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चुनाव से पहले बहुगुणा खेमा दे सकता है त्रिवेंद्र सरकार को झटका, 'बागियों' में नाराजगी

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Published : Nov 5, 2020, 5:44 PM IST

कांग्रेस से बीजेपी में आए कद्दावर नेता विजय बहुगुणा का राज्यसभा का टिकट कटने के बाद पार्टी कार्यकर्ता उन्हें हल्के में लेने लगे है. पार्टी के सार्वजनिक मंचों पर बहुगुणा के लिए अभद्र टिप्पणी की जा रही है. इसकी शिकायत बहुगुणा खेमे के ही विधायक ने प्रदेश अध्यक्ष से की है. इन बयानों के बाद बीजेपी में कुछ नए कयासों ने जन्म लिया है.

vijay bahuguna
बहुगुणा खेमा नाराज

देहरादून: उत्तराखंड बीजेपी में इन दिनों बहुगुणा खेमा पार्टी से अलग-थलग दिखाई दे रहा है. यूं तो बीजेपी कार्यकर्ताओं की कांग्रेस से आए नेताओं के खिलाफ टिप्पणियां देर-सबेर आती रही हैं, लेकिन अब सीधे पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के खिलाफ ही प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपत्तिजनक टिप्पणी आने से बहुगुणा खेमा खासा नाराज बताया है. ऐसे में नाराजगी के पीछे की वजह क्या है ? और क्या आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बहुगुणा खेमा बीजेपी को तगड़ा झटका दे सकता है?

दरअसल, बीजेपी की एक नेत्री पर विजय बहुगुणा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा है. ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि बहुगुणा खेमा से आने वाले विधायक उमेश काऊ ने लगाया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले ही बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस के तमाम दिग्गज खुद को पार्टी के अंदर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में अब विजय बहुगुणा को लेकर बयान आना बीजेपी में बिखराव की स्थिति पैदा कर रहा है.

पढ़ें- पूर्व CM बहुगुणा पर की गई अभद्र टिप्पणी पर बोले बंशीधर भगत, कहा- उन्हें नहीं मामले की जानकारी

कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस से आए नेता बीजेपी को चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका दे सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार के दौरान ऐसे कई मामले आये हैं जिससे इन नेताओं की नाराजगी सरकार को लेकर बढ़ी है.

हरक सिंह रावत प्रकरण ने बढ़ाई सरकार से दूरियां

कृषि मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी सार्वजनिक तौर पर कुछ दिनों पहले ही उभरकर सामने आई है. हरक सिंह खुले रूप से सरकार के उस निर्णय का विरोध कर चुके हैं जिसमें उन्हें उत्तराखंड भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और उनके करीबियों को सदस्य पद से हटाया गया था. हरक सिंह रावत बेहद आक्रामक नेता हैं और उनकी छवि दबाव में काम करने वाली नहीं रही है. शायद यही कारण है कि हरीश रावत सरकार में बेहद आक्रमक रुख के साथ उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. ठीक इसी तरह की स्थिति अब त्रिवेंद्र सरकार में भी दिखाई दे रही है. ऐसे में उत्तराखंड की सियासत में फिर से ये सवाल तैरने लगा है कि क्या एक बार विजय बहुगुणा खेमा इतिहास दोहराएगा?

Harak Singh Rawat
हरक सिंह रावत

विजय बहुगुणा को पार्टी ने नहीं दिया सम्मान

बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही विजय बहुगुणा को अबतक कोई भी बड़ा पद नहीं दिया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते यह माना जा रहा था कि बीजेपी में कोई बड़ी जिम्मेदारी उन्हें दी जा सकती है, लेकिन करीब तीन साल बीतने के बावजूद भी अबतक वो बिना पद ही निष्क्रिय रूप में दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं.

vijay bahuguna
पूर्व सीएम विजय बहुगुणा

विधायक उमेश काऊ कर चुके हैं शिकायत

कांग्रेस से भाजपा के विधायक उमेश शर्मा काऊ तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को चिट्ठी लिखकर सरकार के खिलाफ अपनी विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं कराए जाने तक की शिकायत कर चुके हैं. उनकी नाराजगी त्रिवेंद्र सिंह रावत से सबसे ज्यादा दिखाई देती है. दरअसल, उमेश शर्मा काऊ त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ कांग्रेस में रहते हुए विधानसभा का चुनाव में उन्हें हरा चुके हैं. ऐसे में राजनीतिज्ञ इस पुरानी टीस को दोनों नेताओं की आपसी दूरियों की वजह मानते हैं.

BJP MLA Umesh
बीजेपी विधायक उमेश काऊ

पढ़ें- अधिकारी की नाराजगी से नहीं चलेगी सरकार, संभालना पड़ेगा कार्यभार: मदन कौशिक

मुख्यमंत्री का विभागों पर सीधा दखल

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का मंत्रियों के विभागों में सीधा दखल भी कांग्रेस से आए नेताओं को पसंद नहीं है. यही कारण है कि कांग्रेस से आए मंत्री कई बार इस पर भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. मंत्रियों के विभागों में ही तमाम फाइलें और उनके विभागों के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं पर मुख्यमंत्री के दखल से यह नाराजगी और भी ज्यादा बढ़ी है.

cm trivendra singh rawat
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

बिहार चुनाव के परिणाम का है इंतजार

बिहार चुनाव परिणाम के नतीजे भी काफी हद तक उत्तराखंड की राजनीति पर असर डालने वाले हैं. दरअसल, चुनाव के नतीजे के बीजेपी के खिलाफ आने पर पार्टी हाईकमान तक यह संदेश जरूर पहुंचाया जाएगा कि राज्यों में बीजेपी की गलत नीतियां नुकसान पहुंचा रही हैं साथ ही बीजेपी के तमाम नेता बिहार चुनाव में व्यस्त हैं. ऐसे में इस व्यस्तता के खत्म होने के बाद कई नए राजनेता पार्टी तक अपनी बातों को पहुंचा सकते हैं.

कांग्रेस से आए नेताओं पर भी है बीजेपी की नजर

कांग्रेस से आए दिग्गज नेता विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य, उमेश शर्मा काऊ, रेखा आर्य पर पार्टी संगठन और सरकार नजर बनाए हुए हैं. भाजपा संगठन और सरकार भी इस बात को जानती है कि ये नेता फिलहाल नाराज चल रहे हैं. ऐसे में इनकी नाराजगी किसी भी पल पार्टी में दलबदल की स्थिति पैदा कर सकती है. खास तौर पर तब, जब लगातार इन नेताओं की तरफ से पार्टी के निर्णय को लेकर अपनी शिकायतें दर्ज कराई जाती रही है.

पढ़ें-पूर्व CM बहुगुणा पर टिप्पणी मामले पर दोनों नेताओं ने दी सफाई, बताया परिवार का मामला

कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ताओं से मिली दुत्कार

भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बेरुखी को कांग्रेस से आए नेताओं को हर पल सहना पड़ा है. कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के दौरान भी भाजपा के नेताओं ने अपना विरोध दर्ज कराया था और इन नेताओं को लेकर संगठन के अंदर भी भाजपा कार्यकर्ता और नेता अपनी शिकायत दर्ज कराते रहे हैं. उधर, कांग्रेस से आए नेताओं पर भी भाजपाई कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगता रहा है.

कहीं ये पार्टी छोड़ने से पहले की सुगबुगाहट तो नहीं

राजनीति के कुछ जानकारी यह भी कहते हैं कि कांग्रेस से आए नेताओं ने अब भाजपा में खुद को नजरअंदाज होता देख पार्टी छोड़ने पर विचार शुरू कर दिया है. ऐसे में ये बागी नेता सही वक्त के इंतजार में हैं, इसलिए अब ये नेता सार्वजनिक रूप से अपनी शिकायत दर्ज कराकर पार्टी छोड़ने से पहले की भूमिका बांध रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड बीजेपी में इन दिनों बहुगुणा खेमा पार्टी से अलग-थलग दिखाई दे रहा है. यूं तो बीजेपी कार्यकर्ताओं की कांग्रेस से आए नेताओं के खिलाफ टिप्पणियां देर-सबेर आती रही हैं, लेकिन अब सीधे पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के खिलाफ ही प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपत्तिजनक टिप्पणी आने से बहुगुणा खेमा खासा नाराज बताया है. ऐसे में नाराजगी के पीछे की वजह क्या है ? और क्या आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बहुगुणा खेमा बीजेपी को तगड़ा झटका दे सकता है?

दरअसल, बीजेपी की एक नेत्री पर विजय बहुगुणा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा है. ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि बहुगुणा खेमा से आने वाले विधायक उमेश काऊ ने लगाया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले ही बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस के तमाम दिग्गज खुद को पार्टी के अंदर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में अब विजय बहुगुणा को लेकर बयान आना बीजेपी में बिखराव की स्थिति पैदा कर रहा है.

पढ़ें- पूर्व CM बहुगुणा पर की गई अभद्र टिप्पणी पर बोले बंशीधर भगत, कहा- उन्हें नहीं मामले की जानकारी

कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस से आए नेता बीजेपी को चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका दे सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार के दौरान ऐसे कई मामले आये हैं जिससे इन नेताओं की नाराजगी सरकार को लेकर बढ़ी है.

हरक सिंह रावत प्रकरण ने बढ़ाई सरकार से दूरियां

कृषि मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी सार्वजनिक तौर पर कुछ दिनों पहले ही उभरकर सामने आई है. हरक सिंह खुले रूप से सरकार के उस निर्णय का विरोध कर चुके हैं जिसमें उन्हें उत्तराखंड भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और उनके करीबियों को सदस्य पद से हटाया गया था. हरक सिंह रावत बेहद आक्रामक नेता हैं और उनकी छवि दबाव में काम करने वाली नहीं रही है. शायद यही कारण है कि हरीश रावत सरकार में बेहद आक्रमक रुख के साथ उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. ठीक इसी तरह की स्थिति अब त्रिवेंद्र सरकार में भी दिखाई दे रही है. ऐसे में उत्तराखंड की सियासत में फिर से ये सवाल तैरने लगा है कि क्या एक बार विजय बहुगुणा खेमा इतिहास दोहराएगा?

Harak Singh Rawat
हरक सिंह रावत

विजय बहुगुणा को पार्टी ने नहीं दिया सम्मान

बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही विजय बहुगुणा को अबतक कोई भी बड़ा पद नहीं दिया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते यह माना जा रहा था कि बीजेपी में कोई बड़ी जिम्मेदारी उन्हें दी जा सकती है, लेकिन करीब तीन साल बीतने के बावजूद भी अबतक वो बिना पद ही निष्क्रिय रूप में दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं.

vijay bahuguna
पूर्व सीएम विजय बहुगुणा

विधायक उमेश काऊ कर चुके हैं शिकायत

कांग्रेस से भाजपा के विधायक उमेश शर्मा काऊ तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को चिट्ठी लिखकर सरकार के खिलाफ अपनी विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं कराए जाने तक की शिकायत कर चुके हैं. उनकी नाराजगी त्रिवेंद्र सिंह रावत से सबसे ज्यादा दिखाई देती है. दरअसल, उमेश शर्मा काऊ त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ कांग्रेस में रहते हुए विधानसभा का चुनाव में उन्हें हरा चुके हैं. ऐसे में राजनीतिज्ञ इस पुरानी टीस को दोनों नेताओं की आपसी दूरियों की वजह मानते हैं.

BJP MLA Umesh
बीजेपी विधायक उमेश काऊ

पढ़ें- अधिकारी की नाराजगी से नहीं चलेगी सरकार, संभालना पड़ेगा कार्यभार: मदन कौशिक

मुख्यमंत्री का विभागों पर सीधा दखल

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का मंत्रियों के विभागों में सीधा दखल भी कांग्रेस से आए नेताओं को पसंद नहीं है. यही कारण है कि कांग्रेस से आए मंत्री कई बार इस पर भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. मंत्रियों के विभागों में ही तमाम फाइलें और उनके विभागों के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं पर मुख्यमंत्री के दखल से यह नाराजगी और भी ज्यादा बढ़ी है.

cm trivendra singh rawat
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

बिहार चुनाव के परिणाम का है इंतजार

बिहार चुनाव परिणाम के नतीजे भी काफी हद तक उत्तराखंड की राजनीति पर असर डालने वाले हैं. दरअसल, चुनाव के नतीजे के बीजेपी के खिलाफ आने पर पार्टी हाईकमान तक यह संदेश जरूर पहुंचाया जाएगा कि राज्यों में बीजेपी की गलत नीतियां नुकसान पहुंचा रही हैं साथ ही बीजेपी के तमाम नेता बिहार चुनाव में व्यस्त हैं. ऐसे में इस व्यस्तता के खत्म होने के बाद कई नए राजनेता पार्टी तक अपनी बातों को पहुंचा सकते हैं.

कांग्रेस से आए नेताओं पर भी है बीजेपी की नजर

कांग्रेस से आए दिग्गज नेता विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य, उमेश शर्मा काऊ, रेखा आर्य पर पार्टी संगठन और सरकार नजर बनाए हुए हैं. भाजपा संगठन और सरकार भी इस बात को जानती है कि ये नेता फिलहाल नाराज चल रहे हैं. ऐसे में इनकी नाराजगी किसी भी पल पार्टी में दलबदल की स्थिति पैदा कर सकती है. खास तौर पर तब, जब लगातार इन नेताओं की तरफ से पार्टी के निर्णय को लेकर अपनी शिकायतें दर्ज कराई जाती रही है.

पढ़ें-पूर्व CM बहुगुणा पर टिप्पणी मामले पर दोनों नेताओं ने दी सफाई, बताया परिवार का मामला

कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ताओं से मिली दुत्कार

भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बेरुखी को कांग्रेस से आए नेताओं को हर पल सहना पड़ा है. कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के दौरान भी भाजपा के नेताओं ने अपना विरोध दर्ज कराया था और इन नेताओं को लेकर संगठन के अंदर भी भाजपा कार्यकर्ता और नेता अपनी शिकायत दर्ज कराते रहे हैं. उधर, कांग्रेस से आए नेताओं पर भी भाजपाई कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगता रहा है.

कहीं ये पार्टी छोड़ने से पहले की सुगबुगाहट तो नहीं

राजनीति के कुछ जानकारी यह भी कहते हैं कि कांग्रेस से आए नेताओं ने अब भाजपा में खुद को नजरअंदाज होता देख पार्टी छोड़ने पर विचार शुरू कर दिया है. ऐसे में ये बागी नेता सही वक्त के इंतजार में हैं, इसलिए अब ये नेता सार्वजनिक रूप से अपनी शिकायत दर्ज कराकर पार्टी छोड़ने से पहले की भूमिका बांध रहे हैं.

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