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उत्तराखंड की समस्याओं पर काफी गंभीर थे CDS बिपिन रावत, ये काम पूरा करने की थी इच्छा

तमिलनाडु में कुन्नूर के पास हेलीकॉप्टर हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस जनरल बिपिन रावत (Chief of Defence Staff General Bipin Rawat) के निधन से उत्तराखंड में शोक की लहर है. CDS बिपिन रावत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह, कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने अपनी बातें साझा की और उनके आकस्मिक निधन को अपूरणीय क्षति बताया.

CDS Bipin Rawat
CDS बिपिन रावत
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Published : Dec 10, 2021, 9:01 AM IST

देहरादून: पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की हेलिकॉप्टर हादसे में असमय निधन से पूरा देश सदमे में है. साथ ही उनके साथ बिताये पलों को हर कोई याद कर रहा है. इस घटना से उत्तराखंड में भी शोक की लहर है. प्रदेशभर में दिवंगत बिपिन रावत को श्रद्धांजलि दी जा रही है. CDS बिपिन रावत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह, कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने अपनी बातें साझा की और उनके आकस्मिक निधन को अपूरणीय क्षति बताया.

सीडीएस जनरल बिपिन रावत का यूं चले जाना देश को स्तब्ध कर गया. हर कोई उनके व्यक्तित्व और रणनीति को आज याद कर रहा है. उत्तराखंड के लिए तो यह क्षति अपूरणीय है. प्रदेश के लिए हर पल बेहतरी सोचने वाले CDS बिपिन रावत को खोने से वह सपने भी धुंधले दिखने लगे हैं. जिन्हें बिपिन रावत बेहद गंभीरता से पूरा करने के लिए हर पल प्रयासरत दिखाई देते थे.

उत्तराखंड की समस्याओं पर काफी गंभीर थे CDS बिपिन रावत.

देश में सेना के सर्वोच्च पद पर जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी उत्तराखंड को हर क्षण ताकत दे दी थी और इसी ताकत की बदौलत प्रदेश की कई योजनाओं को पूरा करने की उम्मीद भी हर पल रहा करती थी, लेकिन अब ऐसी कई योजनाएं और सपने हैं जिनको जनरल बिपिन रावत के जाने से गहरा धक्का लगा है.

बता दें कि, CDS बिपिन रावत उत्तराखंड के रहने वाले थे. उनका पैतृक गांव पौड़ी गढ़वाल में है. सीडीएस बिपिन रावत पौड़ी, द्वारीखाल ब्लॉक के सैंण गांव के मूल निवासी थे. उन्होंने उत्तराखंड के एक छोटे से गांव से निकले बिपिन रावत ने अपनी कार्य कुशलता से खुद को कामयाबी के आसमान पर स्थापित किया. उत्तराखंड से निकलकर देश में सेना के सर्वोच्च पद तक पहुंचने के बावजूद कभी भी बिपिन रावत ने अपने अतीत को नहीं भुलाया. इसका सबसे बड़ा सबूत उनकी सादगी और उत्तराखंड के पहाड़ के प्रति गहरी सोच रही.

बिपिन रावत यूं तो तमाम मौकों पर उत्तराखंड आते रहे और प्रदेश की बेहतरी से जुड़ी बातों को दिल्ली से भी दोहराते रहे. लेकिन उनका पहाड़ के प्रति लगाव और दिल का चुनाव इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद उत्तराखंड में ही बसने का फैसला किया था. यही नहीं अपने गांव और ननिहाल जाकर उन्होंने इसका संदेश भी दिया. जनरल बिपिन रावत ऐसी कई बातें थी जिनको उत्तराखंड में पूरा करना चाहते थे.

पढ़ें: प्रदेशवासियों ने कैंडल जलाकर अपने 'हीरो' को दी श्रद्धांजलि, लोगों की आंखें हुईं नम

दरअसल, जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के होने के साथ ही उनका सरल व्यवहार होने के चलते राज्य सरकार और तमाम दूसरे लोग भी उनसे मुलाकात कर प्रदेश की तमाम जरूरतों को उनके सामने रखते थे. यहीं नहीं उनका सकारात्मक व्यवहार इन मांगों पर गंभीरता से विचार के बाद समस्याओं के समाधान की भी उम्मीद जगाता था. शायद यही कारण है कि प्रदेश में ऐसी कई योजनाएं और काम थे जिनके उनके रहते हुए पूरा होने की उम्मीद हमेशा थी, जोकि उनके जाने के बाद अब प्रदेश को इस रूप में भी गहरा धक्का लगा है.

कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल का कहना है कि पिथौरागढ़ में भर्ती केंद्र खोले जाने को लेकर उनके द्वारा बिपिन रावत से मुलाकात की जानी थी, लेकिन उससे पहले ही इस घटना ने प्रदेश को गहरा आघात पहुंचाया है.

इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए सीमांत क्षेत्र में खाली होते गांव को लेकर हमेशा ही उनकी बिपिन रावत से मुलाकात होती रही और उन्होंने हमेशा इस बात को लेकर चिंता जाहिर की कि जो गांव खाली हो रहे हैं वहां पर न केवल पलायन को रोकना है बल्कि रिवर्स पलायन की भी कोशिश की जानी चाहिए.

पढ़ें: विधानसभा का शीतकालीन सत्र: CM समेत सभी नेताओं ने CDS बिपिन रावत को दी श्रद्धांजलि

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का कहा कि बिपिन रावत के जाने की बात को यकीन करना बेहद मुश्किल है. उन्होंने कहा कि चिल्लरखाल मार्ग को लेकर भी उन्होंने बिपिन रावत से बात की थी. यहीं नहीं सेना के स्कूल खोले जाने और मेडिकल सुविधाएं स्थापित किए जाने को लेकर भी उनके द्वारा बिपिन रावत से मुलाकात की गई थी.

देहरादून: पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की हेलिकॉप्टर हादसे में असमय निधन से पूरा देश सदमे में है. साथ ही उनके साथ बिताये पलों को हर कोई याद कर रहा है. इस घटना से उत्तराखंड में भी शोक की लहर है. प्रदेशभर में दिवंगत बिपिन रावत को श्रद्धांजलि दी जा रही है. CDS बिपिन रावत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह, कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने अपनी बातें साझा की और उनके आकस्मिक निधन को अपूरणीय क्षति बताया.

सीडीएस जनरल बिपिन रावत का यूं चले जाना देश को स्तब्ध कर गया. हर कोई उनके व्यक्तित्व और रणनीति को आज याद कर रहा है. उत्तराखंड के लिए तो यह क्षति अपूरणीय है. प्रदेश के लिए हर पल बेहतरी सोचने वाले CDS बिपिन रावत को खोने से वह सपने भी धुंधले दिखने लगे हैं. जिन्हें बिपिन रावत बेहद गंभीरता से पूरा करने के लिए हर पल प्रयासरत दिखाई देते थे.

उत्तराखंड की समस्याओं पर काफी गंभीर थे CDS बिपिन रावत.

देश में सेना के सर्वोच्च पद पर जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी उत्तराखंड को हर क्षण ताकत दे दी थी और इसी ताकत की बदौलत प्रदेश की कई योजनाओं को पूरा करने की उम्मीद भी हर पल रहा करती थी, लेकिन अब ऐसी कई योजनाएं और सपने हैं जिनको जनरल बिपिन रावत के जाने से गहरा धक्का लगा है.

बता दें कि, CDS बिपिन रावत उत्तराखंड के रहने वाले थे. उनका पैतृक गांव पौड़ी गढ़वाल में है. सीडीएस बिपिन रावत पौड़ी, द्वारीखाल ब्लॉक के सैंण गांव के मूल निवासी थे. उन्होंने उत्तराखंड के एक छोटे से गांव से निकले बिपिन रावत ने अपनी कार्य कुशलता से खुद को कामयाबी के आसमान पर स्थापित किया. उत्तराखंड से निकलकर देश में सेना के सर्वोच्च पद तक पहुंचने के बावजूद कभी भी बिपिन रावत ने अपने अतीत को नहीं भुलाया. इसका सबसे बड़ा सबूत उनकी सादगी और उत्तराखंड के पहाड़ के प्रति गहरी सोच रही.

बिपिन रावत यूं तो तमाम मौकों पर उत्तराखंड आते रहे और प्रदेश की बेहतरी से जुड़ी बातों को दिल्ली से भी दोहराते रहे. लेकिन उनका पहाड़ के प्रति लगाव और दिल का चुनाव इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद उत्तराखंड में ही बसने का फैसला किया था. यही नहीं अपने गांव और ननिहाल जाकर उन्होंने इसका संदेश भी दिया. जनरल बिपिन रावत ऐसी कई बातें थी जिनको उत्तराखंड में पूरा करना चाहते थे.

पढ़ें: प्रदेशवासियों ने कैंडल जलाकर अपने 'हीरो' को दी श्रद्धांजलि, लोगों की आंखें हुईं नम

दरअसल, जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के होने के साथ ही उनका सरल व्यवहार होने के चलते राज्य सरकार और तमाम दूसरे लोग भी उनसे मुलाकात कर प्रदेश की तमाम जरूरतों को उनके सामने रखते थे. यहीं नहीं उनका सकारात्मक व्यवहार इन मांगों पर गंभीरता से विचार के बाद समस्याओं के समाधान की भी उम्मीद जगाता था. शायद यही कारण है कि प्रदेश में ऐसी कई योजनाएं और काम थे जिनके उनके रहते हुए पूरा होने की उम्मीद हमेशा थी, जोकि उनके जाने के बाद अब प्रदेश को इस रूप में भी गहरा धक्का लगा है.

कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल का कहना है कि पिथौरागढ़ में भर्ती केंद्र खोले जाने को लेकर उनके द्वारा बिपिन रावत से मुलाकात की जानी थी, लेकिन उससे पहले ही इस घटना ने प्रदेश को गहरा आघात पहुंचाया है.

इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए सीमांत क्षेत्र में खाली होते गांव को लेकर हमेशा ही उनकी बिपिन रावत से मुलाकात होती रही और उन्होंने हमेशा इस बात को लेकर चिंता जाहिर की कि जो गांव खाली हो रहे हैं वहां पर न केवल पलायन को रोकना है बल्कि रिवर्स पलायन की भी कोशिश की जानी चाहिए.

पढ़ें: विधानसभा का शीतकालीन सत्र: CM समेत सभी नेताओं ने CDS बिपिन रावत को दी श्रद्धांजलि

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का कहा कि बिपिन रावत के जाने की बात को यकीन करना बेहद मुश्किल है. उन्होंने कहा कि चिल्लरखाल मार्ग को लेकर भी उन्होंने बिपिन रावत से बात की थी. यहीं नहीं सेना के स्कूल खोले जाने और मेडिकल सुविधाएं स्थापित किए जाने को लेकर भी उनके द्वारा बिपिन रावत से मुलाकात की गई थी.

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