ऋषिकेश: इसे पुलिस और प्रशासन की लापरवाही कहें या फिर कुछ और. शासन के आदेश पर जिस लक्ष्मण झूला पर स्थायी रूप से आवाजाही रोक दी थी. मंगलवार को वहां फिर से आवाजाही शुरू हो गई. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इसकी जानकारी न तो स्थानीय प्रशासन को है और न ही पुलिस को.
सोमवार देर शाम करीब साढ़े सात बजे स्थानीय प्रशासन ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में पुल को लोहे की चादरों से सील कर दिया था. बावजूद इसके एक बार फिर पुल को खोल दिया गया. पुल पर से लोग आवाजाही कर रहे हैं. दोनों ओर से लोहे की चादरों को हटा दिया गया था. ईटीवी भारत की टीम ने खुद मौके पर जाकर ये देखा. ईटीवी भारत ने जब इस बारे में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता मोहम्मद आरिफ से फोन पर बात कि तो उन्होंने इस बात से साफ इनकार किया.
पढ़ें- लक्ष्मण झूला पुल को लेकर हैं कई विकल्प, विशेषज्ञों की ली जा रही मदद
आरिफ कहना है कि लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. लक्ष्मण झूला पुल का गेट नहीं खोला गया है, लेकिन जब उनसे कहा गया कि गेट खुला हुआ है तो उन्होंने कहा कि वे अपने अधिकारियों को भेज कर इस मामले को दिखवाएंगे. वहीं, मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों को भी गेट के खुलने की कोई जानकारी नहीं थी.
बता दें कि ऋषिकेश में सुरक्षा कारणों से लक्ष्मण झूला बंद कर दिया गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि लक्ष्मण झूला अब और ज्यादा भार सहन नहीं कर सकता, क्योंकि पुल के ज्यादातर हिस्से बहुत कमजोर हो गए हैं या गिरने की स्थिति में पहुंच गए हैं. इसकी वजह से पुल का एक हिस्सा झुका हुआ सा महसूस होता है. लक्ष्मण झूले को चालू रखना बहुत जोखिम भरा था. खासकर आगामी कांवड़ यात्रा को देखते हुए ऐसा करना काफी मुश्किल था.
पढ़ें- ऋषिकेश: लक्ष्मणझूला पुल पूरी तरह से बंद, प्रशासन ने किया सील
1923 में गंगा पर लक्ष्मण झूले का निर्माण किया गया था. लक्ष्मण झूला दो गांव टिहरी के तपोवन और पौड़ी के जोंक जिले को आपस में जोड़ता है. यह ऋषिकेश घूमने आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
हिंदू मान्यता के अनुसार, यहीं से लक्ष्मण ने जूट की रस्सियों से गंगा पार की थी. इस पुल पर बहुत सारी हिंदी फिल्में और सीरियल भी शूट किए गए हैं. इसमें गंगा की सौगंध, सन्यासी और CID का नाम शामिल हैं.