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पितृ अमावस्या: त्रिवेणी घाट पर उमड़ी पिंडदान करने वालों की भीड़

ऋषिकेश के गंगा तट पर कई जिलों के लोग अपने पितरों का पिंडदान कराने पहुंचे हैं. लोगों का कहना है कि पितृ अमावस्या के दिन मृतकों का पिंडदान करने पर पितृ अपने लोक को लौट जाते हैं.

Rishikesh
गंगा तट पर उमड़े पिंडदान करने वाले लोग
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Published : Sep 17, 2020, 11:53 AM IST

ऋषिकेश: पितृ अमावस्या के अवसर पर त्रिवेणी घाट पर लोग पिंडदान करा रहे हैं. सभी अपने पितरों को तर्पण कर विदाई दे रहे हैं. लोगों का कहना है कि आज के दिन यानी कि पितृ अमावस्या को सभी पितृ अपने-अपने लोक को लौट जाते हैं.

गंगा तट पर उमड़े पिंडदान करने वाले लोग

ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर अलग-अलग जिलों के लोग मां गंगा के तट पर पहुंच रहे हैं और अपने पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं. तट पर मौजूद ब्राह्मण पूरे विधि-विधान से पिंडदान करवा के श्राद्ध की प्रक्रिया को पूरा कर रहे हैं. पंडितों के अनुसार, इस दिन को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन उन मृत लोगों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु की तिथि नहीं पता होती है. पंडितों का कहना है कि अगर किसी कारणवश मृतक का श्राद्ध नहीं हो पाया है, तो अमावस्या पर श्राद्ध कर्म किए जा सकता है.

ये भी पढ़ें: देहरादून रेलवे स्टेशन के कुली नंबर 145 की कहानी खुद की जुबानी

गंगा तट के पंडितों का कहना है कि पितृ मोक्ष अमावस्या पर सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों के पिंडदान का शुभ कर्म करना चाहिए. मान्यता है कि पितृ पक्ष में सभी पितृ देवता धरती पर अपने कुल के घरों में आते हैं और धूप-ध्यान और तर्पण आदि ग्रहण करते हैं. अमावस्या पर सभी पितृ अपने-अपने लोक को लौट जाते हैं.

ऋषिकेश: पितृ अमावस्या के अवसर पर त्रिवेणी घाट पर लोग पिंडदान करा रहे हैं. सभी अपने पितरों को तर्पण कर विदाई दे रहे हैं. लोगों का कहना है कि आज के दिन यानी कि पितृ अमावस्या को सभी पितृ अपने-अपने लोक को लौट जाते हैं.

गंगा तट पर उमड़े पिंडदान करने वाले लोग

ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर अलग-अलग जिलों के लोग मां गंगा के तट पर पहुंच रहे हैं और अपने पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं. तट पर मौजूद ब्राह्मण पूरे विधि-विधान से पिंडदान करवा के श्राद्ध की प्रक्रिया को पूरा कर रहे हैं. पंडितों के अनुसार, इस दिन को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन उन मृत लोगों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु की तिथि नहीं पता होती है. पंडितों का कहना है कि अगर किसी कारणवश मृतक का श्राद्ध नहीं हो पाया है, तो अमावस्या पर श्राद्ध कर्म किए जा सकता है.

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