देहरादून/मेरठ: उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है. यहां सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. वहीं हाईकमान ने सांसद तीरथ सिंह रावत को नया सीएम बनाया है. पार्टी ने RSS के प्रचारक रहे और बीजेपी के सीनियर नेता तीरथ सिंह रावत को प्रदेश के मुखिया की कमान सौंप दी है. तीरथ सिंह रावत के सीएम बनने से जहां समर्थकों में खुशी की लहर है. वहीं उनकी ससुराल मेरठ में भी जश्न का माहौल बना हुआ है. दामाद के मुख्यमंत्री बनने की सूचना मिलते ही तीरथ सिंह की सास की खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्होंने मंत्रोच्चारण करके अपने दामाद को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्हें अपने दामाद पर भरोसा है. इस जिम्मेदार पद पर वे किसी गरीब और पीड़ित को निराश नहीं करेंगे.
पहली नजर में हुआ था मिस मेरठ रश्मि त्यागी से प्यार
तीरथ सिंह रावत की सास सुषमा त्यागी ने बताया कि उनकी बेटी रश्मि छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी थी. साल 1996 में एक कार्यक्रम के दौरान रश्मि मंच से भाषण दे रही थीं. उस समय स्टेज पर तीरथ सिंह रावत भी मौजूद थे. रश्मि को भाषण देता सुन तीरथ सिंह रावत को प्यार हो गया और कुछ दिन बाद वह घर पर रिश्ता लेकर घर पहुंच गए. 1999 में रश्मि त्यागी की शादी तीरथ सिंह रावत के साथ हो गई. उस दौरान तीरथ सिंह उत्तर प्रदेश में विधान परिषद सदस्य थे, जबकि रश्मि पीएचडी कर रही थी. उन्होंने बताया कि रश्मि उस दौर में मिस मेरठ चुनी गईं थीं. तब वे खुद रश्मि के चेहरे को कवर करके अपने साथ ले जाया करती थीं.
मेरठ में बांटी गईं मिठाइयां
दामाद के सीएम बनने की खबर सुनी तो तीरथ सिंह रावत की सास की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. सास सुषमा त्यागी खुशी से झूम उठीं और यादों के गलियारों में खो गईं. तीरथ सिंह रावत की सास ने बताया कि उनकी बेटी रश्मि भी कॉलेज टाइम में ABVP से जुड़ी रही हैं.
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जरूरत मंदों की करते हैं मदद
सुषमा त्यागी का कहना है कि तीरथ सिंह का स्वभाव ऐसा है कि उनसे हर कोई प्रभावित हो जाता है. वे हर जरूरत मंद की न सिर्फ मदद करते हैं, बल्कि गलत सिफारिश कभी नहीं करते. जानकारी के मुताबिक कई बार तो तीरथ सिंह पार्टी एवं संघ कार्यालय में झाड़ू से सफाई भी कर देते थे. उनकी यही सादगी उनको मुख्यमंत्री के पद तक ले गई है. बताती हैं कि तीरथ और रश्मि की एक बेटी है. उनके कार्य के प्रति समर्पण को लेकर उन्होंने बताया कि अगर तीरथ की बेटी जिया भी किसी कार्य के लिए अपने पापा से कहती है तो उस काम में भी देरी हो सकती है, लेकिन देश और पार्टी का कार्य सर्वोपरि मानते हैं.
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कॉलेज टाइम से राजनीति में रखते थे रुचि
आपको बता दें कि तीरथ सिंह रावत कॉलेज टाइम से ही राजनीति में रुचि रखते थे. कॉलेज के दिनों में वे हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए. जबकि उत्तराखंड बनने से पहले तीरथ सिंह रावत छात्र संघ मोर्चा उत्तर प्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं. इसके बाद राजनीतिक कैरियर ऐसा बना कि तीरथ सिंह रावत 1983 से लेकर 1988 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे. इसके बाद उनको अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उत्तराखंड के संगठन मंत्री और बाद में एबीवीपी से राष्ट्रीय मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव, उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं.