देहरादून: उत्तराखंड में तेलंगाना की तर्ज पर जेल डेवलपमेंट बोर्ड (Jail Development Board) गठन की तैयारी है. जेल डेवलपमेंट बोर्ड गठन के लिए जेल विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा है. इसका मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की जेलों की व्यवस्थाओं में सुधार और स्किल्ड कैदियों के साथ अन्य कैदियों को हस्तकला कौशल रोजगार से जोड़कर जेलों के राजस्व को बढ़ाना है, ताकि राज्य की जेलों के उत्थान के लिए सरकार की निर्भरता को कम किया जा सके.
जेल विभाग के मुताबिक अगर उत्तराखंड में जेल डेवलपमेंट बोर्ड का गठन होता है, तो इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे. साथ ही प्रमुख सचिव गृह से लेकर जेल आईजी जैसे आलाधिकारी इसके सदस्य होंगे. बोर्ड के गठन के बाद जेलों में कैदियों को कच्चा माल उपलब्ध कराने से लेकर उसकी बाजार में उनकी मार्केटिंग के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा सकेगा. तेलंगाना राज्य की तर्ज पर उत्तराखंड की जेलों के राजस्व बढ़ाने के लिए जेलों की जमीन पर पेट्रोल पंप का भी संचालन किया जाएगा. इसके लिए देहरादून हरिद्वार, रुड़की और सितारगंज जैसे स्थान चिन्हित किए जाएंगे.
उत्तराखंड जेल आईजी पुष्पक ज्योति (Uttarakhand Jail IG Pushpak Jyoti) के मुताबिक अगर जेल डेवलपमेंट बोर्ड के गठन की अनुमति मिल जाती है तो जेलों के छोटे-मोटे कार्यों से लेकर आवश्यक संसाधनों को जेल बोर्ड अपने स्तर से राजस्व बढ़ाकर कर विकास कर सकेगा. अभी तक राज्य की 11 जेलों में स्किल्ड कैदियों द्वारा तैयार होने वाले उत्पादों से औसतन सालाना 50 से 60 लाख की आमदनी होती है लेकिन वह पैसा सरकार के खाते में चला जाता है लेकिन जेल डेवलपमेंट बोर्ड के बाद वह पैसा जेल बोर्ड के पास रहेगा, जिससे प्रदेश की जेलों का विकास किया जा सकेगा. अभी जेलों में कोई भी विकास कार्य या मरम्मत कराने के लिए सरकार से बजट की मांग करनी पड़ती है. बता दें, उत्तराखंड की 11 जेलों में 7000 से अधिक कैदी हैं.
उत्तराखंड की जेलों में उत्पादन विस्तार की योजना: जेल आईजी के मुताबिक हरिद्वार, रुड़की व देहरादून जेल में सहारनपुर (यूपी) जिले के ऐसे कई कैदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, जो विश्व प्रसिद्ध लकड़ी (फर्नीचर) नक्काशी जैसी हस्तकला में माहिर हैं. जेल बोर्ड के गठन के बाद उन कारीगरों से अन्य कैदियों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा. उसके बाद जेलों में बाजार की डिमांड पर फर्नीचर तैयार किए जा सकेंगे. ऐसा होने से जेल बोर्ड का राजस्व बढ़ेगा.
पढ़ें- Uttarakhand Weather Report: प्रदेश में भारी बारिश का येलो अलर्ट, चारधाम यात्री रहें सतर्क
देहरादून की सुद्दोवाला जेल में तरह-तरह के फर्नीचर, घोंसले, कारपेट, गमले और इलेक्ट्रॉनिक आइटम व यूनिफॉर्म तैयार किए जाते हैं. वहीं, टिहरी और पौड़ी की जेलों में रिंगाल से निर्मित सामान, अल्मोड़ा की जेल में एपण जैसे उत्पाद भारी मात्रा में तैयार किए जाते हैं. जेल आईजी पुष्पक ज्योति के मुताबिक अब सितारगंज जेल में आईसीआईसीआई बैंक के सहयोग से मशरूम का उत्पादन बढ़ाने की योजना है.
कम होगी सरकार पर निर्भरता: तेलंगाना में जेल डेवलपमेंट के तहत जेलों में कई तरह उत्पाद तैयार करने के साथ ही पेट्रोल पंप भी संचालित किए जा रहे हैं, जिससे सालाना 100 करोड़ की आमदनी होती है. उसी तरह उत्तराखंड में भी जेल डेवलपमेंट बोर्ड का गठन कर जेलों का उत्थान और सुधार किया जाएगा. साथ ही राजस्व बढ़ाकर सरकार से मिलने वाली वित्तीय निर्भरता को कम करने का प्रयास किया जाएगा.
बता दें, राज्य की जेलों में बंद ऐसे कई आजीवन और लंबी सजा वाले कैदी हैं, जिनसे जेल में अलग-अलग तरह के स्किल डेवलपमेंट के तहत कार्य कराए जाते हैं. इसमें उनको मेहनताना देकर उनका एक फंड सुरक्षित किया जाता है. जिसे वह अपनी इच्छा अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं. जेल आईजी के मुताबिक जेल डेवलपमेंट बोर्ड का कॉन्सेप्ट मॉडल प्रजेंस मैनुअल से लिया गया है. उसी के अंतर्गत तेलंगाना राज्य देश में इस कांसेप्ट में सबसे अच्छा कार्य कर रहा है.