देहरादून: दिल्ली-एनसीआर के इलाके में बीते डेढ़ माह में करीब दस बार भूकंप आ चुका है. ऐसे में मात्र डेढ़ महीने के भीतर 10 बार भूकंप आने से हर कोई दहशत में है. यही नहीं लोगों को भय सता रहा है कि कहीं ये भूकंप किसी बड़े भूकंप आने की ओर तो इशारा तो नहीं है. वहीं, दिल्ली में बड़े भूकंप आने में खतरे के सवाल पर भू-वैज्ञानिक ने बताया कि पिछले डेढ़ महीने में कई बार भूकंप आने की वजह से अब पृथ्वी की एनर्जी रिलीज ही चुकी है. ऐसे में बड़े भूकंप के आने खतरा बहुत कम है.
गौर हो कि, भूकंप के लिहाज से दिल्ली-एनसीआर जोन-4 में आता है. जिसकी वजह से दिल्ली भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है. अमूमन दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. जिसकी वजह से दिल्ली एनसीआर को भूकंप के लिहाज से प्रबल खतरे वाले जोन में रखा गया है.
देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर रीजन के भूकंप आने का जो मकैनिज्म है. वह हिमालयन बेल्ट में आने वाले भूकंप के मकैनिज्म से बिल्कुल भिन्न है. क्योंकि, दिल्ली-एनसीआर में आने वाला भूकंप इंटीरियर क्षेत्र में आता है और हिमालयन रीजन में आने वाला भूकंप बाउंड्री क्षेत्र में आता है.
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ऐसे में जब हिमालयन रीजन में कम मैग्नीट्यूड या मीडियम मैग्नीट्यूड के भूकंप आते हैं तो ऐसे में अंदाजा लगाया जाता है कि इंटीरियर क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने वाला है, लेकिन यह मामला बिल्कुल अलग है क्योंकि इंटीरियर क्षेत्र यानी दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ महीने से लगातार कम और मीडियम मैग्नीट्यूड के भूकंप आए हैं. ऐसे में पृथ्वी के अंदर प्लेट के खिसकने से जो एनर्जी उत्पन्न हुई है वह छोटे-छोटे भूकंप के माध्यम से रिलीज हो चुकी है. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में बड़ा भूकंप आने की संभावना बेहद कम है.
कालाचंद साईं ने बताया कि दिल्ली में बड़ा भूकंप आने की संभावना ना के बराबर है, लेकिन बावजूद इसके प्रिकॉशन लेने की जरूरत है. क्योंकि दिल्ली में बहुत अधिक पापुलेशन के साथ ही तमाम बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स भी है. ऐसे में अगर भविष्य में कम या मीडियम मैग्नीट्यूड से अधिक मैग्नीट्यूड का भूकंप आ जाता है तो उससे दिल्ली एनसीआर में काफी नुकसान हो सकता है. जिसे ध्यान में रखने की जरूरत है.