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'जसवंतगढ़' नाम से जाना जाएगा लैंसडाउन!  छावनी बोर्ड ने रक्षा मंत्रालय को भेजा प्रस्ताव, लोगों ने किया विरोध - देहरादून की ताजा खबरें

पौड़ी जिले के हिल स्टेशन लैंसडाउन शहर का नाम महावीर चक्र विजेता जसवंत सिंह के नाम पर जसंवतगढ़ रखने का सुझाव दिया गया है. ये सुझाव छावनी बोर्ड ने दिया है. सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई है.

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'जसवंतगढ़' नाम से जाना जाएगा लैंसडाउन
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Published : Jul 1, 2023, 5:36 PM IST

Updated : Jul 1, 2023, 7:08 PM IST

देहरादून: लैंसडाउन छावनी बोर्ड ने उत्तराखंड के पौड़ी जिले के लोकप्रिय पर्यटक स्थल लैंसडाउन शहर का नाम बदलकर 1962 के भारत-चीन युद्ध के नायक जसवंत सिंह के नाम पर जसवंतगढ़ करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है.नाम बदलने की सिफारिश रक्षा मंत्रालय को भेज दी गई है. सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

रक्षा मंत्रालय को भेजी गई नाम बदलने की सिफारिश: सूत्रों के मुताबिक छावनी बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर विजय मोहन चौधरी की अध्यक्षता में इस सप्ताह हुई बैठक में लैंसडाउन का नाम बदलकर महावीर चक्र विजेता जसवंत सिंह के नाम पर जसंवतगढ़ रखने का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसी बीच ब्रिगेडियर विजय मोहन चौधरी ने बताया कि नाम बदलने की सिफारिश रक्षा मंत्रालय को भेज दी गई है.

स्थानीय लोग नाम बदलने का कर रहे विरोध: 132 साल पहले तत्कालीन वायसराय के नाम पर इसका नाम लैंसडाउन होने से पहले इस शहर को "कलौं का डांडा" कहा जाता था. जिसका अर्थ है काले बादलों से घिरी पहाड़ी. हालांकि, लैंसडाउन छावनी बोर्ड ने उल्लेख किया है कि स्थानीय लोग हिल स्टेशन का नाम बदलने का विरोध कर रहे हैं. बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में कहा कि फिर भी, अगर इसे बदलना ही है, तो 1962 के भारत-चीन युद्ध के नायक, जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था, उनके नाम पर इसका नाम बदलकर जसवंतगढ़ करना सबसे तर्कसंगत होगा.

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'जसवंतगढ़' नाम से जाना जाएगा लैंसडाउन

ये भी पढ़ें: स्मार्ट सिटी के नाम पर देहरादून शहर की 'दुर्दशा', सड़कों पर चलना दुभर, ट्रैफिक पुलिस का 'ड्रोन एक्शन'

72 घंटे तक चीनी सैनिकों को रोकने के बाद हुए थे शहीद: जसवंत सिंह पौडी जिले के बीरोंखाल क्षेत्र के बैरिया गांव के रहने वाले थे. 1962 के भारत-चीन संघर्ष के दौरान 17 नवंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों को 72 घंटों तक आगे बढ़ने से रोकने के बाद वे शहीद हो गए थे. वह उस समय तवांग में गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन में तैनात थे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहले कह चुके हैं कि भारत के औपनिवेशिक अतीत की याद दिलाने वाले ब्रिटिश काल के नामों को बदला जाएगा.

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लैंसडाउन छावनी बोर्ड
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में कछुआ गति से चल रहा है रिस्क असेसमेंट का काम, जोशीमठ आपदा के बाद भी लापरवाही!

इनपुट पीटीआई

देहरादून: लैंसडाउन छावनी बोर्ड ने उत्तराखंड के पौड़ी जिले के लोकप्रिय पर्यटक स्थल लैंसडाउन शहर का नाम बदलकर 1962 के भारत-चीन युद्ध के नायक जसवंत सिंह के नाम पर जसवंतगढ़ करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है.नाम बदलने की सिफारिश रक्षा मंत्रालय को भेज दी गई है. सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

रक्षा मंत्रालय को भेजी गई नाम बदलने की सिफारिश: सूत्रों के मुताबिक छावनी बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर विजय मोहन चौधरी की अध्यक्षता में इस सप्ताह हुई बैठक में लैंसडाउन का नाम बदलकर महावीर चक्र विजेता जसवंत सिंह के नाम पर जसंवतगढ़ रखने का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसी बीच ब्रिगेडियर विजय मोहन चौधरी ने बताया कि नाम बदलने की सिफारिश रक्षा मंत्रालय को भेज दी गई है.

स्थानीय लोग नाम बदलने का कर रहे विरोध: 132 साल पहले तत्कालीन वायसराय के नाम पर इसका नाम लैंसडाउन होने से पहले इस शहर को "कलौं का डांडा" कहा जाता था. जिसका अर्थ है काले बादलों से घिरी पहाड़ी. हालांकि, लैंसडाउन छावनी बोर्ड ने उल्लेख किया है कि स्थानीय लोग हिल स्टेशन का नाम बदलने का विरोध कर रहे हैं. बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में कहा कि फिर भी, अगर इसे बदलना ही है, तो 1962 के भारत-चीन युद्ध के नायक, जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था, उनके नाम पर इसका नाम बदलकर जसवंतगढ़ करना सबसे तर्कसंगत होगा.

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72 घंटे तक चीनी सैनिकों को रोकने के बाद हुए थे शहीद: जसवंत सिंह पौडी जिले के बीरोंखाल क्षेत्र के बैरिया गांव के रहने वाले थे. 1962 के भारत-चीन संघर्ष के दौरान 17 नवंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों को 72 घंटों तक आगे बढ़ने से रोकने के बाद वे शहीद हो गए थे. वह उस समय तवांग में गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन में तैनात थे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहले कह चुके हैं कि भारत के औपनिवेशिक अतीत की याद दिलाने वाले ब्रिटिश काल के नामों को बदला जाएगा.

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Last Updated : Jul 1, 2023, 7:08 PM IST
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