ETV Bharat / state

Pancheshwar Dam: बड़े बांधों पर सवालों के बीच क्या होगा पंचेश्वर डैम का भविष्य, 80 हजार होंगे प्रभावित

जोशीमठ भू धंसाव ने उत्तराखंड की बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं. चंपावत जिले में 60 हजार करोड़ रुपए की पंचेश्वर डैम परियोजना प्रस्तावित है. भारत और नेपाल इसे मिलकर बनाने वाले हैं. जोशीमठ में आई आपदा और राज्य के अनेक स्थानों पर मकानों इमारतों में दरारें पड़ने के बाद क्या पंचेश्वर बांध परियोजना परवान चढ़ पाएगी. पढ़िए ये रिपोर्ट.

pancheshwar dam news
पंचेश्वर बांध समाचार
author img

By

Published : Jan 16, 2023, 2:16 PM IST

Updated : Jan 17, 2023, 2:27 PM IST

चंपावत: महाकाली नदी पर देश का सबसे ऊंचा बांध बनाने की पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना प्रस्तावित है. इस परियोजना का प्रस्ताव 1996 में हुआ. भारत-नेपाल महाकाली जल संधि के तहत पंचेश्वर बांध का निर्माण होना है. दरअसल महाकाली नदी भारत और नेपाल दोनों देशों की सीमा पर बहती है. 25 साल पहले भारत नेपाल के बीच महाकाली जल संधि हुई थी. इसके तहत महाकाली नदी पर पंचेश्वर बांध का निर्माण होना है. दरअसल नेपाल में इस संधि को लेकर समर्थन नहीं था. इस कारण बांध निर्माण का काम तेजी से आगे नहीं बढ़ सका.

पंचेश्वर बांध से प्रभावित होंगे 80 हजार से ज्यादा लोग: आखिर में जब 2014 में दोनों देशों की सरकारों ने परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए पंचेश्वर विकास प्राधिकरण बनाया. प्राधिकरण बनाते समय यह तय हुआ था कि विवादित मुद्दों पर डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनने के बाद स्थित साफ हो जाएगी. 2010 में एक अंतरराष्ट्रीय संस्था इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंटल साइंसेज (आईईएस) के लिए वैज्ञानिकों (मार्क एवरार्ड और गौरव कटारिया) के अध्ययन के अनुसार, यदि केवल महाकाली घाटी के पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं का आकलन किया जाए तो इस परियोजना की लागत, लाभ से कई गुना अधिक होगी. इस अध्ययन के अनुसार भारत और नेपाल को मिला कर घाटी के 80 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे. प्रभावितों में मुख्य रूप से किसान, मजदूर, मछुआरे होंगे.

pancheshwar dam news
पंचेश्वर बांध का लेखा जोखा

60 हजार करोड़ की है पंचेश्वर बांध परियोजना: 60 हजार करोड़ रुपये की 5040 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली 315 मीटर ऊंचाई की प्रस्तावित बांध परियोजना में पिछले तीन साल से हलचल नहीं हुई है. इसके बनने से चंपावत, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिले का 76 वर्ग किमी हिस्सा डूब क्षेत्र में समा जाएगा. बांध निर्माण की डीपीआर तैयार करने वाली वाप्कोस कंपनी के मुताबिक भारत का 76 वर्ग किमी और नेपाल का 40 वर्ग किमी भूभाग प्रभावित क्षेत्र में होगा.

जोन चार में बनना है पंचेश्वर बांध: चंपावत जिले के डूब क्षेत्र में 19 विभागों की करीब 1.60 अरब रुपये की परिसंपत्तियां प्रभावित होंगी. प्रस्तावित बांध क्षेत्र भूगर्भीय हलचलों की दृष्टि से जोन चार में शामिल है. बांध का विरोध करने वाले पर्यावरणविदों का कहना है कि पंचेश्वर बांध में जल को रोकने से यहां 80 करोड़ घन लीटर पानी का अतिरिक्त दबाव पड़ेगा. इस कारण इस संवेदनशील क्षेत्र की चट्टानों के खिसकने और धंसने का खतरा बढ़ेगा.

बांध से विस्थापित होंगे तीन जिलों में 134 गांव: प्रस्तावित पंचेश्वर बांध परियोजना में तीन जिलों के 134 गांवों के डूब क्षेत्र में आने से 31 हजार से अधिक लोग विस्थापित होंगे. इसमें चंपावत के 26, पिथौरागढ़ के 87 और अल्मोड़ा जिले के 21 गांव शामिल हैं. कुल मिलाकर 80 हजार से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने की आशंका है.

pancheshwar dam news
पंचेश्वर बांध पर विवाद के कारण
ये भी पढ़ें: Joshimath Sinking Side Effects: पावर प्रोजेक्ट्स पर हंगामे के बीच बिजली संकट, बड़े बांधों पर सवाल

शिव मंदिर पंचेश्वर बांध में डूबेगा: पंचेश्वर बांध बना तो पंचेश्वर का शिव मंदिर भी डूब जाएगा. इस शिव मंदिर में सालभर श्रद्धालु आते हैं. मकर संक्रांति के दिन यहां बड़ा मेला लगता है. इस बार भी उत्तरायणी के मेले में बड़ी भीड़ जुटी थी. मेले में भारत और नेपाल दोनों देशों के लोग हिस्सा लेने आए थे. चंपावत में पंचेश्वर शिव मंदिर की खासियत ये है कि यहां शिव की मूर्ति और शिवलिंग नाग देवता के साथ स्थापित हैं. भगवान शिव के पंचेश्वर महादेव मंदिर के प्रति भारत और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों में अगाध आस्था है. बांध बनने से यह आस्था स्थल भी डूब जाएगा.

चंपावत: महाकाली नदी पर देश का सबसे ऊंचा बांध बनाने की पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना प्रस्तावित है. इस परियोजना का प्रस्ताव 1996 में हुआ. भारत-नेपाल महाकाली जल संधि के तहत पंचेश्वर बांध का निर्माण होना है. दरअसल महाकाली नदी भारत और नेपाल दोनों देशों की सीमा पर बहती है. 25 साल पहले भारत नेपाल के बीच महाकाली जल संधि हुई थी. इसके तहत महाकाली नदी पर पंचेश्वर बांध का निर्माण होना है. दरअसल नेपाल में इस संधि को लेकर समर्थन नहीं था. इस कारण बांध निर्माण का काम तेजी से आगे नहीं बढ़ सका.

पंचेश्वर बांध से प्रभावित होंगे 80 हजार से ज्यादा लोग: आखिर में जब 2014 में दोनों देशों की सरकारों ने परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए पंचेश्वर विकास प्राधिकरण बनाया. प्राधिकरण बनाते समय यह तय हुआ था कि विवादित मुद्दों पर डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनने के बाद स्थित साफ हो जाएगी. 2010 में एक अंतरराष्ट्रीय संस्था इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंटल साइंसेज (आईईएस) के लिए वैज्ञानिकों (मार्क एवरार्ड और गौरव कटारिया) के अध्ययन के अनुसार, यदि केवल महाकाली घाटी के पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं का आकलन किया जाए तो इस परियोजना की लागत, लाभ से कई गुना अधिक होगी. इस अध्ययन के अनुसार भारत और नेपाल को मिला कर घाटी के 80 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे. प्रभावितों में मुख्य रूप से किसान, मजदूर, मछुआरे होंगे.

pancheshwar dam news
पंचेश्वर बांध का लेखा जोखा

60 हजार करोड़ की है पंचेश्वर बांध परियोजना: 60 हजार करोड़ रुपये की 5040 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली 315 मीटर ऊंचाई की प्रस्तावित बांध परियोजना में पिछले तीन साल से हलचल नहीं हुई है. इसके बनने से चंपावत, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिले का 76 वर्ग किमी हिस्सा डूब क्षेत्र में समा जाएगा. बांध निर्माण की डीपीआर तैयार करने वाली वाप्कोस कंपनी के मुताबिक भारत का 76 वर्ग किमी और नेपाल का 40 वर्ग किमी भूभाग प्रभावित क्षेत्र में होगा.

जोन चार में बनना है पंचेश्वर बांध: चंपावत जिले के डूब क्षेत्र में 19 विभागों की करीब 1.60 अरब रुपये की परिसंपत्तियां प्रभावित होंगी. प्रस्तावित बांध क्षेत्र भूगर्भीय हलचलों की दृष्टि से जोन चार में शामिल है. बांध का विरोध करने वाले पर्यावरणविदों का कहना है कि पंचेश्वर बांध में जल को रोकने से यहां 80 करोड़ घन लीटर पानी का अतिरिक्त दबाव पड़ेगा. इस कारण इस संवेदनशील क्षेत्र की चट्टानों के खिसकने और धंसने का खतरा बढ़ेगा.

बांध से विस्थापित होंगे तीन जिलों में 134 गांव: प्रस्तावित पंचेश्वर बांध परियोजना में तीन जिलों के 134 गांवों के डूब क्षेत्र में आने से 31 हजार से अधिक लोग विस्थापित होंगे. इसमें चंपावत के 26, पिथौरागढ़ के 87 और अल्मोड़ा जिले के 21 गांव शामिल हैं. कुल मिलाकर 80 हजार से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने की आशंका है.

pancheshwar dam news
पंचेश्वर बांध पर विवाद के कारण
ये भी पढ़ें: Joshimath Sinking Side Effects: पावर प्रोजेक्ट्स पर हंगामे के बीच बिजली संकट, बड़े बांधों पर सवाल

शिव मंदिर पंचेश्वर बांध में डूबेगा: पंचेश्वर बांध बना तो पंचेश्वर का शिव मंदिर भी डूब जाएगा. इस शिव मंदिर में सालभर श्रद्धालु आते हैं. मकर संक्रांति के दिन यहां बड़ा मेला लगता है. इस बार भी उत्तरायणी के मेले में बड़ी भीड़ जुटी थी. मेले में भारत और नेपाल दोनों देशों के लोग हिस्सा लेने आए थे. चंपावत में पंचेश्वर शिव मंदिर की खासियत ये है कि यहां शिव की मूर्ति और शिवलिंग नाग देवता के साथ स्थापित हैं. भगवान शिव के पंचेश्वर महादेव मंदिर के प्रति भारत और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों में अगाध आस्था है. बांध बनने से यह आस्था स्थल भी डूब जाएगा.

Last Updated : Jan 17, 2023, 2:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.