ETV Bharat / state

कारगिल शहीद की ये आखिरी चिट्ठी, आपकी आंखें कर देगी नम - family of Kagrill martyr Rajesh Gurung

राजेश गुरुंग को कारगिल में लड़ते हुे जब अहसास हुआ कि अबकी बार लड़ाई आर-पार की है तो उन्होंने अपने आखिरी समय में घर वालों को एक चिट्ठी लिखी. जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ के नहीं देखा. शहादत के कई सालों बाद भी राजेश की ये चिट्ठी उनके होने का एहसास दिलाती है.

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'
author img

By

Published : Jul 23, 2020, 7:00 PM IST

Updated : Jul 25, 2020, 6:19 PM IST

देहरादून: कारगिल शहीदों के शौर्य और पराक्रम की अनगिनत कहानियां और किस्से हैं, जो समय-समय पर उनके बलिदान की याद दिलाते हैं. ऐसी ही एक कहानी नागा रेजीमेंट के जांबाज शहीद राजेश गुरुंग की भी है. राजेश गुरुंग 6 जुलाई 1999 को अपने सात साथियों के साथ टाइगर हिल पर पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये थे. राजेश की देश सेवा और जज्बे का अंदाजा उनकी लिखी आखिरी चिट्ठी से लगाया जा सकता है. बीस साल बाद भी राजेश की ये चिट्ठी शरीर में सिहरन पैदा करने वाली है.

राजेश गुरुंग का जन्म 3 मई 1975 को हुआ. उनके पिता भी सेना में थे. यही वजह थी कि देश भक्ति उनके खून में ही मौजूद थी. बचपन से राजेश गुरंग का पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद में मन लगता था. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कई बार आर्मी में भर्ती होने की कोशिश की, मगर वह हर बार असफल हुए. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. राजेश गुरुंग ने बिना आर्मी में भर्ती हुए ही गढ़वाल रेजीमेंट के हेडक्वार्टर लैंसडाउन की मैस में 3 महीने काम किया. इसी दौरान राजेश ने कोटद्वार के लैंसडाउन में ही भर्ती में हिस्सा लिया. इस बार राजेश गुरुंग सेना में भर्ती होने में सफल रहे. वो 12 जुलाई 1994 को सेना में शामिल हुए, जिसके 5 साल बाद ही राजेश टाइगर हिल पर विरोधियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये.

कारगिल की कहानी

कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल पर दुश्मनों के कब्जे वाली अपनी चौकियों को वापस पाने के लिए भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर चढ़ाई की थी. इसमें सबसे आगे सेकेंड नागा रेजीमेंट की पहली टुकड़ी के 8 जवान थे, जिनमें राजेश गुरंग भी शामिल थे. कई हफ्तों तक चले इस ऑपरेशन के दौरान टाइगर हिल पर राजेश गुरुंग और उनके साथी दुश्मनों से लड़ते रहे. जब उन्हें यह एहसास हुआ कि अबकी बार लड़ाई आर-पार की है तो उन्होंने अपने आखिरी समय में घर वालों को एक चिट्ठी लिखी, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ के नहीं देखा. शहादत के कई सालों बाद भी राजेश की ये चिट्ठी उनके होने का एहसास दिलाती है.

कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

शहीद होने से पहले राजेश गुरुंग की चिट्ठी
सेकेंड नागा रेजीमेंट के जवान, आर्मी नंबर 1470 2915, सिपाही राजेश गुरुंग, मौत से सीधा मुकाबला करने जा रहे राजेश गुरुंग के आखिरी पलों की ये चिट्ठी उनके देश प्रेम के साथ ही परिवार के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाते हैं. अपनी चिट्ठी में शहीद राजेश अपने मां- पिता को प्रणाम करते हुए घर में सभी के ठीक होने की कामना करते हैं.

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

...वो आखिरी चिट्ठी

राजेश अपने पिता को लिखते हैं कि 'पिताजी जिस जगह पर हम अभी मौजूद हैं वहां से हम वापस लौट पाएंगे या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता है, हां अगर मैं जिंदा बच गया तो दो या तीन दिन बाद आपको फोन आएगा और अगर नहीं बचा तो मेरी जगह किसी और का फोन आएगा. राजेश भावुक माहौल को बदलते हुए अपने परिवार से अपने साथ मौजूद अन्य साथियों की बात करते हैं. वे बताते हैं कि उसके साथ मौजूद उसके सीनियर महेंद्र दाज्यू भी ठीक हैं. साथ ही राजेश शिकायती लहजे में कहते हैं कि आप लोग क्यों नहीं चिट्ठी लिखते हो ? मैं क्या इसी दिन के लिए फौज में भर्ती हुआ था.'

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'
last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

साथ ही वे चिट्ठी में कुछ पुरानी चिट्ठियों का जिक्र भी करते हैं. इसके अलावा वो कुछ फोटो मिलने की बात भी कहते हैं. राजेश लिखते हैं कि, 'टाइगर हिल पर जरूरी नहीं कि उन्हें सारी चिट्ठियां मिले.' आखिर में कागज की सीमित बंदिशों में अपनी भावनाओं को समझते हुए राजेश अपनी मंगेतर सपना को याद करतें हैं. वे कहते हैं कि, 'सपना को भी मेरी चिट्ठी पहुंचा देना. उससे कहना मैं ठीक हूं'. सारी, बातें और शिकायतों के साथ राजेश लिखतें हैं कि, 'बस यह लड़ाई खत्म हो जाए. फिर देखना आपका बेटा आपका और देश का नाम रोशन कर वापस लौटेगा.'

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'
last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

शहीद राजेश गुरुंग के भाई अजय गुरुंग और मां बसंती देवी आज भी नम आंखों से राजेश को याद करती हैं. अजय गुरुंग कहते हैं कि भाई के शौर्य और बलिदान पर उन्हें गर्व है. अजय गुरुंग ने बताया कि उनके परिवार में 3 लोग सेना में सेवाएं दे चुके हैं. शहीद भाई राजेश गुरुंग की शहादत के बाद उनका एक और भाई भी सेना में शामिल हुआ. शहीद राजेश गुरुंग के परिवार को आज भी सरकारों से कोई खास मदद नहीं मिल पाई है. वे कहते हैं कि शहादत के वक्त सरकार के किये गये तमाम दावे और वादे आज भी पूरे नहीं किए गए हैं.

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'
last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

आज भले ही राजेश अपने परिवार के बीच न हो, मगर उनकी कहानियां, किस्से और यादें हमेशा ही उनकी आंखों को नम करती रहती हैं, परिजनों की आंख से निकले ये आंसू राजेश गुरुंग की वीरता, साहस की निशानी हैं, जिसे परिजन हमेशा ही सहेज कर रखना चाहते हैं.

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

देहरादून: कारगिल शहीदों के शौर्य और पराक्रम की अनगिनत कहानियां और किस्से हैं, जो समय-समय पर उनके बलिदान की याद दिलाते हैं. ऐसी ही एक कहानी नागा रेजीमेंट के जांबाज शहीद राजेश गुरुंग की भी है. राजेश गुरुंग 6 जुलाई 1999 को अपने सात साथियों के साथ टाइगर हिल पर पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये थे. राजेश की देश सेवा और जज्बे का अंदाजा उनकी लिखी आखिरी चिट्ठी से लगाया जा सकता है. बीस साल बाद भी राजेश की ये चिट्ठी शरीर में सिहरन पैदा करने वाली है.

राजेश गुरुंग का जन्म 3 मई 1975 को हुआ. उनके पिता भी सेना में थे. यही वजह थी कि देश भक्ति उनके खून में ही मौजूद थी. बचपन से राजेश गुरंग का पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद में मन लगता था. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कई बार आर्मी में भर्ती होने की कोशिश की, मगर वह हर बार असफल हुए. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. राजेश गुरुंग ने बिना आर्मी में भर्ती हुए ही गढ़वाल रेजीमेंट के हेडक्वार्टर लैंसडाउन की मैस में 3 महीने काम किया. इसी दौरान राजेश ने कोटद्वार के लैंसडाउन में ही भर्ती में हिस्सा लिया. इस बार राजेश गुरुंग सेना में भर्ती होने में सफल रहे. वो 12 जुलाई 1994 को सेना में शामिल हुए, जिसके 5 साल बाद ही राजेश टाइगर हिल पर विरोधियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये.

कारगिल की कहानी

कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल पर दुश्मनों के कब्जे वाली अपनी चौकियों को वापस पाने के लिए भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर चढ़ाई की थी. इसमें सबसे आगे सेकेंड नागा रेजीमेंट की पहली टुकड़ी के 8 जवान थे, जिनमें राजेश गुरंग भी शामिल थे. कई हफ्तों तक चले इस ऑपरेशन के दौरान टाइगर हिल पर राजेश गुरुंग और उनके साथी दुश्मनों से लड़ते रहे. जब उन्हें यह एहसास हुआ कि अबकी बार लड़ाई आर-पार की है तो उन्होंने अपने आखिरी समय में घर वालों को एक चिट्ठी लिखी, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ के नहीं देखा. शहादत के कई सालों बाद भी राजेश की ये चिट्ठी उनके होने का एहसास दिलाती है.

कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

शहीद होने से पहले राजेश गुरुंग की चिट्ठी
सेकेंड नागा रेजीमेंट के जवान, आर्मी नंबर 1470 2915, सिपाही राजेश गुरुंग, मौत से सीधा मुकाबला करने जा रहे राजेश गुरुंग के आखिरी पलों की ये चिट्ठी उनके देश प्रेम के साथ ही परिवार के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाते हैं. अपनी चिट्ठी में शहीद राजेश अपने मां- पिता को प्रणाम करते हुए घर में सभी के ठीक होने की कामना करते हैं.

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

...वो आखिरी चिट्ठी

राजेश अपने पिता को लिखते हैं कि 'पिताजी जिस जगह पर हम अभी मौजूद हैं वहां से हम वापस लौट पाएंगे या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता है, हां अगर मैं जिंदा बच गया तो दो या तीन दिन बाद आपको फोन आएगा और अगर नहीं बचा तो मेरी जगह किसी और का फोन आएगा. राजेश भावुक माहौल को बदलते हुए अपने परिवार से अपने साथ मौजूद अन्य साथियों की बात करते हैं. वे बताते हैं कि उसके साथ मौजूद उसके सीनियर महेंद्र दाज्यू भी ठीक हैं. साथ ही राजेश शिकायती लहजे में कहते हैं कि आप लोग क्यों नहीं चिट्ठी लिखते हो ? मैं क्या इसी दिन के लिए फौज में भर्ती हुआ था.'

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'
last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

साथ ही वे चिट्ठी में कुछ पुरानी चिट्ठियों का जिक्र भी करते हैं. इसके अलावा वो कुछ फोटो मिलने की बात भी कहते हैं. राजेश लिखते हैं कि, 'टाइगर हिल पर जरूरी नहीं कि उन्हें सारी चिट्ठियां मिले.' आखिर में कागज की सीमित बंदिशों में अपनी भावनाओं को समझते हुए राजेश अपनी मंगेतर सपना को याद करतें हैं. वे कहते हैं कि, 'सपना को भी मेरी चिट्ठी पहुंचा देना. उससे कहना मैं ठीक हूं'. सारी, बातें और शिकायतों के साथ राजेश लिखतें हैं कि, 'बस यह लड़ाई खत्म हो जाए. फिर देखना आपका बेटा आपका और देश का नाम रोशन कर वापस लौटेगा.'

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'
last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

शहीद राजेश गुरुंग के भाई अजय गुरुंग और मां बसंती देवी आज भी नम आंखों से राजेश को याद करती हैं. अजय गुरुंग कहते हैं कि भाई के शौर्य और बलिदान पर उन्हें गर्व है. अजय गुरुंग ने बताया कि उनके परिवार में 3 लोग सेना में सेवाएं दे चुके हैं. शहीद भाई राजेश गुरुंग की शहादत के बाद उनका एक और भाई भी सेना में शामिल हुआ. शहीद राजेश गुरुंग के परिवार को आज भी सरकारों से कोई खास मदद नहीं मिल पाई है. वे कहते हैं कि शहादत के वक्त सरकार के किये गये तमाम दावे और वादे आज भी पूरे नहीं किए गए हैं.

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'
last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'

आज भले ही राजेश अपने परिवार के बीच न हो, मगर उनकी कहानियां, किस्से और यादें हमेशा ही उनकी आंखों को नम करती रहती हैं, परिजनों की आंख से निकले ये आंसू राजेश गुरुंग की वीरता, साहस की निशानी हैं, जिसे परिजन हमेशा ही सहेज कर रखना चाहते हैं.

last-letter-of-kargil-martyr-rajesh-gurung
कारगिल शहीद की आखिरी चिट्ठी'
Last Updated : Jul 25, 2020, 6:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.