देहरादून: प्रदेश में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में जन संघर्ष मोर्चा ने सरकार पर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस का ढोल पीटते हैं. वहीं दूसरी ओर घोटाले में बड़ी मछलियों को बचाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने इस पूरे मामले की एसआईटी जांच के बजाए सीबीआई या फिर सीबीसीआईडी जांच की मांग की है.
रघुनाथ नेगी ने कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले में जांच अधिकारी वी षणमुगम ने 8 मार्च 2017 को एक जांच कमेटी का गठन किया था. जिसके बाद वी षणमुगम ने 27 मार्च 2017 को पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. लेकिन समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कार्यभार ग्रहण करते ही मात्र एक हफ्ते के भीतर जांच अधिकारी आईएएस षणमुगम को हटाकर उनके स्थान पर अपने पसंदीदा अधिकारी जीबी ओली को नियुक्त कर दिया.
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रघुनाथ नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए उस समय के मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने 15 मई 2017 को सीबीआई/ सीबीसीआईडी विजिलेंस जांच की सिफारिश की थी. लेकिन मुख्यमंत्री के दबाव में सीबीआई /सीबीसीआईडी जांच को दरकिनार करते हुए मई 2017 को एसआईटी जांच की मंजूरी दे दी गई. रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि इन जांच एजेंसियों से जांच ना कराना और समाज कल्याण मंत्री द्वारा जांच अधिकारी को बदलना सरकार की नीयत को कठघरे में खड़ा करता है.