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पैकेट बंद खाद्य पदार्थों को खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान - Packet packaged foods

कोरोना लॉकडाउन के दौरान दुकानों के बंद होने की वजह से जिले के व्यापारियों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा. पैकेट बंद फूड आइटम्स की एक्सपायरी डेट खत्म होने और नुकसान की भरपाई के लिए कई जगहों पर एक्सपायरी डेट के प्रोडक्ट ही बेचने शुरू कर दिया है.

Packet packaged foods
पैकेट बंद खाद्य पदार्थ
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Published : Apr 14, 2021, 3:02 PM IST

देहरादून: कोरोना महामारी का कहर देश और दुनिया में अभी भी जारी है. ऐसे में पूरी दुनिया आर्थिक संकट से जुझ रही है. वहीं, अगर व्यक्तिगत नुकसान की बात करें, तो कोरोना का असर व्यापारियों में काफी देखने को मिला है. लॉकडाउन के दौरान दुकानों के बंद होने की वजह से जिले के व्यापारियों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ी समस्या खाद्य पदार्थों की बिक्री को लेकर हुई है. क्योंकि पैकेट बंद फूड आइटम्स की एक्सपायरी डेट खत्म हो जाने की वजह से इनके खराब होने और कंपनी की तरफ से इनको वापस न लिए जाने के बाद व्यापारियों ने नुकसान की भरपाई के लिए कई जगहों पर एक्सपायरी डेट के प्रोडक्ट ही बेचने शुरू कर दिए हैं.

पैकेट बंद खाद्य पदार्थों को खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान.

लॉकडाउन के दौरान पैकेट बंद खाद्य पदार्थ, जिनमें ब्रेड, बटर, चिप्स, नमकीन, बिस्किट, समेत खाद्य मसाले और तमाम ऐसे फूड आइटम्स थे. जो दुकानें बंद होने के बाद अंदर ही पड़े रह गए. कुछ की बिक्री हुई, लेकिन कुछ दुकानों की बंदी की वजह से व्यापारियों ने नुकसान की भरपाई करने के लिए डेट बीत जाने के बाद भी इनकी बिक्री जारी रखीं. जिसे लेकर लॉकडाउन खत्म होने के बाद खाद्य एवं औषधि विभाग की तरफ से ऐसी चीजों की बिक्री रोकने का प्लान तैयार किया गया.

वहीं, पिछले साल कोरोना के कारण अचानक लगे लॉकडाउन के बाद बाजारों में मौजूद सभी सामान दुकानों और स्टोर में डंप था और बाद में जब चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाया गया तो यह डंप सामान को मार्केट में खापाया जाने लगा. इसी समान में से बाजारों में पैकेटों में खराब हो चुके खाद्य पदार्थ और डिब्बाबंद सामग्री को लेकर भी कई शिकायतें सामने आई. उत्तराखंड में कोविड का सबसे ज्यादा असर देहरादून में देखने को मिला है.

पढ़ें: बैसाखी पर उमड़ा आस्था का सैलाब, 8 बजे तक 6 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी गणेश कंडवाल ने कहा कि लॉकडाउन के बाद पैक और डिब्बाबंद खराब खाद्य सामग्री बेचे जाने की कई शिकायतें उन्हें प्राप्त हुई. जिसके बाद कार्रवाई की गई. यही नहीं विभाग द्वारा बड़े स्तर पर निरीक्षण और जागरूकता अभियान भी चलाया गया. उन्होंने कहा कि पिछले साल कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन लगते ही खाद्य सुरक्षा विभाग के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी थी.

इस दौरान चल रहे कम्युनिटी किचन, कोरोना के नियमों का पालन करना और उस खाद्य सामग्री को सुरक्षित और संक्रमित सहित असहाय गरीब और खाने के अभाव में मौजूद लोगों तक पहुंचाना. तो वहीं दूसरी जिम्मेदारी सभी आवश्यक वस्तुओं का लोगों तक पहुंचाना. इसके अलावा उन्होंने बताया कि जब लॉकडाउन में थोड़ा ढील बरती गई तो त्यौहारों में खासतौर से दीपावली, न्यू ईयर और होली के मौके पर इस बात की आशंका थी कि पुराना खराब माल बाजार में न खपाया जाए. इसके लिए बड़े स्तर पर चेकिंग अभियान चलाया गया और इस दौरान कई कार्रवाई की गई.

दुकानदार उपेंद्र सेमवाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और उनका इस दौरान कई टन सामान खराब हुआ. उसके बाद जब लॉगडाउन खुला तो एक बार धीरे-धीरे उनके काम ने रफ्तार पकड़ी हालांकि रफ्तार अभी भी पहले जैसी नहीं है.

देहरादून: कोरोना महामारी का कहर देश और दुनिया में अभी भी जारी है. ऐसे में पूरी दुनिया आर्थिक संकट से जुझ रही है. वहीं, अगर व्यक्तिगत नुकसान की बात करें, तो कोरोना का असर व्यापारियों में काफी देखने को मिला है. लॉकडाउन के दौरान दुकानों के बंद होने की वजह से जिले के व्यापारियों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ी समस्या खाद्य पदार्थों की बिक्री को लेकर हुई है. क्योंकि पैकेट बंद फूड आइटम्स की एक्सपायरी डेट खत्म हो जाने की वजह से इनके खराब होने और कंपनी की तरफ से इनको वापस न लिए जाने के बाद व्यापारियों ने नुकसान की भरपाई के लिए कई जगहों पर एक्सपायरी डेट के प्रोडक्ट ही बेचने शुरू कर दिए हैं.

पैकेट बंद खाद्य पदार्थों को खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान.

लॉकडाउन के दौरान पैकेट बंद खाद्य पदार्थ, जिनमें ब्रेड, बटर, चिप्स, नमकीन, बिस्किट, समेत खाद्य मसाले और तमाम ऐसे फूड आइटम्स थे. जो दुकानें बंद होने के बाद अंदर ही पड़े रह गए. कुछ की बिक्री हुई, लेकिन कुछ दुकानों की बंदी की वजह से व्यापारियों ने नुकसान की भरपाई करने के लिए डेट बीत जाने के बाद भी इनकी बिक्री जारी रखीं. जिसे लेकर लॉकडाउन खत्म होने के बाद खाद्य एवं औषधि विभाग की तरफ से ऐसी चीजों की बिक्री रोकने का प्लान तैयार किया गया.

वहीं, पिछले साल कोरोना के कारण अचानक लगे लॉकडाउन के बाद बाजारों में मौजूद सभी सामान दुकानों और स्टोर में डंप था और बाद में जब चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाया गया तो यह डंप सामान को मार्केट में खापाया जाने लगा. इसी समान में से बाजारों में पैकेटों में खराब हो चुके खाद्य पदार्थ और डिब्बाबंद सामग्री को लेकर भी कई शिकायतें सामने आई. उत्तराखंड में कोविड का सबसे ज्यादा असर देहरादून में देखने को मिला है.

पढ़ें: बैसाखी पर उमड़ा आस्था का सैलाब, 8 बजे तक 6 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी गणेश कंडवाल ने कहा कि लॉकडाउन के बाद पैक और डिब्बाबंद खराब खाद्य सामग्री बेचे जाने की कई शिकायतें उन्हें प्राप्त हुई. जिसके बाद कार्रवाई की गई. यही नहीं विभाग द्वारा बड़े स्तर पर निरीक्षण और जागरूकता अभियान भी चलाया गया. उन्होंने कहा कि पिछले साल कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन लगते ही खाद्य सुरक्षा विभाग के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी थी.

इस दौरान चल रहे कम्युनिटी किचन, कोरोना के नियमों का पालन करना और उस खाद्य सामग्री को सुरक्षित और संक्रमित सहित असहाय गरीब और खाने के अभाव में मौजूद लोगों तक पहुंचाना. तो वहीं दूसरी जिम्मेदारी सभी आवश्यक वस्तुओं का लोगों तक पहुंचाना. इसके अलावा उन्होंने बताया कि जब लॉकडाउन में थोड़ा ढील बरती गई तो त्यौहारों में खासतौर से दीपावली, न्यू ईयर और होली के मौके पर इस बात की आशंका थी कि पुराना खराब माल बाजार में न खपाया जाए. इसके लिए बड़े स्तर पर चेकिंग अभियान चलाया गया और इस दौरान कई कार्रवाई की गई.

दुकानदार उपेंद्र सेमवाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और उनका इस दौरान कई टन सामान खराब हुआ. उसके बाद जब लॉगडाउन खुला तो एक बार धीरे-धीरे उनके काम ने रफ्तार पकड़ी हालांकि रफ्तार अभी भी पहले जैसी नहीं है.

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