसे में 26 लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे. कुमाऊं में तीन और बड़े हादसे हुए.
इसके बाद आदि कैलाश यात्रा चर्चा में आ गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के आसपास हुई इस घटना में भी लगभग 12 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. पहला हादसा 8 अक्टूबर को हुआ जब लिपुलेख मार्ग पर एक जीप के ऊपर पूरा का पूरा पहाड़ गिर गया. इस दर्दनाक हादसे में सात लोगों की मौत हो गई. 30 घंटे से अधिक समय के बाद सभी की बॉडी को रिकवर किया जा सका. इसके बाद 17 अक्टूबर को एक बार फिर से एक कार पलटने की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई. 25 अक्टूबर को ही लोग जब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे, तभी आधी रात को एक और बड़ा हादसा हुआ. आदि कैलाश यात्रा से लौट रहे श्रद्धालुओं की एक गाड़ी गहरी खाई में गिर गई. इस गाड़ी में सवार सभी श्रद्धालु बेंगलुरु के थे. इस हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद यह पूरा का पूरा ट्रैक चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया था.
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