देहरादूनः सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सरकारी अस्पतालों में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही संसाधन. जब देहरादून का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल ही नर्सिंग स्टाफ की कमी के जूझ रहा हो तो सवाल काफी गंभीर हो जाता है. यहां पर नर्सिंग स्टाफ और वार्ड ब्वॉय की कमी के चलते अस्पताल वेंटिलेटर पर पहुंच गया है.
ऐसे में सवाल उठना भी लाजिमी है कि राजधानी के ही अस्पतालों के हालत इतने चिंताजनक हैं तो दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में आखिर कैसे स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी? ईटीवी भारत के साथ जानिए सरकारी अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का सूरते हाल.
प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज ही नर्सिंग स्टाफ और वार्ड ब्वॉय की कमी से जूझ रहा है. जो सरकार के तमाम दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. खासतौर पर स्वास्थ्य सेवाएं सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार बताई जाती है. वहीं, राजधानी में नर्सिंग स्टॉफ के लिए नियमानुसार मरीजों की देखभाल और इलाज करना भी चुनौती बन गया है.
एक नर्स कर रही 40 मरीजों की देखभाल
दरअसल, 3 मरीजों के इलाज और देखभाल के लिए एक नर्स का होना आवश्यक है, लेकिन दून मेडिकल कॉलेज के हालात इतने गंभीर हैं कि एक नर्स 40 मरीजों को देख रही है. ऐसे में एक ही नर्स पर मरीजों का बोझ बढ़ रहा है. इसका खामियाजा कई बार मरीजों को भुगतना पड़ता है. हालांकि, मौजूदा स्टाफ नर्स अपने इस दर्द को दबी जुबां में बयां तो कर रही हैं, लेकिन इसका समाधान उनके पास भी नहीं है.
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दून मेडिकल कॉलेज में 50 से 60 फीसदी नर्सिंग स्टाफ की कमी
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में वर्तमान समय में 35 से 40 फीसदी ही नर्सिंग स्टाफ है. जबकि, करीब 50 से 60 फीसदी नर्सिंग स्टाफ का अभी भी टोटा है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज इलाज कराने और सैकड़ों मरीज भर्ती होते हैं. उन्हें 40 फीसदी स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वॉय से कैसे देखभाल और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करा सकते हैं?
दून मेडिकल कॉलेज में 900 स्टाफ नर्स के पद स्वीकृत हैं, लेकिन इन पदों पर कब तक नियुक्ति होगी? इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. हालांकि, इन पदों को भरने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिख चुका है. बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.
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स्टाफ की कमी के चलते नहीं दे पा रहे है 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाः केके टम्टा
अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक केके टम्टा भी लाचार नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि अस्पताल में वर्तमान समय में 35 से 40 फीसदी ही नर्सिंग स्टाफ है. ऐसे में इन्हीं नर्सिंग स्टाफ से काम चलाना आसान नहीं हो रहा है. हालांकि, मामले को लेकर वे उच्च अधिकारियों को लिख चुके हैं. जिससे नर्सिंग स्टाफ की भर्ती की जाए.
साथ ही बताया कि मेडिकल कॉलेजों में 900 स्टाफ नर्स के पद स्वीकृत हुए हैं. जिनकी नियुक्ति कब तक होगी, इसका डिसीजन नहीं हो पाया है. इन स्टाफ नर्सों में से दून अस्पताल को 309 स्टाफ नर्स, 50 सिस्टर, 11 असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट, 4 डिप्टी नर्सिंग सुपरिटेंडेंट और एक नर्सिंग सुपरिटेंडेंट मिलने हैं.
इन सब की भर्ती चयन बोर्ड से होनी है. साथ ही कहा कि 50 लैब टेक्नीशियन होने चाहिए, जिसमें से 15 लैब टेक्नीशियन से काम चल रहा है. यही वजह है कि मरीजों को 24 घंटे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं.
बहरहाल ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या समय रहते मेडिकल अधिकारी और शासन के जिम्मेदार आला अफसर अस्पताल में नर्सों की कमी की समस्या का समाधान निकालते हैं या फिर यूं ही यह सिलसिला चलता रहेगा.