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उत्तराखंड में सबसे बड़े ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का क्या है स्टेटस, जानें कहां तक पहुंचा काम - चारधाम यात्रा 2023

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले महीने नौ वर्ष पूरे कर लिए हैं. इन 9 सालों में उत्तराखंड के लिए किए गए कार्यों में सबसे अहम चारधाम परियोजना यानी ऑल वेदर रोड का काम है. अब तक 310 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में सड़कों का काम पूरा हो चुका है. साथ ही 526 किलोमीटर क्षेत्र में पेंटिंग का काम लगभग पूरा कर लिया गया है.

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Published : Jun 23, 2023, 11:26 AM IST

Updated : Jun 23, 2023, 12:02 PM IST

सबसे बड़े ऑल वेदर प्रोजेक्ट का स्टेटस जानिए

देहरादून: 2017 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चारधाम राजमार्ग विकास योजना की शुरुआत की थी. इसे ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट भी कहा जाता है. इस योजना का उद्देश्य देश-विदेश के लोगों के लिए उत्तराखंड स्थित चारों धाम केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाना है. वहीं दूसरी तरफ इसका एक और महत्वपूर्ण पहलू देश की सुरक्षा से भी जुड़ा है. इस योजना की शुरुआत से ही रक्षा विशेषज्ञों को इस प्रोजेक्ट में केवल चार धाम यात्रा नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण पहलू नजर आने लगा था. खासतौर से चाइना बॉर्डर पर भारतीय सेना को मजबूती देने के लिए यह प्रोजेक्ट एक मील का पत्थर साबित हुआ है. केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद हिमालय क्षेत्र के लिए यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट था.

All Weather Road Project
उत्तराखंड में सबसे बड़े ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का क्या है स्टेटस

दिसंबर 2016 को हुआ था चारधाम परियोजना का शुभारंभ: मोदी सरकार के अब तक के कुछ बड़े प्रोजेक्ट में से एक उत्तराखंड ऑल वेदर प्रोजेक्ट पर अगर नजर डालें, तो बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों की यात्रा को हर मौसम में सुरक्षित, तेज़ और अधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से दिसंबर 2016 को चारधाम परियोजना का शुभारंभ किया गया था. इस परियोजना के तहत भारत-चीन-नेपाल सीमा पर पहुंच आसान बनाने के साथ ही चारधाम को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को चौड़ा, बेहतर और मजबूत किया जाना है.

12 हजार करोड़ का 8089 किलोमीटर लंबा प्रोजेक्ट: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय का उद्देश्य लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना से 8 सौ 89 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों को चौड़ा कर, चारों धाम को आपस में जोड़ना है. गौरतलब है कि योजना के तहत पहले चरण में ही 3 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे. वर्ष 2017 में इस प्रोजेक्ट के टेंडर पर काम शुरू हुआ था.

310 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में सड़कों का काम पूरा: विभागों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 310 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में सड़कों का काम पूरा हो चुका है, जबकि लगभग 359 किलोमीटर क्षेत्र में सड़कों का काम प्रगति पर है. वहीं 526 किलोमीटर क्षेत्र में पेंटिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है. साथ ही टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग और लिपुलेख तक का काम भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा. जिससे कैलाश-मानसरोवर की यात्रा सुगम हो जाएगी. इस प्रोजेक्ट के तहत 12 बाईपास, 15 फ्लाईओवर, 107 छोटे पुल और 3 हजार 889 कलवर्टर्स का निर्माण किया जा रहा है. चारधाम परियोजना का जिम्मा उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग, बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन, राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंपा गया है.
ये भी पढ़ें: चारधाम यात्रा में अब तक 29.48 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, केदारनाथ पंजीकरण पर 25 जून तक रोक, जानें कारण

सबसे बड़े ऑल वेदर प्रोजेक्ट का स्टेटस जानिए

देहरादून: 2017 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चारधाम राजमार्ग विकास योजना की शुरुआत की थी. इसे ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट भी कहा जाता है. इस योजना का उद्देश्य देश-विदेश के लोगों के लिए उत्तराखंड स्थित चारों धाम केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाना है. वहीं दूसरी तरफ इसका एक और महत्वपूर्ण पहलू देश की सुरक्षा से भी जुड़ा है. इस योजना की शुरुआत से ही रक्षा विशेषज्ञों को इस प्रोजेक्ट में केवल चार धाम यात्रा नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण पहलू नजर आने लगा था. खासतौर से चाइना बॉर्डर पर भारतीय सेना को मजबूती देने के लिए यह प्रोजेक्ट एक मील का पत्थर साबित हुआ है. केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद हिमालय क्षेत्र के लिए यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट था.

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उत्तराखंड में सबसे बड़े ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का क्या है स्टेटस

दिसंबर 2016 को हुआ था चारधाम परियोजना का शुभारंभ: मोदी सरकार के अब तक के कुछ बड़े प्रोजेक्ट में से एक उत्तराखंड ऑल वेदर प्रोजेक्ट पर अगर नजर डालें, तो बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों की यात्रा को हर मौसम में सुरक्षित, तेज़ और अधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से दिसंबर 2016 को चारधाम परियोजना का शुभारंभ किया गया था. इस परियोजना के तहत भारत-चीन-नेपाल सीमा पर पहुंच आसान बनाने के साथ ही चारधाम को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को चौड़ा, बेहतर और मजबूत किया जाना है.

12 हजार करोड़ का 8089 किलोमीटर लंबा प्रोजेक्ट: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय का उद्देश्य लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना से 8 सौ 89 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों को चौड़ा कर, चारों धाम को आपस में जोड़ना है. गौरतलब है कि योजना के तहत पहले चरण में ही 3 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे. वर्ष 2017 में इस प्रोजेक्ट के टेंडर पर काम शुरू हुआ था.

310 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में सड़कों का काम पूरा: विभागों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 310 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में सड़कों का काम पूरा हो चुका है, जबकि लगभग 359 किलोमीटर क्षेत्र में सड़कों का काम प्रगति पर है. वहीं 526 किलोमीटर क्षेत्र में पेंटिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है. साथ ही टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग और लिपुलेख तक का काम भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा. जिससे कैलाश-मानसरोवर की यात्रा सुगम हो जाएगी. इस प्रोजेक्ट के तहत 12 बाईपास, 15 फ्लाईओवर, 107 छोटे पुल और 3 हजार 889 कलवर्टर्स का निर्माण किया जा रहा है. चारधाम परियोजना का जिम्मा उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग, बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन, राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंपा गया है.
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Last Updated : Jun 23, 2023, 12:02 PM IST
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