ऋषिकेश: निद्रा रोग पर अनुसंधान एवं इससे ग्रसित मरीजों के समुचित उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश की ओर से कई तरह के प्रयास किए गए हैं. शांति एक 28 वर्षीया महिला हैं. पिछले तीन साल से वह सोने के बाद भी स्वयं को तरोताजा महसूस नहीं करती थीं. दिन में अक्सर थकान, चिड़चिड़ापन रहता है. वह दिन में टेलीविजन देखते हुए, किताब पढ़ते हुए या खाली बैठे हुए सो जाती हैं. इस दौरान उन्हें उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) की समस्या हो गई है. उन्होंने इस बाबत जब चिकित्सक से परामर्श लिया तो उन्हें रक्तचाप को कम करने व नींद की दवाइयां दे दी गई. इस दौरान उनका वजन भी बढ़ने लगा. हालात यह हैं कि अब वह बिना नींद की दवाई लिए सो नहीं पाती हैं और नींद की दवा लेने के बाद भी उनकी नींद में कोई खास सुधार नहीं आ पाया है.
इस बाबत निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में निद्रा रोगों के निदान एवं उपचार के लिए तीन बेड की लेवल-वन स्लीप लैबोरेटरी की भी स्थापना की गई थी, जो वर्ष 2019 से कार्यरत है. इस लैबोरेटरी में वर्ष 2019 से अब तक 100 से अधिक निद्रा रोग के गंभीर मरीज अपना उपचार करा चुके हैं. इसके अलावा संस्थान में एक स्लीप क्लिनिक अलग से स्थापित किया गया है, जो कि प्रत्येक बुधवार को संचालित की जाती है. इस क्लिनिक में वर्ष 2019 व 2020 के दौरान 500 से अधिक मरीजों ने अपने निद्रा रोग से संंबंधित चिकित्सकीय परामर्श लिया एवं उपचार कराया.
उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति के तौर पर आपको यह समझना होगा कि निद्रा रोग कई तरह के होते हैं. निद्रा रोग कई लक्षणों के साथ आ सकते हैं. आमतौर पर पाया जाने वाला निद्रा रोग अनिद्रा ( insomnia) है. इससे प्रभावित व्यक्ति को नींद आने में परेशानी होती है या नींद आकर टूट जाती है. दोबारा नींद आने में काफी समय लगता है. रोगी की सुबह जल्दी नींद खुल जाती है. इसके अलावा इन रोगियों को गहरी नींद भी नहीं आती. अनिद्रा रोग के कई कारण होते हैं एवं उचित उपचार के लिए कारण को पकड़ना बेहद जरूरी है.
दूसरा निद्रा रोग स्लीप एपनिया (ओएसए) है. इसका एक सामान्य लक्षण खर्राटे आना है. इस रोग में व्यक्ति की सांस, सोते समय कुछ कुछ अंतराल पर रुकती रहती है. जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. दिन में थकान, चिड़चिड़ापन रहता है. इसमें रोगी व्यक्ति को बार-बार पेशाब जाना पड़ता है और याददाश्त कमजोर हो जाती है.
अतिनिद्रा या बहुत ज्यादा नींद आना भी निद्रा रोग का लक्षण है. इसके शिकार रोगी रातभर सोने के बाद भी स्वयं को तरोताजा महसूस नहीं करते हैं और दिन में इन्हें नींद की जरूरत पड़ती है. यह रोग कई कारणों से हो सकता है. जैसे नार्कोलेप्सी आदि.
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इसके अतिरिक्त नींद में बोलना, चलना, दांत पीसना, पेशाब कर देना, सपनों में डर जाना आदि भी निद्रा रोग के लक्षण हैं. इन सभी रोगों से पीड़ित व्यक्ति यह महसूस करते हैं कि उन्हें अच्छी नींद नहीं आती. नतीजतन यह सभी रोगी इस बीमारी की दवा तो लेते हैं मगर ठीक नहीं हो पाते. निद्रा रोगों का उचित उपचार नहीं लेने पर बढ़ जाती है इन रोगों के होने की संभावना
1-हाई बीपी
2. हृदय रोग
3. डायबिटीज
4. लकवा
5- याददाश्त की कमी
6-पेट के रोग
7-वजन का बढ़ना
8-शारीरिक क्षमता में कमी
9.दुर्घटना (एक्सीडेंट) है.