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अब कीड़ा जड़ी को बाजार में उपलब्ध करवाएगा सहकारी संघ, जल्द खुलेंगे सेंटर - सहकारी संघ उत्तराखंड

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ज्यादा डिमांड रखने वाली कीड़ा जड़ी उत्तराखंड में काफी मात्रा में मौजूद है. बावजूद इसके प्रदेश में इसको लेकर कोई ठोस नीति न होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. नतीजतन कीड़ा जड़ी की अवैध तस्करी लंबे समय से होती रही है.

कीड़ा जड़ी.
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Published : Aug 9, 2019, 2:42 PM IST

देहरादून: देश-दुनिया में हिमालयन वियाग्रा के नाम से जानी जाने वाली कीड़ा जड़ी की मांग को अब सहकारी संघ पूरा करेगा. जिसके लिए संघ ने कमर कस ली है. भारी मांग वाली कीड़ा जड़ी को अब सहकारी संघ ने बाजार में उपलब्ध कराने की तैयारी कर ली है. संघ ने इसके लिए पिथौरागढ़ में रजिस्ट्रेशन करवाया है. साथ ही कलेक्शन सेंटर खोले जाने को लेकर भी तैयारी शुरू कर दी गई है.

गौर हो कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ज्यादा डिमांड रखने वाली कीड़ा जड़ी उत्तराखंड में काफी मात्रा में मौजूद है. बावजूद इसके प्रदेश में इसको लेकर कोई ठोस नीति न होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. नतीजतन कीड़ा जड़ी की अवैध तस्करी काफी लंबे समय से होती रही है. लेकिन अब उत्तराखंड सहकारी संघ राज्य में कीड़ा जड़ी के जरिए न केवल उत्तराखंड के राजस्व को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. बल्कि स्थानीय लोगों को भी कानूनी रूप से अपनी आय बढ़ाने का मौका देने जा रहा है.

कीड़ा जड़ी के लिए अब सहकारी संघ ने खोले रास्ते.

पढ़ें-टिहरी हादसे के बाद जागा प्रशासन, चलाया सघन चेकिंग अभियान

उत्तराखंड सहकारी संघ की योजना है कि राज्य के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला और मुनस्यारी क्षेत्र में कीड़ा जड़ी के कलेक्शन सेंटर खोले जाएं. इसके लिए संघ ने पिथौरागढ़ में वन विभाग में रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया है. बता दें कि उत्तराखंड में कीड़ा जड़ी बेहद ज्यादा मात्रा में मौजूद है. हर साल करीब करोड़ों रुपए की कीड़ा जड़ी की अवैध तस्करी की जाती है. चीन और तिब्बत में इसे यारसा गंबू (कीड़ा जड़ी) नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि यह बहुमूल्य जड़ी बूटी 3500 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है. यूं तो भारतीय बाजार में इसकी कीमत एक से तीन लाख रुपए प्रति किलो बताई जाती है.

लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह कीमत इससे बढ़कर 8 से 10 लाख रुपए प्रति किलो हो जाती है. जिससे तस्करी की संभावनाएं हमेशा बढ़ी रहती हैं. कहा जाता है कि बहुमूल्य जड़ी बूटी में विटामिन प्रोटीन और पोषक तत्वों की बेहद ज्यादा मात्रा मौजूद है और इसे न केवल औषधि में उपयोग किया जाता है बल्कि शक्ति वर्धक के रूप में भी इसका खूब उपयोग होता है.

देहरादून: देश-दुनिया में हिमालयन वियाग्रा के नाम से जानी जाने वाली कीड़ा जड़ी की मांग को अब सहकारी संघ पूरा करेगा. जिसके लिए संघ ने कमर कस ली है. भारी मांग वाली कीड़ा जड़ी को अब सहकारी संघ ने बाजार में उपलब्ध कराने की तैयारी कर ली है. संघ ने इसके लिए पिथौरागढ़ में रजिस्ट्रेशन करवाया है. साथ ही कलेक्शन सेंटर खोले जाने को लेकर भी तैयारी शुरू कर दी गई है.

गौर हो कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ज्यादा डिमांड रखने वाली कीड़ा जड़ी उत्तराखंड में काफी मात्रा में मौजूद है. बावजूद इसके प्रदेश में इसको लेकर कोई ठोस नीति न होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. नतीजतन कीड़ा जड़ी की अवैध तस्करी काफी लंबे समय से होती रही है. लेकिन अब उत्तराखंड सहकारी संघ राज्य में कीड़ा जड़ी के जरिए न केवल उत्तराखंड के राजस्व को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. बल्कि स्थानीय लोगों को भी कानूनी रूप से अपनी आय बढ़ाने का मौका देने जा रहा है.

कीड़ा जड़ी के लिए अब सहकारी संघ ने खोले रास्ते.

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उत्तराखंड सहकारी संघ की योजना है कि राज्य के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला और मुनस्यारी क्षेत्र में कीड़ा जड़ी के कलेक्शन सेंटर खोले जाएं. इसके लिए संघ ने पिथौरागढ़ में वन विभाग में रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया है. बता दें कि उत्तराखंड में कीड़ा जड़ी बेहद ज्यादा मात्रा में मौजूद है. हर साल करीब करोड़ों रुपए की कीड़ा जड़ी की अवैध तस्करी की जाती है. चीन और तिब्बत में इसे यारसा गंबू (कीड़ा जड़ी) नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि यह बहुमूल्य जड़ी बूटी 3500 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है. यूं तो भारतीय बाजार में इसकी कीमत एक से तीन लाख रुपए प्रति किलो बताई जाती है.

लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह कीमत इससे बढ़कर 8 से 10 लाख रुपए प्रति किलो हो जाती है. जिससे तस्करी की संभावनाएं हमेशा बढ़ी रहती हैं. कहा जाता है कि बहुमूल्य जड़ी बूटी में विटामिन प्रोटीन और पोषक तत्वों की बेहद ज्यादा मात्रा मौजूद है और इसे न केवल औषधि में उपयोग किया जाता है बल्कि शक्ति वर्धक के रूप में भी इसका खूब उपयोग होता है.

Intro:Summary- देश दुनिया में हिमालयन वियाग्रा के नाम से जानी जाने वाली कीड़ाजड़ी की मांग को सहकारी संघ पूरा करेगा.. हिमालयन वियाग्रा को कानूनी रूप से बाजार में लाने के लिए सहकारी संघ में धारचूला, मुनस्यारी में कलेक्शन सेंटर खोले जाने की योजना तैयार की है... जिसके लिए पिथौरागढ़ में रजिस्ट्रेशन करवाया जा चुका है।


दुनिया भर में बेहद ज्यादा मांग वाली जड़ी बूटी कीड़ाजड़ी को अब सहकारी संघ ने बाजार में उपलब्ध कराने की तैयारी कर ली है। संघ ने इसके लिए पिथौरागढ़ में रजिस्ट्रेशन करवाया है... साथ ही कलेक्शन सेंटर खोले जाने को लेकर भी तैयारी शुरू कर दी है।




Body:अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेहद ज्यादा डिमांड रखने वाली कीड़ाजड़ी उत्तराखंड में बहुतायत मात्रा में मौजूद है... बावजूद इसके प्रदेश में इसको लेकर कोई ठोस नीति न होने के कारण अरबों की संपदा का उपयोग नहीं हो पा रहा है.. नतीजतन कीड़ा जड़ी कि अवैध तौर पर तस्करी बेहद ज्यादा मात्रा में हो रही है। लेकिन अब उत्तराखंड सहकारी संघ राज्य में कीड़ा जड़ी के जरिए न केवल उत्तराखंड के राजस्व को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है बल्कि स्थानीय लोगों को भी कानूनी रूप से अपनी आय बढ़ाने का मौका देने जा रहा है। उत्तराखंड सहकारी संघ की योजना है कि राज्य के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला और मुनस्यारी क्षेत्र में कीड़ाजड़ी के कलेक्शन सेंटर खोले जाएं... इसके लिए संघ ने पिथौरागढ़ में वन विभाग में रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया है। 


बाइट- बृजभूषण गैरोला अध्यक्ष उत्तराखंड सहकारी संघ


आपको बता दें कि उत्तराखंड में कीड़ाजड़ी बेहद ज्यादा मात्रा में मौजूद है.. अंदाजन हर साल करोड़ों रुपए की कीड़ाजड़ी की अवैध तस्करी उत्तराखंड से की जाती है। चीन और तिब्बत में इसे यार्सागुंबा नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि यह बहुमूल्य जड़ी बूटी 3500 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है। यूं तो भारतीय बाजार में इसकी कीमत 01 से 03 लाख रुपए प्रति किलो बताई जाती है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह कीमत इससे बढ़कर 8 से 10 लाख रुपए प्रति किलो बताई जाती है। कहा जाता है कि बहुमूल्य जड़ी बूटी में विटामिन प्रोटीन और पोषक तत्वों की बेहद ज्यादा मात्रा मौजूद है और इसे न केवल औषधि में उपयोग किया जाता है बल्कि शक्ति वर्धक के रूप में भी इसका खूब उपयोग होता है बताया जाता है कि खास तौर पर चीन में एथलीट भी इसका उपयोग करते हैं। 




Conclusion:सहकारी संघ यदि पिथौरागढ़ के धारचूला और मुनस्यारी में कलेक्शन सेंटर खोलता है तो निश्चित रूप से इससे उत्तराखंड सरकार की न केवल आय बढ़ेगी बल्कि ग्रामीणों को भी कानूनी रूप से इसका व्यापार करने में आसानी होगी। हालांकि फिलहाल इसको लेकर प्रक्रिया अभी चल रही है लेकिन जल्द ही इस पर अंतिम मुहर लगने के बाद सहकारी संघ के कलेक्शन सेंटर स्थापित हो सकेंगे।


पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
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