देहरादून: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर फिर से विचार के लिए मंत्री गणों की हाई लेवल कमेटी (report of high level committee on devasthanam board) की रिपोर्ट सौंपी गई थी. इस रिपोर्ट के परीक्षण और अध्ययन के बाद सोमवार (29 नवंबर) शाम सतपाल महाराज ने रिपोर्ट को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है.
उत्तराखंड में जिस तेजी से देवस्थानम बोर्ड को लेकर समिति की तैयार की गई रिपोर्ट का अध्ययन मंत्रिमंडलीय उप समिति ने किया है शायद इससे पहले कभी किसी उपसमिति ने इतनी तेजी से काम किया हो. एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सतपाल महाराज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मंत्रिमंडल समिति का गठन कर रिपोर्ट का अध्ययन करने का काम दिया था.
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उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के परिपेक्ष में चारों धामों के हितधारकों पंडा, पुरोहितों और पुजारियों द्वारा समय-समय पर विरोध, आंदोलन के मद्देनजर वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत समाधान के लिए समिति की रिपोर्ट के पुनरीक्षण के बाद और सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गठित मंत्री गणों की उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यह रिपोर्ट सौंप दी गई है.
क्या है देवस्थानम बोर्ड का मामला: तीर्थ पुरोहित बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है. लेकिन इन दिनों जिस तरह से उन्होंने अपना आपा खोया है, उससे सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं. चुनावी वर्ष होने के कारण बीजेपी के लिए इसे सुलझाना प्राथमिकता होगी.
51 मंदिरों का प्रबंधन सरकार ने लिया: त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत एक भारी-भरकम बोर्ड का गठन कर चार धामों के अलावा 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया. सरकार का कहना था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या और इस क्षेत्र को पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मजबूत करने के उद्देश्य के मद्देनजर सरकार का नियंत्रण जरूरी है. सरकारी नियंत्रण में बोर्ड मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से करेगा.
पुरोहित बोले-हक खत्म कर रही सरकार: तब से लेकर अब तक तीर्थ पुरोहितों के अलावा एक बड़ा तबका सरकार के इस फैसले के विरोध में है. उनका कहना है कि सरकार इस बोर्ड की आड़ में उसके हकों को समाप्त करना चाह रही है. समय-समय पर वह धरना, प्रदर्शन और अनशन के माध्यम से अपना विरोध दर्ज कराते रहते हैं.
30 नवंबर तक मामला सुलझाने का दावा: तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा इस बात पर है कि सरकार ने 2019 में जो देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी, उसे वापस नहीं लिया जा रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालने के बाद 11 सितंबर, 2021 को तीर्थ पुरोहितों को अपने आवास में बुलाकर आश्वस्त किया था कि 30 नवंबर तक इस मामले को सुलझा लिया जाएगा. पुरोहितों को इस बात पर भी रोष है कि मनोहर कांत ध्यानी ने कहा है कि बोर्ड को किसी कीमत पर भंग नहीं किया जाएगा. अगर पुरोहित समाज को इसके प्रावधानों से दिक्कत है तो उस पर विचार किया जा सकता है.