देहरादून: बीती 28 अगस्त को थाना प्रेमनगर अंतर्गत करोड़ों की क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन हड़पने के लालच में केरल के व्यापारी अब्दुल शकूर की हत्या के मामले में पांच आरोपी अभी भी फरार चल रहे हैं. बीते दिनों पुलिस ने दो आरोपियों आशिक और यासीन के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था. ऐसे में पुलिस अब पांचों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में कुर्की के लिए अर्जी दायर करेगी.
पुलिस के मुताबिक, 28 अगस्त को करोड़ों की क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन को लेकर प्रेमनगर क्षेत्र में अब्दुल शकूर की हत्या कर दी गई थी. आरोपी शव को मैक्स अस्पताल के बाहर छोड़कर फरार हो गए थे. पुलिस कुछ ही दिनों बाद इस मामले का खुलासा करते हुए पांच आरोपियों फारिस ममनून, अरविंद सी, आसिफ, सुफेल मुख्तार और आफताब को देहरादून से गिरफ्तार किया गया था. जबकि, मौके से पुलिस को चकमा देकर आरोपी आशिक, अरशद, यासीन, रिहाब और मुनीफ फरार हो गए थे.
अब पुलिस ने पांचों आरोपियों की तलाश तेज कर दी है. प्रेमनगर पुलिस ने केरल पहुंचकर आरोपियों के घरों पर दबिश भी दी, लेकिन उन्हें कोई सफलता हाथ नहीं लगी. पुलिस को आशंका है कि आरोपी बचने के लिए विदेश भाग गए हैं.
थाना प्रेमनगर प्रभारी नरेंद्र गहलावत का कहना है कि आशिक और यासीन की फोटो मिलने के बाद बुधवार को लुकआउट नोटिस जारी किया गया था. जबकि तीसरे आरोपी मुनीफ के खिलाफ पहले ही लुक आउट नोटिस जारी हो चुका है. वहीं, अन्य दो आरोपी अरशद और रिहाब के पासपोर्ट नहीं बने है. जिससे इन आरोपियों के लुकआउट नोटिस करने में दिक्कतें आ रही है. ऐसे में कोर्ट में पांचों आरोपियों के खिलाफ अर्जी दायर कर उनकी कुर्की का प्रयास किया जाएगा.
क्या था पूरा घटनाक्रम?
केरल के बिटक्वाइन व्यापारी अब्दुल शकूर की निर्मम हत्या उसके ही साथी कारोबारियों ने 485 करोड़ के लेनदेन को लेकर की थी. आरोपी मृतक शकूर से बिटक्वाइन का पासवर्ड हासिल करना चाहते थे, जिसके चलते उन्होंने अब्दुल को प्रताड़ित कर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. सभी लोग केरल राज्य के रहने वाले हैं. हत्या के आरोपी सभी युवकों की उम्र 20 से 25 वर्ष है. इस हत्याकांड का खुलासा दून पुलिस ने घटना के कुछ ही घंटों के अंदर कर दिखाया था. पुलिस ने मृतक अब्दुल शकूर के साथ कारोबार करने वाले पांच हत्यारोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि इस मामले में पांच लोग अभी पुलिस की पकड़ से फरार हैं. पुलिस जांच पड़ताल में सामने आया था कि बिटक्वाइन कारोबारी अब्दुल शकूर और उसके साथी निवेशकों का करोड़ों रुपया न लौटाने के मकसद से केरल से फरार होकर देहरादून पहुंचे थे.
इस काम के लिये अब्दुल शकूर ने पहले एक कोर ग्रुप बनाया था, जिसमें रिहाब, आसिफ, अरशद और मुनीफ थे. इस कोर ग्रुप ने भी अलग-अलग टीमें बनाई थीं, जिसमें आशिक ने भी अपने करीबी साथियों आफताब, आसिफ, फरासी, सोहेल और अरविंद के साथ एक टीम बनाई जिन्होंने केरल के कई लोगों से बिटकॉइन में इन्वेस्टमेंट करा कर करोड़ों की धनराशि गबन करने की साजिश रची.इतना ही नहीं, सभी कोर ग्रुप के सदस्यों द्वारा पैसा इकट्ठा कर इस साजिश के मास्टरमाइंड अब्दुल शकूर के पास आता था. जब शकूर को बिटक्वाइन में घाटा हो गया तो वह अपनी कंपनी के चार साथियों- आशिक, अरशद, मुनि और रिहाब के साथ केरल से फरार होकर देहरादून पहुंच गया.
इसके बाद अब्दुल शकूर अपने निकट साथी आशिक को यह कहकर गुमराह कर रहा था कि उसका बिटक्वाइन अकाउंट हैक हो गया है और वो अपनी ही क्रिप्टोकरेंसी लांच कर रहा है, जिसमें फायदा होने पर वह केरल निवेशकों का पैसा वापस कर देगा. हालांकि, आशिक को शकूर की बातों पर भरोसा नहीं हुआ. ऐसे में आशिक ने अपने एजेंटों- आफताब, आसिफ, फरासी, सुहेल और अरविंद को साथ मिलाकर बिटक्वाइन पासवर्ड हासिल करने की योजना बनाई. प्लान के मुताबिक, 20 अगस्त को आशिक द्वारा अपने अन्य साथियों संग अब्दुल शकूर को प्रेम नगर क्षेत्र के अंतर्गत सुद्दोवाला स्थित पंकज उनियाल के भवन में लाया गया. सभी ने शकूर पर बिटक्वाइन से संबंधित पासवर्ड देने के लिए उसे तरह-तरह की शारीरिक यातनाएं देना शुरू किया. अत्यधिक शारीरिक यातनाओं से शकूर की मौत हो गई लेकिन मामला कई सौ करोड़ रुपए का था लिहाजा शकूर की मौत होते ही सबके होश फाख्ता हो गए.आरोपियों ने किसी चमत्कार की अपेक्षा करते हुए शकूर को क्रेटा कार के जरिये पहले देहरादून के सिनर्जी अस्पताल पहुंचाया. वहां बात न बनने पर उसको राजपुर रोड स्थित मैक्स अस्पताल में उपचार के पहुंचाया गया. मैक्स अस्पताल में डॉक्टरों की जांच पड़ताल में शकूर को मृत घोषित कर दिया गया, ऐसे में सभी लोग शकूर का शव छोड़कर वहां से भाग निकले.