विकासनगर: जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में परंपरागत पौष त्यौहार के माघ मरोज पर्व की शुरुआत 11 जनवरी को होगी. मरोज पर्व की शुरुआत हनोल में कयलू महाराज के मंदिर से होती है. मंदिर में चुराज का पहला बकरा चढ़ने से लोक पर्व माघ मरोज पर्व का जश्न परंपरागत रूप से मनाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए क्षेत्र में बकरों की खरीदारी भी शुरू हो गई है.
जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र देश दुनिया में अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान बनाए हुए है. क्षेत्र में पौष त्यौहार माघ मरोज पर्व का विशेष महत्व है. ग्रामीणों को साल भर इस पर्व को मनाने के लिए काफी उत्सुकता रहती है.मान्यता अनुसार सैकड़ों साल पूर्व टोंस नदी में नरभक्षी किरमीर राक्षस का आतंक था. मानव जीवन की सुरक्षा के लिए महासू देवता ने किरमिर नामक राक्षस का खात्मा किया. क्षेत्र में किरमिर राक्षस के आतंक से छुटकारा मिलने की खुशी से क्षेत्रवासी प्रतिवर्ष पौष में माघ मरोज पर्व को बड़े ही उत्साह से मनाते हैं.
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जौनसार बावर में 11जनवरी से शुरू होने वाले लोक पर्व माघ मरोज को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. मवेशी पालन व्यवसाय से जुड़े पशुपालक सीजन में अच्छी कमाई कर लेते हैं. त्यौहार मनाने के लिए बकरों की खरीद के लिए क्षेत्र के कई लोग विकासनगर व देहरादून मंडी से सुडोल बकरों की खरीदारी भी करते हैं.
महासू देवता मंदिर हनोल के राजगुरु चंदराम राजगुरु ने बताया प्रतिवर्ष 26 गते पौष को हनोल में कयलू महाराज के मंदिर में पर्व का पहला बकरा चढ़ने से होती है. जौनसार बावर सहित हिमाचल के सिरमौर व रंवाई जौनपुर में भी माघ मरोज पर्व बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. पूरे महीने मेहमान नवाजी सहित लोक संस्कृति के रंग देखने को मिलते हैं.