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बीमार दून अस्पताल का कौन करे इलाज, अब तो नर्सिंग स्टाफ भी जूझ रहा इस 'बीमारी' से - देहरादून न्यूज

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में वर्तमान समय में 35 से 40 फीसदी ही नर्सिंग स्टाफ है. जबकि, करीब 50 से 60 फीसदी नर्सिंग स्टाफ का अभी भी टोटा है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज इलाज कराने और सैकड़ों मरीज भर्ती होते हैं. उन्हें 40 फीसदी स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वॉय से कैसे देखभाल और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करा सकते हैं?

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दून मेडिकल कॉलेज
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Published : Jan 26, 2020, 9:21 PM IST

देहरादूनः सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सरकारी अस्पतालों में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही संसाधन. जब देहरादून का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल ही नर्सिंग स्टाफ की कमी के जूझ रहा हो तो सवाल काफी गंभीर हो जाता है. यहां पर नर्सिंग स्टाफ और वार्ड ब्वॉय की कमी के चलते अस्पताल वेंटिलेटर पर पहुंच गया है.

ऐसे में सवाल उठना भी लाजिमी है कि राजधानी के ही अस्पतालों के हालत इतने चिंताजनक हैं तो दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में आखिर कैसे स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी? ईटीवी भारत के साथ जानिए सरकारी अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का सूरते हाल.

दून मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग स्टाफ की कमी.

प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज ही नर्सिंग स्टाफ और वार्ड ब्वॉय की कमी से जूझ रहा है. जो सरकार के तमाम दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. खासतौर पर स्वास्थ्य सेवाएं सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार बताई जाती है. वहीं, राजधानी में नर्सिंग स्टॉफ के लिए नियमानुसार मरीजों की देखभाल और इलाज करना भी चुनौती बन गया है.

एक नर्स कर रही 40 मरीजों की देखभाल

दरअसल, 3 मरीजों के इलाज और देखभाल के लिए एक नर्स का होना आवश्यक है, लेकिन दून मेडिकल कॉलेज के हालात इतने गंभीर हैं कि एक नर्स 40 मरीजों को देख रही है. ऐसे में एक ही नर्स पर मरीजों का बोझ बढ़ रहा है. इसका खामियाजा कई बार मरीजों को भुगतना पड़ता है. हालांकि, मौजूदा स्टाफ नर्स अपने इस दर्द को दबी जुबां में बयां तो कर रही हैं, लेकिन इसका समाधान उनके पास भी नहीं है.

ये भी पढ़ेंः एक ओर गणतंत्र दिवस का जश्न, दूसरी ओर अनशन पर बैठा स्वतंत्रता सेनानी आश्रित परिवार

दून मेडिकल कॉलेज में 50 से 60 फीसदी नर्सिंग स्टाफ की कमी

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में वर्तमान समय में 35 से 40 फीसदी ही नर्सिंग स्टाफ है. जबकि, करीब 50 से 60 फीसदी नर्सिंग स्टाफ का अभी भी टोटा है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज इलाज कराने और सैकड़ों मरीज भर्ती होते हैं. उन्हें 40 फीसदी स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वॉय से कैसे देखभाल और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करा सकते हैं?

दून मेडिकल कॉलेज में 900 स्टाफ नर्स के पद स्वीकृत हैं, लेकिन इन पदों पर कब तक नियुक्ति होगी? इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. हालांकि, इन पदों को भरने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिख चुका है. बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

ये भी पढ़ेंः पिथौरागढ़: ग्रामीण बोले- सरकार नहीं दे रही संचार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान

स्टाफ की कमी के चलते नहीं दे पा रहे है 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाः केके टम्टा

अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक केके टम्टा भी लाचार नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि अस्पताल में वर्तमान समय में 35 से 40 फीसदी ही नर्सिंग स्टाफ है. ऐसे में इन्हीं नर्सिंग स्टाफ से काम चलाना आसान नहीं हो रहा है. हालांकि, मामले को लेकर वे उच्च अधिकारियों को लिख चुके हैं. जिससे नर्सिंग स्टाफ की भर्ती की जाए.

साथ ही बताया कि मेडिकल कॉलेजों में 900 स्टाफ नर्स के पद स्वीकृत हुए हैं. जिनकी नियुक्ति कब तक होगी, इसका डिसीजन नहीं हो पाया है. इन स्टाफ नर्सों में से दून अस्पताल को 309 स्टाफ नर्स, 50 सिस्टर, 11 असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट, 4 डिप्टी नर्सिंग सुपरिटेंडेंट और एक नर्सिंग सुपरिटेंडेंट मिलने हैं.

इन सब की भर्ती चयन बोर्ड से होनी है. साथ ही कहा कि 50 लैब टेक्नीशियन होने चाहिए, जिसमें से 15 लैब टेक्नीशियन से काम चल रहा है. यही वजह है कि मरीजों को 24 घंटे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं.

बहरहाल ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या समय रहते मेडिकल अधिकारी और शासन के जिम्मेदार आला अफसर अस्पताल में नर्सों की कमी की समस्या का समाधान निकालते हैं या फिर यूं ही यह सिलसिला चलता रहेगा.

देहरादूनः सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सरकारी अस्पतालों में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही संसाधन. जब देहरादून का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल ही नर्सिंग स्टाफ की कमी के जूझ रहा हो तो सवाल काफी गंभीर हो जाता है. यहां पर नर्सिंग स्टाफ और वार्ड ब्वॉय की कमी के चलते अस्पताल वेंटिलेटर पर पहुंच गया है.

ऐसे में सवाल उठना भी लाजिमी है कि राजधानी के ही अस्पतालों के हालत इतने चिंताजनक हैं तो दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में आखिर कैसे स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी? ईटीवी भारत के साथ जानिए सरकारी अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का सूरते हाल.

दून मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग स्टाफ की कमी.

प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज ही नर्सिंग स्टाफ और वार्ड ब्वॉय की कमी से जूझ रहा है. जो सरकार के तमाम दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. खासतौर पर स्वास्थ्य सेवाएं सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार बताई जाती है. वहीं, राजधानी में नर्सिंग स्टॉफ के लिए नियमानुसार मरीजों की देखभाल और इलाज करना भी चुनौती बन गया है.

एक नर्स कर रही 40 मरीजों की देखभाल

दरअसल, 3 मरीजों के इलाज और देखभाल के लिए एक नर्स का होना आवश्यक है, लेकिन दून मेडिकल कॉलेज के हालात इतने गंभीर हैं कि एक नर्स 40 मरीजों को देख रही है. ऐसे में एक ही नर्स पर मरीजों का बोझ बढ़ रहा है. इसका खामियाजा कई बार मरीजों को भुगतना पड़ता है. हालांकि, मौजूदा स्टाफ नर्स अपने इस दर्द को दबी जुबां में बयां तो कर रही हैं, लेकिन इसका समाधान उनके पास भी नहीं है.

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दून मेडिकल कॉलेज में 50 से 60 फीसदी नर्सिंग स्टाफ की कमी

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में वर्तमान समय में 35 से 40 फीसदी ही नर्सिंग स्टाफ है. जबकि, करीब 50 से 60 फीसदी नर्सिंग स्टाफ का अभी भी टोटा है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज इलाज कराने और सैकड़ों मरीज भर्ती होते हैं. उन्हें 40 फीसदी स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वॉय से कैसे देखभाल और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करा सकते हैं?

दून मेडिकल कॉलेज में 900 स्टाफ नर्स के पद स्वीकृत हैं, लेकिन इन पदों पर कब तक नियुक्ति होगी? इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. हालांकि, इन पदों को भरने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिख चुका है. बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

ये भी पढ़ेंः पिथौरागढ़: ग्रामीण बोले- सरकार नहीं दे रही संचार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान

स्टाफ की कमी के चलते नहीं दे पा रहे है 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाः केके टम्टा

अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक केके टम्टा भी लाचार नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि अस्पताल में वर्तमान समय में 35 से 40 फीसदी ही नर्सिंग स्टाफ है. ऐसे में इन्हीं नर्सिंग स्टाफ से काम चलाना आसान नहीं हो रहा है. हालांकि, मामले को लेकर वे उच्च अधिकारियों को लिख चुके हैं. जिससे नर्सिंग स्टाफ की भर्ती की जाए.

साथ ही बताया कि मेडिकल कॉलेजों में 900 स्टाफ नर्स के पद स्वीकृत हुए हैं. जिनकी नियुक्ति कब तक होगी, इसका डिसीजन नहीं हो पाया है. इन स्टाफ नर्सों में से दून अस्पताल को 309 स्टाफ नर्स, 50 सिस्टर, 11 असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट, 4 डिप्टी नर्सिंग सुपरिटेंडेंट और एक नर्सिंग सुपरिटेंडेंट मिलने हैं.

इन सब की भर्ती चयन बोर्ड से होनी है. साथ ही कहा कि 50 लैब टेक्नीशियन होने चाहिए, जिसमें से 15 लैब टेक्नीशियन से काम चल रहा है. यही वजह है कि मरीजों को 24 घंटे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं.

बहरहाल ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या समय रहते मेडिकल अधिकारी और शासन के जिम्मेदार आला अफसर अस्पताल में नर्सों की कमी की समस्या का समाधान निकालते हैं या फिर यूं ही यह सिलसिला चलता रहेगा.

Intro:Ready To Air.....

अक्सर अपने कारनामो को लेकर चर्चाओं में रहने वाला स्वास्थ्य महकमा एक बार फिर सवालो के घेरे में है। राजधानी देहरादून का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल ही नर्सिंग स्टाफ की कमी के चलते वेंटिलेटर पर पहुंच गया है। जब राजधानी का चिकित्सालय ही स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय की कमी को पूरा कर पाने में पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है तो ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी पर सवाल उठना तो लाजमी है। यही नहीं अगर देहरादून के अस्पताल के हालत इतने चिंताजनक है तो दुरस्त पहाड़ी इलाको में आखिर कैसे स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होगी, ये एक बड़ा सवाल है? आखिर क्या है देहरादून के सरकारी अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का सुरते हाल? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट में......... 


Body:सरकारी तंत्र भले ही आवश्यक सेवाओं में शुमार स्वास्थ्य सेवाओ को बेहतर होने के लाख दावे कर रहा हो, बावजूद इसके राजधानी में ही नर्सिंग स्टाफ की कमी स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत की पोल खोलने के लिए काफी है। सिस्टम भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिए जाने को बात कह रहा हो लेकिन खस्ताहाल स्वास्थ्य सेवाओं का प्रत्यक्ष प्रमाण राजधानी के इस बड़े अस्पताल में ही साफ-साफ देखा जा सकता है। मूलभूत सुविधाओं में आवश्यक सेवाओं को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है खासतौर पर स्वास्थ्य सेवाएं सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार बताई जाती हैं लेकिन राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग स्टाफ की कमी एक पहाड़ जैसी चुनौती से कम नहीं है, हालांकि जिम्मेदार मौजूदा मेडिकल अधीक्षक, इन पदों को भर लिए जाने के दावे कर रहे हैं। लेकिन फिलहाल अस्पताल में भर्ती मरीजों को नया नर्सिंग स्टाफ मिलने की उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।  


40 मरीजों को एक नर्स दे रही है स्वास्थ्य उपचार.......    
 
पहाड़ी प्रदेश की राजधानी में नर्सिंग स्टॉफ को नियमानुसार मरीजो के उपचार के लिए पूरा करना भी एक पहाड़ जैसी चुनौती बन गई हैं। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में नर्सिंग स्टॉफ की कमी को पूरा करने लिए शासन से गुहार लगा चुके हैं। बावजूद इसके स्टाफ नर्स की कमी की समस्या का समाधान एक लंबे इंतजार के बाद भी नही हो पाया हैं। दरअसल जहां 3 मरीजों के उपचार के लिए एक नर्स का होना आवश्यक है तो वही यहां हालात इतने गंभीर है कि 40 मरीजों पर एक नर्स स्वास्थ्य उपचार दे रही है। जिसकी मुख्य वजह है नर्सिंग स्टाफ का नियमानुसार पूरा नहीं होना। जिसका खामियाजा कई बार मरीजों को भुगतना पड़ता है। हालांकि मौजूदा स्टाफ नर्स अपने इस दर्द को दबी जुबां में बयां तो कर रही है लेकिन इसका समाधान इनके पास भी नहीं है।  


50 से 60 फीसदी नर्सिंग स्टाफ की है कमी......   

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में वर्तमान समय में 35 से 40 प्रतिशत ही नर्सिंग स्टाफ है। यही करीब 50 से 60 फीसदी नर्सिंग स्टाफ की कमी है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस अस्पताल में रोजाना हजारो मरीज इलाज करने आते हो और सैकड़ो मरीज भर्ती हो उनको मात्र 40 प्रतिशत स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय से कैसे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल पायेगा। राजकीय मेडिकल कॉलेज में 900 स्टाफ नर्स के पद स्वीकृत है। लेकिन इन पदों पर कब तक नियुक्ति होगी। यह किसी को नहीं पता। हालांकि इन पदों को भरने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा जा चूका है ताकि जल्द से जल्द नर्सिंग स्टाफ की भर्ती कर ली जाए। 


स्टाफ की कमी के चलते नहीं दे पा रहे है 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधा......... 

वही राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक के के टम्टा में बताया कि अभी वर्तमान समय में मात्र 35 से 40 प्रतिशत ही नर्सिंग स्टाफ है। जिस वजह से मात्र इन्हीं नर्सिंग स्टाफ से काम चलाना आसान नहीं हो रहा है हालांकि इस संबंध में उच्च अधिकारियों को लिखा है ताकि नर्सिंग स्टाफ की भर्ती की जाए। साथ ही बताया कि मेडिकल कॉलेज में 900 स्टाफ नर्स के पद स्वीकृत हुए हैं जिनकी नियुक्ति कब तक होगी इसका डिसीजन नहीं हो पाया है लेकिन इन स्टाफ नर्सों में से दून अस्पताल को 309 स्टाफ नर्स, 50 सिस्टर, 11 असिस्टेंट नर्सिंग सुप्रिडेंट, 4 डिप्टी नर्सिंग सुप्रिडेंट और 1 नर्सिंग सुप्रिडेंट मिलने है। और इन सब की भर्ती चयन बोर्ड से होनी है। साथ ही बताया कि 50 लैब टेक्नीशियन होने चाहिए, जिसमें से 15 लैब टेक्नीशियन से काम चल रहा है। यही वजह है कि मरीजों को 24 घंटे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं। 


बाइट - रामेशवरी नेगी, सीनियर नर्स, दून अस्पताल  
बाइट - के के टम्टा,  चिकित्सा अधीक्षक, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज    




Conclusion:अब ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या समय रहते मेडिकल अधिकारी और शासन के जिम्मेदार आला अफसर अस्पताल में नर्सों की कमी के विकट समस्या का समाधान कर पाएंगे या फिर यूं ही यह सिलसिला चलता रहेगा। देहरादून से ईटीवी भारत के लिए रोहित सोनी की रिपोर्ट........ 



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