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हाड़ कंपाती ठंड में 'मजबूर' के लिए नहीं अलाव की व्यवस्था, रहनुमाओं के दावे हवा - उत्तराखंड में बढ़ीं ठंड

राजधानी देहरादून में दिसंबर के तीसरे हफ्ते में सर्दी का सितम कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा है. पहाड़ों पर ऊंचे स्थानों में गिरी बर्फ मैदानी जिलों में सर्द हवा के रूप में कहर ढाह रही है. देहरादून में सर्दी की रातों में बेसहारा, मजलूम और कामगार लोगों के लिए अलाव की कोई व्यवस्था नहीं है.

Winter increased in Dehradun
गरीब-मजलूम जनता की रहनुमा
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Published : Dec 17, 2020, 6:48 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 8:12 PM IST

देहरादून: राजधानी में पिछले एक हफ्ते में ही तापमान करीब सात डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है. सुबह और रात के समय लोगों को इस ठंड का सामना सबसे ज्यादा करना पड़ रहा है. खासतौर पर उन लोगों को जिन्हें सड़कों पर ही अपनी रात बितानी होती है. देहरादून में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री तो अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस से घटकर 21 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. दिन के समय गुनगुनी धूप राहगीरों को कुछ राहत तो दे देती है, लेकिन रात का वक्त हाड़ कंपाने वाली इस ठंड में बिताना बेहद मुश्किल हो जाता है.

ऐसे वक्त में याद उस सरकार की आती है, जिसे वोट देकर गरीबों की ऐसी ही कठिनाइयों को दूर करने के लिए सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाया गया. ईटीवी भारत ने अपने रियलिटी चेक के दौरान ब्लोअर की गर्म हवा से सर्दी को दूर कर रहे कमरों में बैठे अधिकारियों और राजनेताओं की इसी जिम्मेदारी को दिखाने की कोशिश की है.

राहगीरों के लिए नहीं है अलाव की व्यवस्था.

देहरादून में करीब 20 चौक चौराहों से ज्यादा जगह पर नगर निगम अलाव की व्यवस्था करता है. इसके अलावा सर्दियों में जिला प्रशासन की तरफ से कंबल भी वितरित किए जाते हैं. लेकिन इस बार अलाव की व्यवस्था तो की जा रही है, लेकिन समय से नहीं. जिला प्रशासन द्वारा कंबल वितरण जैसा कोई काम नहीं किया गया है. चौक चौराहों पर बैठे बेसहारा लोगों ने इस बात की तस्दीक की है कि सरकार का कोई भी प्रतिनिधि सर्दी के इस मौसम में राहत देने के लिए नहीं पहुंचा है. आंखों में आंसू लिए बाबा भोले हरिद्वार से देहरादून तो पहुंचे. लेकिन यहां पर बेतहाशा बढ़ती ठंड ने उनकी परेशानियों को बढ़ा दिया.

बाबा कहते हैं कि ठंड से राहत देने के लिए सरकार तो सामने नहीं आई लेकिन आम जनता रहनुमा बनकर कंबल बांटने और मदद करने के लिए हाथ बढ़ा रही है, बाबा बताते हैं कि रात के समय शराबियों और चोर उचक्के का भी इस कदर तांडव मचता है कि दिन भर लोगों से मांगकर जो पैसे वह अपने पास रखते हैं, उसे भी चोर उचक्के लूट ले जाते हैं.

ये भी पढ़ें : केंद्रीय दूरसंचार मंत्री से मिले राज्यसभा सांसद बलूनी, उत्तराखंड में बेहतर मोबाइल कनेक्टिविटी की मांग

सड़कों पर रहने वाले बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है. लेकिन यहां पर बीमारी के डर से लोग जाना पसंद नहीं कर रहे. उधर, ऑटो रिक्शा चालक और देर रात तक रोजी-रोटी की तलाश करने वाले चौक चौराहों पर मौजूद लोग कहते हैं कि नगर निगम की तरफ से अलाव की व्यवस्था की जाती है. लेकिन देर रात में सड़कों पर सन्नाटा और सर्दी का सितम से लोग परेशान है. लोगों ने कहा कि इसकी शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती और देर रात तक अलाव का इंतजार करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें : ऑल वेदर रोड की राह आसान, केंद्र ने बॉर्डर एरिया में 10 मीटर चौड़ी सड़क निर्माण की दी अनुमति

वैसे देहरादून में 20 से भी ज्यादा चौक चौराहों पर अलाव की व्यवस्था के लिए नगर निगम में कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी है और देरी से ही सही लेकिन अलाव की व्यवस्था कुछ चौराहों पर दिखाई भी दे रही है. इस सर्द मौसम में अलाव गर्माहट देकर लोगों को कुछ राहत दे रहा है. हालांकि, रात के ठंड भरे इस अंधेरे में और भी कई मांग है जो राहगीरों, बेसहारा और कामगारों की तरफ से की जा रही है. ताकि शीतलहर में ठंड भरी ये रातें आराम से कट सके.

देहरादून: राजधानी में पिछले एक हफ्ते में ही तापमान करीब सात डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है. सुबह और रात के समय लोगों को इस ठंड का सामना सबसे ज्यादा करना पड़ रहा है. खासतौर पर उन लोगों को जिन्हें सड़कों पर ही अपनी रात बितानी होती है. देहरादून में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री तो अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस से घटकर 21 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. दिन के समय गुनगुनी धूप राहगीरों को कुछ राहत तो दे देती है, लेकिन रात का वक्त हाड़ कंपाने वाली इस ठंड में बिताना बेहद मुश्किल हो जाता है.

ऐसे वक्त में याद उस सरकार की आती है, जिसे वोट देकर गरीबों की ऐसी ही कठिनाइयों को दूर करने के लिए सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाया गया. ईटीवी भारत ने अपने रियलिटी चेक के दौरान ब्लोअर की गर्म हवा से सर्दी को दूर कर रहे कमरों में बैठे अधिकारियों और राजनेताओं की इसी जिम्मेदारी को दिखाने की कोशिश की है.

राहगीरों के लिए नहीं है अलाव की व्यवस्था.

देहरादून में करीब 20 चौक चौराहों से ज्यादा जगह पर नगर निगम अलाव की व्यवस्था करता है. इसके अलावा सर्दियों में जिला प्रशासन की तरफ से कंबल भी वितरित किए जाते हैं. लेकिन इस बार अलाव की व्यवस्था तो की जा रही है, लेकिन समय से नहीं. जिला प्रशासन द्वारा कंबल वितरण जैसा कोई काम नहीं किया गया है. चौक चौराहों पर बैठे बेसहारा लोगों ने इस बात की तस्दीक की है कि सरकार का कोई भी प्रतिनिधि सर्दी के इस मौसम में राहत देने के लिए नहीं पहुंचा है. आंखों में आंसू लिए बाबा भोले हरिद्वार से देहरादून तो पहुंचे. लेकिन यहां पर बेतहाशा बढ़ती ठंड ने उनकी परेशानियों को बढ़ा दिया.

बाबा कहते हैं कि ठंड से राहत देने के लिए सरकार तो सामने नहीं आई लेकिन आम जनता रहनुमा बनकर कंबल बांटने और मदद करने के लिए हाथ बढ़ा रही है, बाबा बताते हैं कि रात के समय शराबियों और चोर उचक्के का भी इस कदर तांडव मचता है कि दिन भर लोगों से मांगकर जो पैसे वह अपने पास रखते हैं, उसे भी चोर उचक्के लूट ले जाते हैं.

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सड़कों पर रहने वाले बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है. लेकिन यहां पर बीमारी के डर से लोग जाना पसंद नहीं कर रहे. उधर, ऑटो रिक्शा चालक और देर रात तक रोजी-रोटी की तलाश करने वाले चौक चौराहों पर मौजूद लोग कहते हैं कि नगर निगम की तरफ से अलाव की व्यवस्था की जाती है. लेकिन देर रात में सड़कों पर सन्नाटा और सर्दी का सितम से लोग परेशान है. लोगों ने कहा कि इसकी शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती और देर रात तक अलाव का इंतजार करना पड़ता है.

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वैसे देहरादून में 20 से भी ज्यादा चौक चौराहों पर अलाव की व्यवस्था के लिए नगर निगम में कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी है और देरी से ही सही लेकिन अलाव की व्यवस्था कुछ चौराहों पर दिखाई भी दे रही है. इस सर्द मौसम में अलाव गर्माहट देकर लोगों को कुछ राहत दे रहा है. हालांकि, रात के ठंड भरे इस अंधेरे में और भी कई मांग है जो राहगीरों, बेसहारा और कामगारों की तरफ से की जा रही है. ताकि शीतलहर में ठंड भरी ये रातें आराम से कट सके.

Last Updated : Dec 17, 2020, 8:12 PM IST
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