देहरादून: देश-दुनिया में हिमालयन वियाग्रा के नाम से जानी जाने वाली कीड़ा जड़ी की मांग को अब सहकारी संघ पूरा करेगा. जिसके लिए संघ ने कमर कस ली है. भारी मांग वाली कीड़ा जड़ी को अब सहकारी संघ ने बाजार में उपलब्ध कराने की तैयारी कर ली है. संघ ने इसके लिए पिथौरागढ़ में रजिस्ट्रेशन करवाया है. साथ ही कलेक्शन सेंटर खोले जाने को लेकर भी तैयारी शुरू कर दी गई है.
गौर हो कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ज्यादा डिमांड रखने वाली कीड़ा जड़ी उत्तराखंड में काफी मात्रा में मौजूद है. बावजूद इसके प्रदेश में इसको लेकर कोई ठोस नीति न होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. नतीजतन कीड़ा जड़ी की अवैध तस्करी काफी लंबे समय से होती रही है. लेकिन अब उत्तराखंड सहकारी संघ राज्य में कीड़ा जड़ी के जरिए न केवल उत्तराखंड के राजस्व को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. बल्कि स्थानीय लोगों को भी कानूनी रूप से अपनी आय बढ़ाने का मौका देने जा रहा है.
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उत्तराखंड सहकारी संघ की योजना है कि राज्य के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला और मुनस्यारी क्षेत्र में कीड़ा जड़ी के कलेक्शन सेंटर खोले जाएं. इसके लिए संघ ने पिथौरागढ़ में वन विभाग में रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया है. बता दें कि उत्तराखंड में कीड़ा जड़ी बेहद ज्यादा मात्रा में मौजूद है. हर साल करीब करोड़ों रुपए की कीड़ा जड़ी की अवैध तस्करी की जाती है. चीन और तिब्बत में इसे यारसा गंबू (कीड़ा जड़ी) नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि यह बहुमूल्य जड़ी बूटी 3500 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है. यूं तो भारतीय बाजार में इसकी कीमत एक से तीन लाख रुपए प्रति किलो बताई जाती है.
लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह कीमत इससे बढ़कर 8 से 10 लाख रुपए प्रति किलो हो जाती है. जिससे तस्करी की संभावनाएं हमेशा बढ़ी रहती हैं. कहा जाता है कि बहुमूल्य जड़ी बूटी में विटामिन प्रोटीन और पोषक तत्वों की बेहद ज्यादा मात्रा मौजूद है और इसे न केवल औषधि में उपयोग किया जाता है बल्कि शक्ति वर्धक के रूप में भी इसका खूब उपयोग होता है.