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16 जून से लागू होगा गोल्ड ज्वेलरी हॉलमार्क एक्ट, विरोध में ज्वेलर्स ने PM मोदी को लिखा पत्र

केंद्र सरकार 16 जून से गोल्ड ज्वेलरी हॉलमार्क एक्ट लागू करने जा रही है. लेकिन इसके लागू होने से पहले ही ज्वेलर्स विरोध में उतर आए हैं. ज्वेलर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. क्या है विरोध का कारण पढ़िए हमारी ये खास रिपोर्ट.

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गोल्ड ज्वेलरी हॉलमार्क एक्ट
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Published : Jun 11, 2021, 12:49 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड समेत देश के तमाम ज्वेलर्स शॉप में आगामी 16 जून से केवल हॉल मार्किंग वाले सोने के आभूषण ही बेचे जा सकेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से देश भर में आगामी 16 जून से गोल्ड ज्वेलरी हॉलमार्क एक्ट लागू किया जा रहा है. लेकिन इस एक्ट के लागू होने से पहले ही राजधानी देहरादून के सर्राफा व्यापारियों ने इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए सरकार से यह गुहार लगाई है कि वो इस एक्ट को फिलहाल लागू न करे.

हॉलमार्क एक्ट के मुख्य बिंदु

  • इस एक्ट के लागू होने के बाद ज्वेलर्स बिना हॉल मार्किंग वाले सोने के आभूषण नहीं बेच सकेंगे
  • बाजार में सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण ही बेचे जाएंगे
  • प्रत्येक सोने के आभूषण में होगा हॉलमार्क यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर (HUID)
  • आभूषण में सोने की शुद्धता पर किसी भी तरह की कमी आने पर रिटेलर जिम्मेदार माने जाएंगे. इसके तहत जुर्माने के साथ ही जेल का भी प्रावधान है
    -letter-to-pm-modi
    ये है हॉलमार्क एक्ट
    गोल्ड ज्वेलरी हॉलमार्क एक्ट का विरोध


क्या कहते हैं ज्वेलर्स ?
ईटीवी भारत से बात करते हुए ज्वेलर्स एसोसिएशन ऑफ उत्तरांचल के अध्यक्ष विपिन बैरी ने बताया कि प्रदेश के सर्राफा व्यापारी इस एक्ट के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस एक्ट में मौजूद कुछ प्रावधानों में संशोधन की जरूरत है. जैसे इस एक्ट के तहत बाजार में सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण ही बेचे जा सकेंगे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर जो पुराना स्टॉक ज्वेलर्स की दुकानों में पड़ा है उसका क्या होगा ?

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इसलिए ज्वेलर्स कर रहे हैं विरोध
वहीं बिपिन कहते हैं इस एक्ट के तहत हॉलमार्क यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर का भी प्रावधान किया गया है. इसके तहत प्रत्येक ज्वेलरी में एक यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर लिखा जाएगा. ऐसे में स्थानीय व्यापारियों के लिए अपने द्वारा बेचे गए प्रत्येक आभूषण का हिसाब रखना मुश्किल हो जाएगा.
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ज्वेलर्स बता रहे हैं विरोध का कारण

अशुद्धता पर ज्वेलर्स को जिम्मेदार ठहराने का विरोध
वहीं इस एक्ट के तहत एक और प्रावधान है, जिसमें यदि सोने के बने आभूषण में किसी तरह की अशुद्धता पाई जाती है, तो इसके लिए रिटेलर को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. सरकार को एक्ट में मौजूद इस प्रावधान में भी बदलाव करना चाहिए. यदि सोने के आभूषण में कोई अशुद्धता मिलती है तो इसके लिए रिटेलर को जिम्मेदार न मानते हुए मैन्युफैक्चर को जिम्मेदार मानना चाहिए. क्योंकि देश भर के तमाम रिटेलर मैन्युफैक्चर से ही हॉल मार्किंग वाले आभूषण खरीद कर अपनी दुकानों में बेचते हैं.

उत्तराखंड में सिर्फ देहरादून में है हॉल मार्किंग सेंटर
दूसरी तरफ उत्तराखंड के परिपेक्ष में बात करें तो उत्तराखंड में वर्तमान में एकमात्र हॉल मार्किंग सेंटर है जो देहरादून में स्थित है. ऐसे में प्रदेश के अन्य पहाड़ी और मैदानी इलाकों के ज्वेलर्स आखिर कैसे हॉल मार्किंग करा पाएंगे यह एक बड़ा सवाल है.

हॉल मार्किंग एक्ट लागू नहीं करने की मांग

ईटीवी भारत से बात करते हुए दून सर्राफा मंडल के अध्यक्ष सुनील मेसोन का कहना है कि सरकार को इस एक्ट को फिलहाल लागू नहीं करना चाहिए. उत्तराखंड में सिर्फ देहरादून में एकमात्र हॉलमार्किंग सेंटर है.

वहीं देश भर के 700 से ज्यादा जिलों में से 500 से ज्यादा जिले ऐसे हैं जहां हॉल मार्किंग सेंटर नहीं हैं. इस स्थिति में सरकार को इस एक्ट को लागू करने से पहले देशभर में हॉलमार्किंग सेंटरों की संख्या बढ़ानी चाहिए. इससे ज्वेलरी में हॉल मार्किंग के लिए व्यापारियों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा.

देहरादून: उत्तराखंड समेत देश के तमाम ज्वेलर्स शॉप में आगामी 16 जून से केवल हॉल मार्किंग वाले सोने के आभूषण ही बेचे जा सकेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से देश भर में आगामी 16 जून से गोल्ड ज्वेलरी हॉलमार्क एक्ट लागू किया जा रहा है. लेकिन इस एक्ट के लागू होने से पहले ही राजधानी देहरादून के सर्राफा व्यापारियों ने इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए सरकार से यह गुहार लगाई है कि वो इस एक्ट को फिलहाल लागू न करे.

हॉलमार्क एक्ट के मुख्य बिंदु

  • इस एक्ट के लागू होने के बाद ज्वेलर्स बिना हॉल मार्किंग वाले सोने के आभूषण नहीं बेच सकेंगे
  • बाजार में सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण ही बेचे जाएंगे
  • प्रत्येक सोने के आभूषण में होगा हॉलमार्क यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर (HUID)
  • आभूषण में सोने की शुद्धता पर किसी भी तरह की कमी आने पर रिटेलर जिम्मेदार माने जाएंगे. इसके तहत जुर्माने के साथ ही जेल का भी प्रावधान है
    -letter-to-pm-modi
    ये है हॉलमार्क एक्ट
    गोल्ड ज्वेलरी हॉलमार्क एक्ट का विरोध


क्या कहते हैं ज्वेलर्स ?
ईटीवी भारत से बात करते हुए ज्वेलर्स एसोसिएशन ऑफ उत्तरांचल के अध्यक्ष विपिन बैरी ने बताया कि प्रदेश के सर्राफा व्यापारी इस एक्ट के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस एक्ट में मौजूद कुछ प्रावधानों में संशोधन की जरूरत है. जैसे इस एक्ट के तहत बाजार में सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण ही बेचे जा सकेंगे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर जो पुराना स्टॉक ज्वेलर्स की दुकानों में पड़ा है उसका क्या होगा ?

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इसलिए ज्वेलर्स कर रहे हैं विरोध
वहीं बिपिन कहते हैं इस एक्ट के तहत हॉलमार्क यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर का भी प्रावधान किया गया है. इसके तहत प्रत्येक ज्वेलरी में एक यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर लिखा जाएगा. ऐसे में स्थानीय व्यापारियों के लिए अपने द्वारा बेचे गए प्रत्येक आभूषण का हिसाब रखना मुश्किल हो जाएगा.
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ज्वेलर्स बता रहे हैं विरोध का कारण

अशुद्धता पर ज्वेलर्स को जिम्मेदार ठहराने का विरोध
वहीं इस एक्ट के तहत एक और प्रावधान है, जिसमें यदि सोने के बने आभूषण में किसी तरह की अशुद्धता पाई जाती है, तो इसके लिए रिटेलर को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. सरकार को एक्ट में मौजूद इस प्रावधान में भी बदलाव करना चाहिए. यदि सोने के आभूषण में कोई अशुद्धता मिलती है तो इसके लिए रिटेलर को जिम्मेदार न मानते हुए मैन्युफैक्चर को जिम्मेदार मानना चाहिए. क्योंकि देश भर के तमाम रिटेलर मैन्युफैक्चर से ही हॉल मार्किंग वाले आभूषण खरीद कर अपनी दुकानों में बेचते हैं.

उत्तराखंड में सिर्फ देहरादून में है हॉल मार्किंग सेंटर
दूसरी तरफ उत्तराखंड के परिपेक्ष में बात करें तो उत्तराखंड में वर्तमान में एकमात्र हॉल मार्किंग सेंटर है जो देहरादून में स्थित है. ऐसे में प्रदेश के अन्य पहाड़ी और मैदानी इलाकों के ज्वेलर्स आखिर कैसे हॉल मार्किंग करा पाएंगे यह एक बड़ा सवाल है.

हॉल मार्किंग एक्ट लागू नहीं करने की मांग

ईटीवी भारत से बात करते हुए दून सर्राफा मंडल के अध्यक्ष सुनील मेसोन का कहना है कि सरकार को इस एक्ट को फिलहाल लागू नहीं करना चाहिए. उत्तराखंड में सिर्फ देहरादून में एकमात्र हॉलमार्किंग सेंटर है.

वहीं देश भर के 700 से ज्यादा जिलों में से 500 से ज्यादा जिले ऐसे हैं जहां हॉल मार्किंग सेंटर नहीं हैं. इस स्थिति में सरकार को इस एक्ट को लागू करने से पहले देशभर में हॉलमार्किंग सेंटरों की संख्या बढ़ानी चाहिए. इससे ज्वेलरी में हॉल मार्किंग के लिए व्यापारियों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा.

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