देहरादून: उत्तराखंड में सरकार और अधिकारी आमने-सामने आ गए हैं. उधम सिंह नगर जिले के पूर्व कप्तान और इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के सेनानायक बरिंदरजीत सिंह अपने उच्च अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगा रहे हैं और अपनी जान को खतरा बताते हुए हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे हैं. जिसके बाद सरकार की चौतरफा निंदा हो रही है. कानून जानकारों का कहना है कि आईपीएस बरिंदरजीत सिंह ने भारतीय पुलिस सर्विस रूल्स 1968 का उल्लंघन किया है. साथ ही देशभर में गलत प्रथा को बढ़ावा दिया है.
इस मामले में कानून के जानकारों ने बताया कि, भारतीय पुलिस सर्विस में यह प्रावधान है कि किसी भी अधिकारी का अगर ट्रांसफर में या अन्य तरह से समस्या होती है तो वह नियम मुताबिक पहले केंद्र सरकार को इस बात के लिए पत्राचार करता है. वहां से तय समयनुसार 12 सप्ताह के उपरांत कोई कार्रवाई नहीं होती हैं तो, आईपीएस अधिकारी को अपने मामले में न्यायालय या अन्य संबंधित विभाग में जाने का अधिकार है. लेकिन आईपीएस बरिंदरजीत सिंह ने इस तरह के मामलें में ऐसा कुछ भी नहीं किया. उन्होंने सीधे ही पुलिस मुख्यालय पर आरोप लगाते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की. जानकारों का कहना है कि, आईपीएस अधिकारी बरिंदर जीत सिंह ने पुलिस सर्विस एक्ट का उल्लंघन किया है. साथ ही अपने उच्चतम अधिकारियों को कोर्ट में जवाब तलब कर जिम्मेदार ठहराया है. यह इंडियन पुलिस सर्विस नियम का अपमान है.
1- विभागीय आरोप के मुताबिक आईपीएस बरिंदरजीत सिंह ने अपने ट्रांसफर से तीन महीने पहले अपने तत्कालीन रिटायर्ड डीआईजी कुमाऊं गढ़वाल की आदेश की अवहेलना करते हुए किसी भी तरह की रिपोर्ट को दरकिनार किया था.
2- आईपीएस बरिंदरजीत सिंह ने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान कैंसर से मौत होने वाले अल्मोड़ा निवासी व्यक्ति के शव को आईपीएस द्वारा अल्मोड़ा आने से रोका. जबकि मृतक के परिजन शव को दो राज्यों से लेकर अल्मोड़ा पहुंचे थे. ऐसे में आरोप अनुसार इस विषय पर भी डीआईजी कुमाऊं के आदेश को नाफरमानी करते हुए उन्होंने कोरोना का हवाला देते हुए शव को गृह क्षेत्र में आने नहीं दिया.
3- उधमसिंह नगर जिले के अंतर्गत आने वाले रुद्रपुर में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार मामले में आरोपित लोगों के दबाव में आकर एक महीने तक जिले के एसएसपी हस्तक्षेप के चलते पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. ऐसे में पुलिस मुख्यालय संज्ञान लेने के बाद ही मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी हुई.
4- अपने तबादले के खिलाफ कोर्ट जाने वाले आईपीएस बरिंदर जीत सिंह ने यह हवाला दिया है कि उन्हें अपराधियों से अपनी जान का खतरा है. जबकि वर्तमान समय में आईपीएस बरिंदर जीत सिंह आईआईबी प्रथम के कमांडेंट होने के नाते उनके पास एक हजार से ज्यादा पुलिस जवान मौजूद है. ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार आईपीएस अधिकारी को किस बात के लिए अपराधियों से अपनी जान का खतरा है.
बता दें कि, इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने पुलिस मुख्यालय से 20 अगस्त तक जवाब तलब करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में पुलिस मुख्यालय कोर्ट जाने वाले आईपीएस अधिकारी के खिलाफ ट्रांसफर से पहले तमाम तरह की शिकायतें के अलावा उच्च अधिकारियों के आदेशों की नाफरमानी और उधमसिंह नगर जिले से तमाम कानून व्यवस्था लेकर जनता की ओर से मिली शिकायतों की रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए तैयारी कर रहा है.
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इस मामले में एडवोकेट चंद्रशेखर तिवारी ने कहां की अगर ऐसे ही राज्य और केंद्र स्तर के अधिकारियों द्वारा ट्रांसफर को लेकर मनमानी करेंगे, तो सरकारें किसी का ट्रांसफर या प्रमोशन कैसे करेगी.