देहरादून: केदारनाथ धाम में मात्र डेढ़ महीने में तीर्थयात्रियों की संख्या ने पिछले सभी सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं. लेकिन विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि यहां पहुंच रहे श्रद्धालुओं को अव्यवस्थाओं को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिसकी वजह से 30 से 40 फिसदी भक्त बिना भोले के दर्शन किए ही वापस लौट गये.
केदारनाथ विधायक ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीते डेढ़ महीने में केदार धाम में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से सही व्यवस्थाएं ना होने की वजह से तीर्थयात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
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उन्होंने कहा कि सरकार जनसंख्या मैनेज नहीं कर पाई. सरकार को रुद्रप्रयाग, गुप्तकाशी और गौरीकुंड से कितने लोगों को केदारनाथ भेजना है, यह पहले ही तय कर लेना चाहिए था. लेकिन सरकार इस बार बिल्कुल ही अनुभवहीन निकली, जिसका प्रभाव यह पड़ा कि करीब 30 और 40 प्रतिशत श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन ना होने की वजह से वापस लौट गए. जिससे देश और दुनिया में एक खराब संदेश गया है.
केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने बताया कि विधानसभा के तमाम अधिकारियों की चारधाम यात्रा में ड्यूटी लगाने से केदारनाथ विधानसभा का विकास कार्य रुक गया है. हालांकि इससे पहले 3 महीने तक आचार संहिता लगने की वजह से विकास कार्य नहीं हो पाया. जिसके बाद अब चारधाम यात्रा चल रही है. जिस वजह से बीते दो महीनों में केदारनाथ विधानसभा का कोई भी विकास कार्य नहीं हो पाया है.
उन्होंने बताया कि इस बार सरकार ने केदारनाथ के लिए कोई बजट नहीं दिया है. केदारनाथ यात्रा के लिए जो भी पैसा खर्च हो रहा है, वह केदारनाथ विधानसभा के स्थानीय जनता का पैसा खर्च हो रहा है. उन्होंने सरकार से चारधाम यात्रा के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था की मांग की.
इसके साथ ही उन्होंने केदारनाथ धाम में हुई श्रद्धालुओं की मौतों के लिए सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैये और बदइंतजामी को वजह बताया.