देहरादून/कालाढूंगी: प्रदेश के मैदानी जिले हरिद्वार, देहरादून, उधमसिंह नगर के बाद पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी व चमोली जिले में भी पशुओं में लंपी बीमारी के मामले सामने आए हैं. राजधानी देहरादून की बात करें तो अब तक देहरादून में लंपी वायरस के 4,603 मामले सामने आ गए हैं और 77 पशुओं की मौत हो चुकी है. मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ विद्या सागर कापड़ी की मानें तो लंपी वायरस से ग्रस्त पशुओं के सही होने की रिकवरी रेट काफी अधिक बढ़ गई है.
देहरादून में अब तक 4,603 पशु लंपी वायरस के शिकार हुए हैं, जिनमें से करीब 2,100 पशु रिकवर हो गए हैं. साथ ही स्वस्थ पशुओं को वैक्सीन लगाने का काम किया जा रहा है, जिससे लंपी वायरस पर रोकथाम लग सके. लंपी वायरस से लड़ रहे पशुओं की देखरेख के साथ पूरी निगरानी नगर निगम ने शुरू कर दी है. इस बीमारी से संक्रमित होने के कारण शहर के कुछ पशुपालक अपने संक्रमित पशु को उनके कानों से टैग काटकर सड़क में निराश्रित छोड़ रहे हैं.
शहरवासी ऐसे पशुओं के इलाज और शरण के लिए नगर नगर निगम से संपर्क कर रहे हैं. नगर निगम ने ऐसे पशुओं के लिए कांजी हाउस में एक अस्थाई आइसोलेशन वॉर्ड बनाया है, जिसमे पशुओं का उपचार किया जा रहा है. नगर आयुक्त ने निर्देशित किया गया कि मवेशियों में फैली लंपी वायरस के रोकथाम के लिए जरूरी आवश्यक कार्रवाई करें.
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विद्या सागर कापड़ी के मुताबिक साल 2017 के डाटा के अनुसार जनपद में कुल एक लाख 94 हजार पशु हैं. अब तक करीब 36 हजार को गोटपॉक्स वैक्सीन लग चुकी है. पशु चिकित्सक की टीम द्वारा प्रतिदिन एक हजार से 1500 पशुओं को वैक्सीन लगाई जा रही है और पशु विभाग के पास पर्याप्त गोटपॉक्स वैक्सीन है.
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उन्होंने बताया कि लंपी वायरस से बचाव के लिए आइसोलेशन, एंटीबायोटिक इंजेक्शन, नीम के पत्ते, फिटकरी का पानी, लाल दवा का प्रयोग कर सकते हैं. लंपी वायरस के लक्षण हाई बुखार, मुंह से लार्वा, बैठने में दर्द और शारीरिक क्षमता के अनुसार फैल रहा है.
कालाढूंगी में लंपी वायरस का प्रकोप: कालाढंगी और आसपास के इलाकों में भी लंपा वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है. कालाढूंगी पशु चिकित्सक डॉ विजय कुमार ने बताया कि वायरस की रोकथाम के लिए कालाढूंगी, कोटाबाग और बैलपड़ाव क्षेत्र में पशुपालन विभाग की टीम पशुओं का टीकाकरण कर रही है.