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छात्रवृति घोटाला: बड़ी मछलियों को बचाने में जुटी त्रिवेंद्र सरकार, CBI से जांच कराने की मांग

छात्रवृत्ति घोटाले में जांच अधिकारी वी षणमुगम ने 8 मार्च 2017 को एक जांच कमेटी का गठन किया था. जिसके बाद वी षणमुगम ने 27 मार्च 2017 को पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. लेकिन समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कार्यभार ग्रहण करते ही मात्र एक हफ्ते के भीतर जांच अधिकारी आईएएस षणमुगम को हटाकर उनके स्थान पर अपने पसंदीदा अधिकारी जीबी ओली को नियुक्त कर दिया. जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष ने सरकार पर और भी कई तरह के आरोप लगाए हैं.

जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ नेगी
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Published : Aug 20, 2019, 11:15 PM IST

Updated : Aug 20, 2019, 11:53 PM IST

देहरादून: प्रदेश में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में जन संघर्ष मोर्चा ने सरकार पर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस का ढोल पीटते हैं. वहीं दूसरी ओर घोटाले में बड़ी मछलियों को बचाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने इस पूरे मामले की एसआईटी जांच के बजाए सीबीआई या फिर सीबीसीआईडी जांच की मांग की है.

जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ नेगी

रघुनाथ नेगी ने कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले में जांच अधिकारी वी षणमुगम ने 8 मार्च 2017 को एक जांच कमेटी का गठन किया था. जिसके बाद वी षणमुगम ने 27 मार्च 2017 को पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. लेकिन समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कार्यभार ग्रहण करते ही मात्र एक हफ्ते के भीतर जांच अधिकारी आईएएस षणमुगम को हटाकर उनके स्थान पर अपने पसंदीदा अधिकारी जीबी ओली को नियुक्त कर दिया.

पढ़ें- प्लास्टिक से डीजल बनाने के लिए शुरू किया गया अभियान, छात्राओं ने कही ये बात

रघुनाथ नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए उस समय के मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने 15 मई 2017 को सीबीआई/ सीबीसीआईडी विजिलेंस जांच की सिफारिश की थी. लेकिन मुख्यमंत्री के दबाव में सीबीआई /सीबीसीआईडी जांच को दरकिनार करते हुए मई 2017 को एसआईटी जांच की मंजूरी दे दी गई. रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि इन जांच एजेंसियों से जांच ना कराना और समाज कल्याण मंत्री द्वारा जांच अधिकारी को बदलना सरकार की नीयत को कठघरे में खड़ा करता है.

देहरादून: प्रदेश में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में जन संघर्ष मोर्चा ने सरकार पर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस का ढोल पीटते हैं. वहीं दूसरी ओर घोटाले में बड़ी मछलियों को बचाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने इस पूरे मामले की एसआईटी जांच के बजाए सीबीआई या फिर सीबीसीआईडी जांच की मांग की है.

जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ नेगी

रघुनाथ नेगी ने कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले में जांच अधिकारी वी षणमुगम ने 8 मार्च 2017 को एक जांच कमेटी का गठन किया था. जिसके बाद वी षणमुगम ने 27 मार्च 2017 को पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. लेकिन समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कार्यभार ग्रहण करते ही मात्र एक हफ्ते के भीतर जांच अधिकारी आईएएस षणमुगम को हटाकर उनके स्थान पर अपने पसंदीदा अधिकारी जीबी ओली को नियुक्त कर दिया.

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रघुनाथ नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए उस समय के मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने 15 मई 2017 को सीबीआई/ सीबीसीआईडी विजिलेंस जांच की सिफारिश की थी. लेकिन मुख्यमंत्री के दबाव में सीबीआई /सीबीसीआईडी जांच को दरकिनार करते हुए मई 2017 को एसआईटी जांच की मंजूरी दे दी गई. रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि इन जांच एजेंसियों से जांच ना कराना और समाज कल्याण मंत्री द्वारा जांच अधिकारी को बदलना सरकार की नीयत को कठघरे में खड़ा करता है.

Intro: जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व में हुई छात्रवृत्ति घोटाले में जांच अधिकारी वी षणमुगम ने 27 मार्च को पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करने के लिए सिफारिश की थी,और इस घोटाले को गंभीर मानते हुए रिपोर्ट शासन को सौंपी थी जिसके बाद एक जांच कमेटी का गठन किया गया था। मगर समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य के कार्यभार ग्रहण करते ही एक हफ्ते के भीतर आईएएस एस वी षणमुगम को हटाकर निदेशक समाज कल्याण को जांच सौंपने के निर्देश दिए थे। जो इस बात को साबित करता है कि कहीं ना कहीं मंत्री भी इस मामले में शामिल रहे हैं।


Body:जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने कहा कि एक तरफ तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीटते हैं और दूसरी ओर खुद ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। मुख्यमंत्री ने बड़ी मछलियों को बचाने के लिए इस मामले की एसआईटी का गठन किया था जिससे साफ तौर से गुनाहगारों को बचाने का रास्ता मुख्यमंत्री ने ढूंढा है। उन्होंने मांग करेगी इस पूरे मामले की एसआईटी जांच ना करते हुए सीबीआई या फिर सीबीसीआईडी से जांच कराने की मांग की। ताकि जो इस मामले में जो अपराधी हैं उन्हे सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सके।

बाईट- रघुनाथ सिंह नेगी, अध्यक्ष ,जन संघर्ष मोर्चा।


Conclusion: दरअसल रघुनाथ नेगी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले में जांच अधिकारी वी षणमुगम ने 27-3- 2017 को पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश की थी और गंभीर घोटाले का इशारा करते हुए सरसरी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। षणमुगम के नेतृत्व में बीती 8 मार्च 2017 को एक जांच कमेटी का गठन किया गया था उस दौरान समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कार्यभार ग्रहण करते ही 26 मार्च 2017 को मात्र 1 हफ्ते के भीतर जांच अधिकारी आईएस षणमुगम को हटाकर वीएस धनिक निदेशक समाज कल्याण को जांच सौंपने के निर्देश दिए थे। क्योंकि षणमुगम आईएएस अधिकारी थे इसलिए उनके स्थान पर पसंदीदा अधिकारी जीबी ओली को नियुक्त किया गया था। पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए उस वक्त के मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने 15 मई 2017 को सीबीआई/ सीबीसीआईडी विजिलेंस जांच की सिफारिश की थी। लेकिन मुख्यमंत्री ने दबाव में आकर सीबीआई /सीबीसीआईडी जांच को दरकिनार करते हुए मई 2017 को एसआईटी जांच की मंजूरी दे दी। रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि इन जांच एजेंसियों से जांच ना कराना और समाज कल्याण मंत्री द्वारा जांच अधिकारी को बदलना पूरे मामले में भ्रष्टाचार की संलिप्तता दर्शाता है।

नोट- कृपया रघुनाथ सिंह की बाइट और विजुअल मेल से उठाने का कष्ट करें।
Last Updated : Aug 20, 2019, 11:53 PM IST
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