देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 13 अक्टूबर को प्रकाशित विज्ञप्ति एलटी सेवा संवर्ग में कला विषय के लिए फाइन आर्ट और एमए चित्रकला से पास विद्यार्थियों के लिए बीएड की अनिवार्य योग्यता रख दी गई है, जिस कारण उत्तराखंड में फाइन आर्ट और चित्रकला के कई छात्र 2017 के बाद खुली भर्ती प्रक्रिया से वंचित हो जाएंगे. इसके विरोध में गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने आवास पर सांकेतिक उपवास रखने का फैसला किया है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग एलटी की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होने जा रही है. इस भर्ती प्रक्रिया में फाइन आर्ट और एमए चित्रकला से उत्तीर्ण छात्रों को पात्र माना जाता था, लेकिन वर्तमान में प्रारंभ हो रही भर्ती में इन नौजवानों को पत्र तरह से बाहर कर दिया है, क्योंकि वह बीएड उत्तीर्ण नहीं हैं. ऐसे में कई छात्रों की आयु सीमा भी जा चुकी है. इसके लिए उन्होंने दो बार ऐसे बच्चों की बात उठाई जो ओवरऐज हो चुके हैं, लेकिन एलटी या दूसरी टीईटी की परीक्षा में आयु सीमा की बाध्यता के कारण वह बैठ नहीं पा रहे हैं.
हरीश रावत ने कहा कि इन छात्रों का इसमें कोई दोष नहीं है क्योंकि 2016-17 में जो भर्तियां निकलीं थीं, उसके बाद से अभी तक कोई भर्ती नहीं निकली. इसलिए ऐसे छात्रों को अवसर नहीं मिल पाया था. इसके लिए उन्होंने स्वयं सरकार से आग्रह किया था कि इनकी उम्र की अहर्ता को शिथिलता बरती जाए और भर्ती में आयु सीमा 4 से 5 साल बढ़ा दी जाए, क्योंकि ऐसे बेरोजगारों की उम्र आज ज्यादा हो गई है तो उसमें उनका कोई दोष नहीं है.
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सरकार की तरफ से इस ओर ध्यान न दिए जाने के कारण गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भर्ती से वंचित हो रहे विद्यार्थियों के समर्थन में मौन उपवास रखने का निर्णय लिया है. पूर्व सीएम इसके बाद हल्द्वानी की ओर प्रस्थान कर जाएंगे.