देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में भले ही नियुक्तियों की गड़बड़ी पर बड़ा फैसला ले लिया गया हो लेकिन राज्य में ऐसी कई भर्तियां हैं जिन पर सवाल खड़े भी हुए हैं और अब तक कोई फैसला भी नहीं हो पाया. लिहाजा, सवाल उठ रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी (Assembly Speaker Ritu Khanduri) की तरह भर्तियों पर क्या मंत्री भी इस तरह की हिम्मत दिखा पाएंगे?
उत्तराखंड विधानसभा में 228 भर्तियों को निरस्त करने का फैसला ले लिया गया है और इसके पीछे विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी की अहम भूमिका मानी जा रही है. लेकिन प्रदेश में यह कोई पहली भर्ती नहीं है जिस पर आरोप लगाए गए हो. ओपन यूनिवर्सिटी में नियुक्ति को लेकर जबरदस्त अनियमितता बरतने और इसमें भी कुछ खास लोगों को नियुक्तियां दिए जाने से जुड़े आरोप लगे हैं.
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बड़ी बात यह है कि इन आरोपों में राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के भी नाम लिए जा रहे हैं. लेकिन इस मामले पर अब तक कोई जांच पारदर्शी तरीके से नहीं हो पाई है. इसके अलावा सहकारिता विभाग में भी नियुक्तियों को लेकर गड़बड़ी के गंभीर आरोप पिछले दिनों लगाए गए, उधर कोऑपरेटिव बैंकों में नियुक्तियों (Recruitment in Cooperative Banks) को लेकर आरोप लगने के बाद जांच तो कराई गई लेकिन महीनों बाद भी अब तक इन जांचों को सार्वजनिक नहीं किया गया है.
वहीं, आरोप बस इतने ही विभागों पर नहीं है उद्यान विभाग से लेकर कृषि विभाग तक में भी कई गड़बड़ियों के आरोप लगाए गए हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन आरोपों पर किसी में भी पारदर्शी जांच नहीं हो पाई है. लिहाजा, जरूरत है कि विधानसभा में बनी थी सदस्य कमेटी जैसी ही एक कमेटी जांच करें ताकि समय से जांच पूरी भी हो और इन आरोपों पर स्थिति स्पष्ट हो सके. इस मामले पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट (Congress State Spokesperson Sheeshpal Bisht) कहते हैं कि सरकार में नियुक्तियों को लेकर भ्रष्टाचार चरम पर है लेकिन इनकी जांच कराने को सरकार तैयार ही नहीं है.
इन विभागों में हुई भर्तियों पर उठे हैं बड़े सवाल
- उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में हुई कई भर्तियों में अनियमितता के आरोप लगे हैं और इसमें भर्तियों के दौरान रिश्तेदारों को नौकरी देने की बात आरोपों के रूप में कही गई है.
- सहकारी विभाग में भी नियुक्तियों में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं जिन पर पारदर्शी जांच का होना बाकी है.
- कॉपरेटिव बैंक में चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों पर जांच के आदेश पर हुए हैं लेकिन इस जांच रिपोर्ट को अब तक लंबे समय बाद भी सार्वजनिक नहीं किया गया हैय
- कृषि विभाग में आचार संहिता से ठीक पहले आउटसोर्स कर्मचारियों को भी संविदा पर लिए जाने को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं.
- उद्यान विभाग में भी कुछ नियुक्तियों में विशेष लोगों को जगह दिए जाने की बात आरोपों के रूप में कहीं जा रही है.
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वहीं, भारतीय जनता पार्टी इन सभी आरोपों को लेकर बैकफुट पर रही है और भर्तियों में गड़बड़ी को लेकर पहले ही सरकार अपनी साख बचाने के लिए जद्दोजहद में जुटी है. ऐसे में प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान (BJP media Incharge Manveer Singh Chouhan) अपनी सरकार की साख को बचाने के लिए सरकार के पक्ष में तमाम तरह के बयान दे रहे हैं और मुख्यमंत्री के सभी मामलों पर निष्पक्ष तरीके से जांच कराने का निर्णय लिए जाने की बात दोहरा रहे हैं.