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देश की पहली महिला DGP कंचन चौधरी भट्टाचार्य का सफर...

उत्तराखंड की पूर्व डीजीपी दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य का छोटा सा राजनीतिक सफर भी रहा. वो पुलिस की तरह राजनीति में भी कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखती थी. उन्होंने साल 2014 में आम आदमी पार्टी की टिकट पर हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें उनको करीब 18 हजार वोट मिले थे.

दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य (फाइल फोटो)
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Published : Aug 27, 2019, 3:42 PM IST

Updated : Aug 27, 2019, 4:36 PM IST

देहरादून: देश की दूसरी महिला आईपीएस अधिकारी बनने वाली दिवंगत पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य को देश की पहली महिला डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) बनने का भी गौरव प्राप्त है. कंचन चौधरी भट्टाचार्य का छोटा सा राजनीतिक सफर भी रहा है. लोकसभा चुनाव 2014 में आम आदमी पार्टी टिकट पर हरिद्वार से चुनाव लड़ीं थी. हालांकि, वो चुनाव हार गई थीं, लेकिन फिर भी उन्हें इस चुनाव में उनको लगभग 18 हजार वोट पड़े थे.

हिमाचल प्रदेश के सामान्य परिवार में जन्मीं कंचन चौधरी ने पुलिस सेवा में बुलंदियों को छूने के बाद राजनीतिक गलियारों में भी कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखती थीं. उनका कहना था कि पुलिस के पास वर्दी तो होती है. लेकिन सफेदपोश नेताओं ने उन्हें कई बार कुछ अच्छा करने से रोकते हैं. ऐसे में वह राजनीति में हाथ आजमा कर आम जनता की लड़ाई लड़ना चाहती थी, लेकिन पुलिस की बुलंदियों को छूने वाली दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य का राजनीतिक सफर अल्प रहा, जिसमें वह आगे नहीं बढ़ पायी.

दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य उत्तराखंड पुलिस से डीजीपी के पद पर 31 अक्टूबर 2007 में रिटायर्ड होकर सामाजिक जीवन की ओर कार्य कर रही थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनकर आने के वक्त उनका कहना था कि देश में फैले भ्रष्टाचार नेताओं के घोटाले और आम आदमी की पीड़ा को देखते हुए वह राजनीति में आई हैं. पुलिस को उनकी पावर दे दी जाए तो वह समाज में कई तरह के बेहतर काम कर सकती है लेकिन सफेदपोश नेता ऐसा करने से उन्हें रोकते आए हैं. ऐसे में वह इस व्यवस्था में अपने अधूरे सामाजिक कार्य को पूरा करने के लिए राजनीति में आई हैं. समय आ गया है तत्त्व को बदलने का...

पढ़ें- देश की पहली और उत्तराखंड की पूर्व महिला DGP कंचन चौधरी भट्टाचार्य का निधन

अपने अल्प राजनीतिक सफर में आई उत्तराखंड पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी राजनीति में अपना आदर्श पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को मानतीं थी.

90 के दशक में "उड़ान" दूरदर्शन धारावाहिक कंचन चौधरी की जीवनी पर प्रसिद्ध रहा
कंचन चौधरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय महिला विद्यालय पंजाब के अमृतसर से पूरी की. पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई अंग्रेजी साहित्य से दिल्ली यूनिवर्सिटी से की. देश में दूसरी महिला आईपीएस बनने वाली कंचन चौधरी देश की पहली पुलिस डीजीपी अधिकारी थी. कंचन चौधरी ने अपने सेवा काल में कई बेहतरीन व सराहनीय कार्य किए. उनके जीवन से प्रेरणा लेकर 1990 के दशक में दूरदर्शन पर "उड़ान" नाम का धारावाहिक प्रसारित किया गया था, जिसने काफी सुर्खियां बटोरीं.

दिवंगत पूर्व उत्तराखंड डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य की बहन कविता चौधरी बॉलीवुड में बतौर निर्देशक नाम कमा रही हैं. उनके पति देव भट्टाचार्य विदेश व्यवसायी हैं, जबकि दो बेटियां विदेश में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं.

कंचन चौधरी को पुलिस सेवा काल में मिले पुरस्कार

  • 1990 राष्ट्रीय पुरस्कार(उत्कृष्ट सेवाओं के लिए)
  • 1997 राष्ट्रपति पुरस्कार
  • 2004 राजीव गांधी पुरस्कार
  • 2005 दूरदर्शन पुरस्कार
  • 2006 उत्तराखंड गौरव पुरस्कार
  • 2006 स्त्री शक्ति पुरस्कार (कोलकाता में)
  • 2008 अमर उजाला पुरस्कार
  • 2010 उत्तराखंड गौरव पुरस्कार

कंचन चौधरी के अन्य सराहनीय कार्य

  • जोधपुर पुलिस विश्वविद्यालय की स्थापना में इनकी अहम भूमिका रही.
  • कंचन चौधरी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की सदस्य रहीं.
  • अपने पूरे पुलिस सेवा काल में पुलिस और आम जनता के बीच आपसी सामंजस्य नज़दीकियां और विश्वसनीयता बनाने में विशेष प्रयास किया गया, जिसमें वह काफी हद तक सफल रहीं.
  • सरल स्वभाव होने के कारण महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई अहम कदम उठाकर उनके घरेलू जीवन में आने वाले वाद विवाद व हिंसा को समझाने के लिए समाज के प्रमुख लोगों के साथ मिलकर परामर्श केंद्र बनाए.

देश में पहली महिला पुलिस महानिदेशक बनने वाली उत्तराखंड पूर्व डीजीपी दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने हिमाचल प्रदेश के सामान्य परिवार शुरुआत करते हुए पुलिस सेवा में सराहनीय कार्यों से बुलंदियों को अपने कुशल नेतृत्व पाया था. लेकिन जनता सेवा भाव के मकसद वाले राजनीतिक पारी को आगे नहीं बढ़ा सकीं. जिसके चलते उनका राजनीतिक सफर बेहद अल्प समय का रहा.

देहरादून: देश की दूसरी महिला आईपीएस अधिकारी बनने वाली दिवंगत पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य को देश की पहली महिला डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) बनने का भी गौरव प्राप्त है. कंचन चौधरी भट्टाचार्य का छोटा सा राजनीतिक सफर भी रहा है. लोकसभा चुनाव 2014 में आम आदमी पार्टी टिकट पर हरिद्वार से चुनाव लड़ीं थी. हालांकि, वो चुनाव हार गई थीं, लेकिन फिर भी उन्हें इस चुनाव में उनको लगभग 18 हजार वोट पड़े थे.

हिमाचल प्रदेश के सामान्य परिवार में जन्मीं कंचन चौधरी ने पुलिस सेवा में बुलंदियों को छूने के बाद राजनीतिक गलियारों में भी कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखती थीं. उनका कहना था कि पुलिस के पास वर्दी तो होती है. लेकिन सफेदपोश नेताओं ने उन्हें कई बार कुछ अच्छा करने से रोकते हैं. ऐसे में वह राजनीति में हाथ आजमा कर आम जनता की लड़ाई लड़ना चाहती थी, लेकिन पुलिस की बुलंदियों को छूने वाली दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य का राजनीतिक सफर अल्प रहा, जिसमें वह आगे नहीं बढ़ पायी.

दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य उत्तराखंड पुलिस से डीजीपी के पद पर 31 अक्टूबर 2007 में रिटायर्ड होकर सामाजिक जीवन की ओर कार्य कर रही थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनकर आने के वक्त उनका कहना था कि देश में फैले भ्रष्टाचार नेताओं के घोटाले और आम आदमी की पीड़ा को देखते हुए वह राजनीति में आई हैं. पुलिस को उनकी पावर दे दी जाए तो वह समाज में कई तरह के बेहतर काम कर सकती है लेकिन सफेदपोश नेता ऐसा करने से उन्हें रोकते आए हैं. ऐसे में वह इस व्यवस्था में अपने अधूरे सामाजिक कार्य को पूरा करने के लिए राजनीति में आई हैं. समय आ गया है तत्त्व को बदलने का...

पढ़ें- देश की पहली और उत्तराखंड की पूर्व महिला DGP कंचन चौधरी भट्टाचार्य का निधन

अपने अल्प राजनीतिक सफर में आई उत्तराखंड पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी राजनीति में अपना आदर्श पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को मानतीं थी.

90 के दशक में "उड़ान" दूरदर्शन धारावाहिक कंचन चौधरी की जीवनी पर प्रसिद्ध रहा
कंचन चौधरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय महिला विद्यालय पंजाब के अमृतसर से पूरी की. पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई अंग्रेजी साहित्य से दिल्ली यूनिवर्सिटी से की. देश में दूसरी महिला आईपीएस बनने वाली कंचन चौधरी देश की पहली पुलिस डीजीपी अधिकारी थी. कंचन चौधरी ने अपने सेवा काल में कई बेहतरीन व सराहनीय कार्य किए. उनके जीवन से प्रेरणा लेकर 1990 के दशक में दूरदर्शन पर "उड़ान" नाम का धारावाहिक प्रसारित किया गया था, जिसने काफी सुर्खियां बटोरीं.

दिवंगत पूर्व उत्तराखंड डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य की बहन कविता चौधरी बॉलीवुड में बतौर निर्देशक नाम कमा रही हैं. उनके पति देव भट्टाचार्य विदेश व्यवसायी हैं, जबकि दो बेटियां विदेश में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं.

कंचन चौधरी को पुलिस सेवा काल में मिले पुरस्कार

  • 1990 राष्ट्रीय पुरस्कार(उत्कृष्ट सेवाओं के लिए)
  • 1997 राष्ट्रपति पुरस्कार
  • 2004 राजीव गांधी पुरस्कार
  • 2005 दूरदर्शन पुरस्कार
  • 2006 उत्तराखंड गौरव पुरस्कार
  • 2006 स्त्री शक्ति पुरस्कार (कोलकाता में)
  • 2008 अमर उजाला पुरस्कार
  • 2010 उत्तराखंड गौरव पुरस्कार

कंचन चौधरी के अन्य सराहनीय कार्य

  • जोधपुर पुलिस विश्वविद्यालय की स्थापना में इनकी अहम भूमिका रही.
  • कंचन चौधरी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की सदस्य रहीं.
  • अपने पूरे पुलिस सेवा काल में पुलिस और आम जनता के बीच आपसी सामंजस्य नज़दीकियां और विश्वसनीयता बनाने में विशेष प्रयास किया गया, जिसमें वह काफी हद तक सफल रहीं.
  • सरल स्वभाव होने के कारण महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई अहम कदम उठाकर उनके घरेलू जीवन में आने वाले वाद विवाद व हिंसा को समझाने के लिए समाज के प्रमुख लोगों के साथ मिलकर परामर्श केंद्र बनाए.

देश में पहली महिला पुलिस महानिदेशक बनने वाली उत्तराखंड पूर्व डीजीपी दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने हिमाचल प्रदेश के सामान्य परिवार शुरुआत करते हुए पुलिस सेवा में सराहनीय कार्यों से बुलंदियों को अपने कुशल नेतृत्व पाया था. लेकिन जनता सेवा भाव के मकसद वाले राजनीतिक पारी को आगे नहीं बढ़ा सकीं. जिसके चलते उनका राजनीतिक सफर बेहद अल्प समय का रहा.

Intro:summary_दिवंगत पूर्व उत्तराखंड डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य का छोटा सा राजनीतिक सफर, 2014 में आम आदमी पार्टी से हरिद्वार से लोकसभा चुनाव प्रत्याशी थी,लगभग 18 हज़ार वोट पड़े थे, पुलिस की ऊंचाइयों की तरह राजनीति में भी कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखती थी कंचन चौधरी।

पुलिस सेवा में सफेदपोश नेता कई बार बेहतर कार्य रूकावट होते हैं इसलिए में राजनीति आकर जनता की सेवा करूंगी: दिवंगत पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य

देश में किरण बेदी के बाद दूसरी महिला आईपीएस अधिकारी बनने वाली दिवंगत पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य देश की पहली महिला डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) बनने का गौरव प्राप्त है। कंचन चौधरी भट्टाचार्य का छोटा सा राजनीतिक सफर भी रहा है वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वह आम आदमी पार्टी की तरफ से हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ी थी हालांकि वह यह चुनाव हार गई थी लेकिन उन्हें फिर भी इस चुनाव में उनको लगभग 18000 वोट पड़े थे।
हिमाचल प्रदेश के सामान्य परिवार से आने वाली कंचन चौधरी ने पुलिस सेवा में बुलंदियों को छूने के बाद राजनीतिक गलियारों में भी कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखती थी उनका कहना था कि पुलिस के पास वर्दी तो होती है लेकिन सफेदपोश नेताओं ने उन्हें कई बार कुछ अच्छा करने से रोकते हैं ऐसे में वह राजनीति में हाथ आजमा कर आम जनता की लड़ाई लड़ना चाहती थी। लेकिन पुलिस की बुलंदियों को छूने वाली दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य का राजनीतिक सफर अल्प रहा जिसमें वह आगे नहीं बढ़ पायी।

दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य उत्तराखंड पुलिस से डीजीपी के पद पर 31 अक्टूबर 2007 में रिटायर्ड होकर सामाजिक जीवन की ओर कार्य कर रही थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनकर आने के वक्त उनका कहना था कि देश में फैले भ्रष्टाचार नेताओं के घोटाले और आम आदमी की पीड़ा को देखते हुए वह राजनीति में आई है उनका कहना था कि पुलिस को उनकी पावर दे दी जाए तो वह समाज में कई तरह के बेहतर काम कर सकती है लेकिन सफेदपोश नेता ऐसा करने से उन्हें रोकते आए हैं। ऐसे में वह इस व्यवस्था में अपने अधूरे सामाजिक कार्य को पूरा करने के लिए राजनीति में आई है।
अपने अल्प राजनीतिक सफर में आई उत्तराखंड पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी राजनीतिक में अपना आदर्श पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को मानती थी।


90 के दशक में "उड़ान" दूरदर्शन धारावाहिक कंचन चौधरी की जीवनी पर प्रसिद्ध रहा

कंचन चौधरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय महिला विद्यालय पंजाब के अमृतसर से पूरी की और पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई उन्होंने अंग्रेजी साहित्य से दिल्ली यूनिवर्सिटी से की। देश में दूसरी महिला आईपीएस बनने वाली कंचन चौधरी देश की पहली पुलिस डीजीपी अधिकारी थी उनके पूरे पुलिस सेवा में कई बेहतरीन वह सराहनीय कार्य है इन्हीं उत्कृष्ट कार्यों के ऊपर उनके जीवन से प्रेरणा लेकर 1990 के दशक में दूरदर्शन पर उनके जीवनी को लेकर "उड़ान" नाम का धारावाहिक प्रसारित किया गया था जो उन दिनों काफी प्रसिद्ध हुआ था।
दिवंगत पूर्व उत्तराखंड डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य की बहन कविता चौधरी बॉलीवुड में निर्देशक के रूप में अपना नाम कमा रही है। उनके पति देव भट्टाचार्य विदेश व्यवसायी करते हैं जबकि दो बेटियां विदेश में शिक्षा ग्रहण करती है।


Body:वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में हरिद्वार संसदीय सीट से आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाली दिवंगत पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने उस चुनाव के नजदीक आने पर कहा था कि समय आ गया है वक्त के तत्त्व को बदलने का.., आपका समर्थन और आपकी कड़ी मेहनत थी कंचन चौधरी को इस पूरी भ्रष्ट व्यवस्था से बदलने में मदद करेगी ईमानदार और निष्ठावान व्यक्ति को अपना सेवक बनाने के लिए अपना कीमती समय इस राजनेता क्रांति को दें।



दूरदर्शन चैनल पर 90 के दशक में बहुचर्चित सीरियल उड़ान दिवंगत पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य की जीवन पर आधारित था


कंचन चौधरी को अपने पूरे पुलिस सेवा काल में अनेक उच्च पदों पर रहते हुए कई पुलिस उत्कृष्ट सराहनीय पुरस्कार मिले हैं

वर्ष 1990 राष्ट्रीय पुरस्कार(उत्कृष्ट सेवाओं के लिए)
वर्ष 1997 राष्ट्रपति पुरस्कार
2004 राजीव गांधी पुरस्कार
2005 दूरदर्शन पुरस्कार
2006 उत्तराखंड गौरव पुरस्कार
2006 स्त्री शक्ति पुरस्कार (कोलकाता में)
2008 अमर उजाला पुरस्कार
2010 उत्तराखंड गौरव पुरस्कार




Conclusion:दिवंगत पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी के अन्य सराहनीय कार्य इस प्रकार रहे:-

जोधपुर पुलिस विश्वविद्यालय की स्थापना में दिवंगत पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी की अहम भूमिका रही थी।
दिवंगत पूर्व कंचन चौधरी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की सदस्य भी रही है।
अपने पूरे पुलिस सेवा काल में इनके द्वारा पुलिस और आम जनता के बीच आपसी सामंजस्य नज़दीकियां और विश्वसनीयता बनाने में विशेष प्रयास किया गया जिसमें वह काफी हद तक सफल रही।
दिवंगत पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य का अपने पुलिस सेवा काल में रहते हुए अपने अधिकारियों को विश्वास में लेकर सराहनीय और उत्कृष्ट कार्य किए गए कठिन परिस्थितियों में अपने विवेक और सूझबूझ से समस्या का समाधान निकाल कई बार सफल रही।
सरल स्वभाव होने के कारण महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई अहम कदम उठाकर उनके घरेलू जीवन में आने वाले वाद विवाद वह हिंसा को समझाने के लिए समाज के प्रमुख लोगों के साथ मिलकर परामर्श केंद्र बनाए गए।


देश में पहली महिला पुलिस महानिदेशक बनने वाली उत्तराखंड पूर्व डीजीपी दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने हिमाचल प्रदेश के सामान्य परिवार शुरुआत करते हुए पुलिस सेवा में सराहनीय कार्यो से बुलंदियों को अपने कुशल नेतृत्व पाया था लेकिन वह अपनी जनता सेवाभाव के मकसद वाले राजनीतिक पारी को आगे नहीं बढ़ा सकी जिसके चलते उनका राजनीतिक सफर बेहद अल्प समय का रहा।
Last Updated : Aug 27, 2019, 4:36 PM IST
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