देहरादून: हरियाणा काडर के 2002 के आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी का नाम उन अफसरों में गिना जाता है जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी चोट की है. हाल ही में उत्तराखंड में लिया इनका एक फैसला चर्चाओं में है. दरअसल, 2015 में उत्तराखंड में बतौर निदेशक कॉर्बेट नियुक्त संजीव चतुर्वेदी ने इस नेशनल पार्क में अब वीआईपी कल्चर खत्म करने का फैसला लिया है.
अच्छे काम बने चर्चा का विषय
हल्द्वानी में तैनात संजीव चतुर्वेदी इससे पहले अपने कामों को लेकर खूब सुर्खियां बटोर चुके हैं. रैमन पुरस्कार से सम्मानित चर्चित वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने मैग्सेसे पुरस्कार में मिली 14.23 लाख की धनराशि को प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिया था. यही नहीं, 14 फरवरी 2019 को हुये पुलवामा हमले में शहीदों के परिवार के लिये करीब पौन तीन लाख रुपये की धनराशि दान की थी. यह धनराशि उन्हें बतौर आर्बिट्रेटर एक केस की सुनवाई के तौर पर मिलनी थी. धनराशि को गृह मंत्रालय की ओर से संचालित किए जा रहे 'भारत का वीर' खाते में जमा कराया गया था.
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कौन हैं संजीव चतुर्वेदी?
- संजीव चतुर्वेदी हरियाणा काडर के 2002 के आईएफएस अफसर हैं.
- पहली पोस्टिंग इन्हें हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मिली. यहां इन्होंने सरस्वती वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में हिरण का शिकार करने वाले ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज कराई थी.
- बतौर मुख्य सतर्कता अधिकारी, एम्स दिल्ली में संजीव ने अपने दो साल के कार्यकाल में 150 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए.
- 2014 में संजीव को स्वास्थ्य सचिव ने ईमानदार अधिकारी का अवार्ड दिया था.
- पांच साल में 12 बार संजीव का ट्रांसफर हुआ है.
- झूठे पुलिस मुकदमे और निलंबन के बाद राष्ट्रपति द्वारा चार बार इनकी बहाली हो चुकी है.
- 2009 में हरियाणा के झज्जर और हिसार में वन घोटालों का पर्दाफाश किया.
- 2009 में ही संजीव पर एक जूनियर अधिकारी संजीव तोमर को प्रताड़ित करने का आरोप लगा, हालांकि बाद में वह आरोपमुक्त हो गए.
- 2007-08 में संजीव ने झज्जर में एक हर्बल पार्क के निर्माण में हुए घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसमें मंत्री और विधायकों के अलावा कुछ अधिकारी भी शामिल थे.
- 2010 में उन्होंने राज्य सरकार से तंग आकर केंद्र में प्रतिनियुक्ति की अर्जी दी थी.
- 2012 में उन्हें AIIMS के डिप्टी डायरेक्टर का पद सौंपा गया.
- उन्हें AIIMS के CVO पद की भी जिम्मेदारी सौंपी गई.
- केंद्र में बीजेपी सरकार आने के बाद संजीव को CVO पद से हटा दिया गया, जिस पर काफी विवाद भी हुआ.
सामने लाये थे AIIMS घोटाला
29 जून 2012 को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद वह संजीव चतुर्वेदी को एम्स दिल्ली में मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) नियुक्त किया गया था. यहां दो साल के अंदर उन्होंने भ्रष्टाचार के करीब दो सौ मामले उजागर किये थे. आईएएस विनीत चौधरी उस वक्त एम्स के डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) थे. संजीव चतुर्वेदी ने उनके खिलाफ भी जांच शुरू कर दी थी.
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बीजेपी की सरकार आने के बाद संजीव को सीवीओ पद से हटा दिया गया था. संजीव चतुर्वेदी की सुप्रीम कोर्ट में दायर एक रिट की मानें तो विनीत चौधरी मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के करीबी रहे. यही वजह है कि उस वक्त सांसद रहते जेपी नड्डा ने उन्हें सीवीओ पद से हटाने के लिए एक चर्चित चिट्ठी भी लिखी थी. 2002 बैच के इस अफसर की पहचान आज व्हिसिल ब्लोवर के रूप में बन चुकी है. हरियाणा में रहने के दौरान भी कई घोटालों का चतुर्वेदी ने खुलासा किया था. 2015 से IFS के रूप में चतुर्वेदी हल्द्वानी में तैनात हैं.
आपको बता दें कि उत्तराखंड में स्थित कॉर्बेट पार्क में सफारी करने और यहां ठहरने के लिए राजनीतिक लोगों समेत अधिकारियों की सिफारिशों का खूब इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. इस पुरानी परंपरा को खत्म करते हुए पार्क निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद कुछ चुनिंदा लोगों को ही वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाएगा.