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सुरक्षा भी सेवा भी: बंजर पहाड़ों को 'आबाद' कर रही ITBP

आईटीबीपी की ये कोशिश रंग लाई तो आने वाले कुछ सालों में एक बार फिर मसूरी के आसपास के बंजर पहाड़ आबाद होंगे.

मसूरी
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Published : Apr 29, 2020, 11:34 AM IST

Updated : Apr 29, 2020, 8:18 PM IST

मसूरी: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के आईजी पीएस पापटा ने मसूरी में पर्यावरण संरक्षण के लिए नई पहल की है. आईटीबीपी ने बंजर पड़े पहाड़ों को आबाद (हरा-भरा) करने का बीड़ा उठाया है. ये जानकारी खुद आईजी पीएस पापटा ने वीडियो के माध्यम से मीडिया को दी.

आईजी पापटा ने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करना आवश्यक हो गया है. यदि अभी से इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाई गई तो भविष्य की स्थिति काफी गंभीर हो जाएगी. पर्यावरण की अनदेखी के कारण ही आज पेयजल का अभाव हो रहा है. सांस लेने के लिए शुद्ध हवा कम पड़ने लगी है. वन्य जीव विलुप्त हो रहे हैं.

बंजर पहाड़ों को 'आबाद' कर रही ITBP.

आईजी पापटा ने कहा कि पहले गांव में बाग बगीचों की भरमार थी, लेकिन अब बाग बगीचों की जगह इमारतें नजर आती हैं. निश्चित रूप से ये इमारतें विकास का प्रतीक हैं, लेकिन प्रदूषण का बढ़ना हमारे जीवन के लिए खतरा है. जिस तरह से विकास की परिभाषा व्यापक है उसी तरीके से पर्यावरण की परिभाषा में जल-जंगल-जमीन और खेती-बाड़ी से लेकर मौसम तक शामिल हैं. अब हमें पर्यावरण को लेकर हर स्तर पर सावधानी बरतनी होगी.

पढ़ें- रुद्रप्रयाग: कजाकिस्तान से तुंगनाथ घाटी पहुंचे 'मेहमान'

आईजी पापटा ने बताया कि उनके कैंपस में एक बड़ा हेजलनट (भोटिया बादाम/पहाड़ी बादाम) का पेड़ है. इससे नवंबर के माह में बीज गिरते हैं. इन बीजों को आईटीबीपी के जवान एकत्र करते हैं. जंगलों में हेजलनट की नर्सरी तैयार की गई है. इन बीजों से 1,500 से लेकर 2,000 छोटे-छोटे पौधे बनाकर मसूरी में बंजर पहाड़ों में लगाये जा रहे हैं. उनको उम्मीद है कि आने वाले दो से तीन सालों में बंजर पहाड़ हरे-भरे नजर आने लगेंगे. क्योंकि पहाड़ी बादाम का पौधा बड़ी जल्दी और आसानी से पनप जाता है. इसके लिये मसूरी का वातावरण भी अनुरूप है.

मसूरी: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के आईजी पीएस पापटा ने मसूरी में पर्यावरण संरक्षण के लिए नई पहल की है. आईटीबीपी ने बंजर पड़े पहाड़ों को आबाद (हरा-भरा) करने का बीड़ा उठाया है. ये जानकारी खुद आईजी पीएस पापटा ने वीडियो के माध्यम से मीडिया को दी.

आईजी पापटा ने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करना आवश्यक हो गया है. यदि अभी से इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाई गई तो भविष्य की स्थिति काफी गंभीर हो जाएगी. पर्यावरण की अनदेखी के कारण ही आज पेयजल का अभाव हो रहा है. सांस लेने के लिए शुद्ध हवा कम पड़ने लगी है. वन्य जीव विलुप्त हो रहे हैं.

बंजर पहाड़ों को 'आबाद' कर रही ITBP.

आईजी पापटा ने कहा कि पहले गांव में बाग बगीचों की भरमार थी, लेकिन अब बाग बगीचों की जगह इमारतें नजर आती हैं. निश्चित रूप से ये इमारतें विकास का प्रतीक हैं, लेकिन प्रदूषण का बढ़ना हमारे जीवन के लिए खतरा है. जिस तरह से विकास की परिभाषा व्यापक है उसी तरीके से पर्यावरण की परिभाषा में जल-जंगल-जमीन और खेती-बाड़ी से लेकर मौसम तक शामिल हैं. अब हमें पर्यावरण को लेकर हर स्तर पर सावधानी बरतनी होगी.

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आईजी पापटा ने बताया कि उनके कैंपस में एक बड़ा हेजलनट (भोटिया बादाम/पहाड़ी बादाम) का पेड़ है. इससे नवंबर के माह में बीज गिरते हैं. इन बीजों को आईटीबीपी के जवान एकत्र करते हैं. जंगलों में हेजलनट की नर्सरी तैयार की गई है. इन बीजों से 1,500 से लेकर 2,000 छोटे-छोटे पौधे बनाकर मसूरी में बंजर पहाड़ों में लगाये जा रहे हैं. उनको उम्मीद है कि आने वाले दो से तीन सालों में बंजर पहाड़ हरे-भरे नजर आने लगेंगे. क्योंकि पहाड़ी बादाम का पौधा बड़ी जल्दी और आसानी से पनप जाता है. इसके लिये मसूरी का वातावरण भी अनुरूप है.

Last Updated : Apr 29, 2020, 8:18 PM IST
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