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Dehradun IMA में कल होगी पासिंग आउट परेड, एक दिन पहले बड़ा बदलाव

देहरादून आईएमए का इतिहास काफी गौरवशाली है. भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Academy) में शनिवार 10 दिसंबर को पासिंग आउट परेड होनी है. इस परेड से एक दिन पहले मुख्य अतिथि (RO) में बदलाव हुआ है. IMA में प्रशासन के मुताबिक अब POP के मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी, एवीएसएम, वीएसएम, जीओसी-इन-सी, मध्य कमान होंगे.

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Published : Dec 9, 2022, 1:50 PM IST

Updated : Dec 9, 2022, 1:55 PM IST

देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Academy) में शनिवार 10 दिसंबर को पासिंग आउट परेड होनी है. इस परेड से एक दिन पहले मुख्य अतिथि (RO) में बदलाव हुआ है. IMA में प्रशासन के मुताबिक अब POP के मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी, एवीएसएम, वीएसएम, जीओसी-इन-सी, मध्य कमान, होंगे. योगेंद्र डिमरी परेड के रिव्यूइंग ऑफिसर होंगे. पहले भारतीय सेना के जनरल मनोज पांडे बतौर अतिथि परेड में शामिल होने वाले थे.

इस बार 344 जेसी होंगे पास आउट: गौर हो कि इस बार कुल 344 जेंटलमैन कैंडिडेट पास आउट होकर सेना में बतौर लेफ्टिनेंट के पद पर शामिल होंगे. इस बार कुल पास आउट होने वाले 344 कैडेट्स में से मित्र देशों के 30 जेंटलमैन कैडेट भी पास आउट होने जा रहे हैं.

IMA की स्थापना: एक अक्तूबर 1932 में स्थापित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) का 90 वर्ष का गौरवशाली इतिहास है. अकादमी 40 कैडेट्स के साथ शुरू हुई थी. अब तक अकादमी देश-विदेश की सेनाओं को 63 हजार 768 युवा अफसर दे चुकी है. इनमें 34 मित्र देशों के 2,724 कैडेट्स भी शामिल हैं. 1932 में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस प्रथम कमांडेंट बने थे. इसी में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और म्यांमार के सेनाध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा भी पास आउट हुए थे. आईएमए ने ही पाकिस्तान को उनका पहला आर्मी चीफ भी दिया है.
पढ़ें-गौरवशाली है आईएमए का इतिहास, पाकिस्तान को भी दे चुका पहला आर्मी चीफ

10 दिसंबर 1932 में भारतीय सैन्‍य अकादमी का औपचारिक उद्घाटन फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्ल्यू चेटवुड ने किया था. उन्हीं के नाम पर आईएमए की प्रमुख बिल्डिंग को चेटवुड बिल्डिंग के नाम से जाना जाने लगा. आजादी के बाद पहली बार किसी भारतीय ने सैन्य अकादमी की कमान संभाली. 1947 में ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह इसके पहले कमांडेंट बने. 1949 में इसे सुरक्षा बल अकादमी का नाम दिया गया और इसकी एक विंग क्लेमेंटटाउन में खोली गयी. बाद में इसका नाम नेशनल डिफेंस अकादमी रखा गया.

पहले क्लेमेंटटाउन में सेना के तीनों विंगों को ट्रेनिंग दी जाती थी. बाद में 1954 में एनडीए के पुणे स्थानांतरित हो जाने के बाद इसका नाम मिलिट्री कॉलेज हो गया. फिर 1960 में संस्थान को भारतीय सैन्य अकादमी का नाम दिया गया. 10 दिसंबर 1962 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन ने स्वतंत्रता के बाद पहली बार अकादमी को ध्वज प्रदान किया. साल में दो बार (जून और दिसंबर माह के दूसरे शनिवार को) आईएमए में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाता है.

देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Academy) में शनिवार 10 दिसंबर को पासिंग आउट परेड होनी है. इस परेड से एक दिन पहले मुख्य अतिथि (RO) में बदलाव हुआ है. IMA में प्रशासन के मुताबिक अब POP के मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी, एवीएसएम, वीएसएम, जीओसी-इन-सी, मध्य कमान, होंगे. योगेंद्र डिमरी परेड के रिव्यूइंग ऑफिसर होंगे. पहले भारतीय सेना के जनरल मनोज पांडे बतौर अतिथि परेड में शामिल होने वाले थे.

इस बार 344 जेसी होंगे पास आउट: गौर हो कि इस बार कुल 344 जेंटलमैन कैंडिडेट पास आउट होकर सेना में बतौर लेफ्टिनेंट के पद पर शामिल होंगे. इस बार कुल पास आउट होने वाले 344 कैडेट्स में से मित्र देशों के 30 जेंटलमैन कैडेट भी पास आउट होने जा रहे हैं.

IMA की स्थापना: एक अक्तूबर 1932 में स्थापित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) का 90 वर्ष का गौरवशाली इतिहास है. अकादमी 40 कैडेट्स के साथ शुरू हुई थी. अब तक अकादमी देश-विदेश की सेनाओं को 63 हजार 768 युवा अफसर दे चुकी है. इनमें 34 मित्र देशों के 2,724 कैडेट्स भी शामिल हैं. 1932 में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस प्रथम कमांडेंट बने थे. इसी में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और म्यांमार के सेनाध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा भी पास आउट हुए थे. आईएमए ने ही पाकिस्तान को उनका पहला आर्मी चीफ भी दिया है.
पढ़ें-गौरवशाली है आईएमए का इतिहास, पाकिस्तान को भी दे चुका पहला आर्मी चीफ

10 दिसंबर 1932 में भारतीय सैन्‍य अकादमी का औपचारिक उद्घाटन फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्ल्यू चेटवुड ने किया था. उन्हीं के नाम पर आईएमए की प्रमुख बिल्डिंग को चेटवुड बिल्डिंग के नाम से जाना जाने लगा. आजादी के बाद पहली बार किसी भारतीय ने सैन्य अकादमी की कमान संभाली. 1947 में ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह इसके पहले कमांडेंट बने. 1949 में इसे सुरक्षा बल अकादमी का नाम दिया गया और इसकी एक विंग क्लेमेंटटाउन में खोली गयी. बाद में इसका नाम नेशनल डिफेंस अकादमी रखा गया.

पहले क्लेमेंटटाउन में सेना के तीनों विंगों को ट्रेनिंग दी जाती थी. बाद में 1954 में एनडीए के पुणे स्थानांतरित हो जाने के बाद इसका नाम मिलिट्री कॉलेज हो गया. फिर 1960 में संस्थान को भारतीय सैन्य अकादमी का नाम दिया गया. 10 दिसंबर 1962 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन ने स्वतंत्रता के बाद पहली बार अकादमी को ध्वज प्रदान किया. साल में दो बार (जून और दिसंबर माह के दूसरे शनिवार को) आईएमए में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाता है.

Last Updated : Dec 9, 2022, 1:55 PM IST
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