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उत्तराखंड में मीटर से रुकेगी पानी की बर्बादी, प्रदेशभर के लिए बन रहा ये प्लान - water meters in uttarakhand

प्रदेश में पानी की सप्लाई को बेहतर बनाने के लिए जल संस्थान (Uttarakhand Jal Sansthan) की ओर से घरों में वाटर मीटर (water meters in uttarakhand) लगाने की तैयारी चल रही है. मीटर लगने के बाद लोगों को पानी के इस्तेमाल के हिसाब से बिल देना होगा. अभी श्रीनगर में पानी के मीटर लग चुके हैं. वहीं नैनीताल और हल्द्वानी में भी वाटर मीटर लगाने का काम जारी है.

Jal Sansthan
पानी का मीटर
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Published : Jun 18, 2022, 7:37 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में पानी की बर्बादी को रोकने और राजस्व बढ़ाने के मकसद से पानी के मीटर (water meters in uttarakhand) लगाने की तैयारी की जा रही है. राज्य में सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में श्रीनगर से इसकी शुरुआत की गई थी. जहां पानी की डिमांड और उपलब्धता के मामले में बेहतर परिणाम मिले हैं. ऐसे में फिलहाल घरों में पानी के मीटर लगाने को लेकर कुछ दूसरे शहरों में भी काम तेजी से चल रहा है, जबकि प्रदेश भर में भी जल्द पानी के मीटर लगाने को लेकर काम शुरू किया जाएगा.

उत्तराखंड जल संस्थान (Uttarakhand Jal Sansthan) हर घर पानी के मीटर लगाने की ओर काम कर रहा है. अभी श्रीनगर में पानी के मीटर लग चुके हैं. वहीं नैनीताल और हल्द्वानी में भी वाटर मीटर लगाने का काम जारी है. दरअसल, वाटर मीटर लगने से पानी की बर्बादी नहीं होगी और बिल भुगतान को देखते हुए लोग, पानी को आवश्यकतानुसार ही इस्तेमाल करेंगे. दो हजार लीटर तक, पानी इस्तेमाल करने पर बिल की राशि फिक्स रहेगी, जबकि इससे ज्यादा पानी का इस्तेमाल हुआ तो एक्स्ट्रा चार्ज भी देने होंगे.

पढ़ें-सरकारी विभाग 4 करोड़ 36 लाख का पी गए पानी, अब बिल देने में कर रहे आनाकानी

सबसे पहले श्रीनगर में मीटर लगाए गए, जिसका फायदा भी सीधे तौर पर दिखाई दे रहा है. दरअसल, जहां पहले श्रीनगर में जल संस्थान के लिए पानी की आपूर्ति पूरी कर पाना चुनौतीपूर्ण रहता था, वहीं मीटर लगने के बाद अब डिमांड के सापेक्ष उपलब्धता अधिक रहती है. यानी डिमांड पर काफी हद तक कंट्रोल किया गया है, जिससे पानी की बर्बादी रुकने के संकेत मिले हैं. जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है, कि वाटर मीटर लगने से लोग पानी की बर्बादी करने से बचेंगे.

अभी फ्लैट रेट पर पानी का बिल आता है. ऐसे में लोगों का मानना है कि फिक्स पैसा देना ही है, तो पानी कितना ही खर्च क्यों न हो जाए. जल संस्थान के महाप्रबंधक एस के शर्मा (Uttarakhand Jal Sansthan Chief General Manager) कहते हैं कि इसका उद्देश्य यही है कि लोग पानी के महत्व को समझ सकें. एस के शर्मा ने बताया कि जहां वाटर मीटर लगे हैं, वहां पानी की एक बड़ी बचत भी देखने को मिली है और ऐसे क्षेत्रों में पानी की कमी भी नहीं हुई है.

पढ़ें-घरों में जल्द लगेंगे पानी के मीटर, जानिए कैसे आएगा बिल

इस आधार पर आएगा पानी का बिल: जिस तरह बिजली के मीटर में प्रति यूनिट के हिसाब से बिल जनरेट होता है, उसी तरह पानी के मीटर में किलोलीटर (1000 लीटर) के हिसाब से पानी का बिल जनरेट होगा. इस स्कीम के तहत प्रति परिवार साढ़े 20 किलोलीटर पानी के इस्तेमाल पर मिनिमम एक चार्ट के तहत त्रैमासिक बिल आएगा. वहीं, 20 किलोलीटर से अधिक पानी के इस्तेमाल पर निर्धारित स्लैब के तहत बिल बढ़ता चला जाएगा. ऐसे में अगर हर महीने 20 किलोलीटर ही पानी का इस्तेमाल होता है, तो जो त्रैमासिक बिल लोगों के घर आएगा, वह 12 सौ रुपए के आसपास होगा.

देहरादून: उत्तराखंड में पानी की बर्बादी को रोकने और राजस्व बढ़ाने के मकसद से पानी के मीटर (water meters in uttarakhand) लगाने की तैयारी की जा रही है. राज्य में सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में श्रीनगर से इसकी शुरुआत की गई थी. जहां पानी की डिमांड और उपलब्धता के मामले में बेहतर परिणाम मिले हैं. ऐसे में फिलहाल घरों में पानी के मीटर लगाने को लेकर कुछ दूसरे शहरों में भी काम तेजी से चल रहा है, जबकि प्रदेश भर में भी जल्द पानी के मीटर लगाने को लेकर काम शुरू किया जाएगा.

उत्तराखंड जल संस्थान (Uttarakhand Jal Sansthan) हर घर पानी के मीटर लगाने की ओर काम कर रहा है. अभी श्रीनगर में पानी के मीटर लग चुके हैं. वहीं नैनीताल और हल्द्वानी में भी वाटर मीटर लगाने का काम जारी है. दरअसल, वाटर मीटर लगने से पानी की बर्बादी नहीं होगी और बिल भुगतान को देखते हुए लोग, पानी को आवश्यकतानुसार ही इस्तेमाल करेंगे. दो हजार लीटर तक, पानी इस्तेमाल करने पर बिल की राशि फिक्स रहेगी, जबकि इससे ज्यादा पानी का इस्तेमाल हुआ तो एक्स्ट्रा चार्ज भी देने होंगे.

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सबसे पहले श्रीनगर में मीटर लगाए गए, जिसका फायदा भी सीधे तौर पर दिखाई दे रहा है. दरअसल, जहां पहले श्रीनगर में जल संस्थान के लिए पानी की आपूर्ति पूरी कर पाना चुनौतीपूर्ण रहता था, वहीं मीटर लगने के बाद अब डिमांड के सापेक्ष उपलब्धता अधिक रहती है. यानी डिमांड पर काफी हद तक कंट्रोल किया गया है, जिससे पानी की बर्बादी रुकने के संकेत मिले हैं. जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है, कि वाटर मीटर लगने से लोग पानी की बर्बादी करने से बचेंगे.

अभी फ्लैट रेट पर पानी का बिल आता है. ऐसे में लोगों का मानना है कि फिक्स पैसा देना ही है, तो पानी कितना ही खर्च क्यों न हो जाए. जल संस्थान के महाप्रबंधक एस के शर्मा (Uttarakhand Jal Sansthan Chief General Manager) कहते हैं कि इसका उद्देश्य यही है कि लोग पानी के महत्व को समझ सकें. एस के शर्मा ने बताया कि जहां वाटर मीटर लगे हैं, वहां पानी की एक बड़ी बचत भी देखने को मिली है और ऐसे क्षेत्रों में पानी की कमी भी नहीं हुई है.

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इस आधार पर आएगा पानी का बिल: जिस तरह बिजली के मीटर में प्रति यूनिट के हिसाब से बिल जनरेट होता है, उसी तरह पानी के मीटर में किलोलीटर (1000 लीटर) के हिसाब से पानी का बिल जनरेट होगा. इस स्कीम के तहत प्रति परिवार साढ़े 20 किलोलीटर पानी के इस्तेमाल पर मिनिमम एक चार्ट के तहत त्रैमासिक बिल आएगा. वहीं, 20 किलोलीटर से अधिक पानी के इस्तेमाल पर निर्धारित स्लैब के तहत बिल बढ़ता चला जाएगा. ऐसे में अगर हर महीने 20 किलोलीटर ही पानी का इस्तेमाल होता है, तो जो त्रैमासिक बिल लोगों के घर आएगा, वह 12 सौ रुपए के आसपास होगा.

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