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उत्तराखंड के 40 फीसदी गांवों तक नहीं पहुंचा इंटरनेट, 5G के दौर में भी सिग्नल को तरसते लोग

जहां एक ओर देश में हाई स्पीड मोबाइल इंटरनेट 5G सर्विस लॉन्च (High speed mobile internet 5G service launched) हो गई है, वहीं उत्तराखंड के दूरदराज के इलाकों और कई गांवों में आज भी लोग Internet Connection से कोसों (villages are far away from Internet Connection) दूर हैं. आंकड़ों के हिसाब से उत्तराखंड के 40 फीसदी गांवों तक आज भी इंटरनेट (No internet in 40 percent villages of Uttarakhand) नहीं पहुंचा है. उत्तराखंड में 48 फीसदी ग्रामीण आज भी इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

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उत्तराखंड के 40 फीसदी गांवों तक आज तक पहुंचा ही नहीं इंटरनेट
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Published : Oct 19, 2022, 1:37 PM IST

Updated : Oct 19, 2022, 5:14 PM IST

देहरादून: आज के दौर में जब पूरी दुनिया के लिए इंटरनेट एक बड़ी जरूरत बन गया है, तब उत्तराखंड के ऐसे हजारों गांव हैं जो आज भी इंटरनेट (No internet connection in Uttarakhand villages) की पहुंच से कोसों दूर हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 48 फीसदी लोग ऐसे हैं जो इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते. इंटरनेट पर केंद्रित आज के युग में उत्तराखंड के गांवों (reports internet from villages Uttarakhand) से चौंकाने वाली रिपोर्ट.

सूचना क्रांति के इस युग में खुद को बिना तकनीक और इंटरनेट के महसूस करना भी मुश्किल है. आज जब हम अपने कई घंटे हर दिन इंटरनेट पर बिता देते हैं तब उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के वो आंकड़े सभी को अचंभित करते हैं, जिनके जीवन में इंटरनेट की मौजूदगी ही नहीं है. पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में हजारों गांवों के लोग इंटरनेट से आज भी महरूम हैं. यह स्थिति तब है जब देश में डिजिटल इंडिया का नारा दिया जा रहा है. ज्यादा से ज्यादा योजनाएं और सरकारी लाभ ऑनलाइन माध्यमों से जनता तक पहुंचाए जा रहे हैं.

उत्तराखंड के 40 फीसदी गांवों तक आज तक पहुंचा ही नहीं इंटरनेट

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण यानी ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India) के पिछले महीनों के आंकड़े उत्तराखंड के लिहाज से थोड़ा चिंता बढ़ाने वाले हैं. उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर ट्राई के आंकड़े क्या कहते हैं समझिए.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
उत्तराखंड में इंटरनेट सर्विस के आंकड़े
ट्राई की मार्च 2022 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 83.8 लाख लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. शहरी क्षेत्रों में 44.9 लाख लोग इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लिहाज से यह आंकड़ा 38.9 लाख है. आंकड़ों के लिहाज से ग्रामीण क्षेत्रों में 52 फ़ीसदी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. यानी 48 प्रतिशत ग्रामीण लोग आज भी इंटरनेट के इस्तेमाल से दूर हैं.
पढे़ं- पौड़ी को एप्पल हब बनाने की तैयारी, कई संस्थाएं करेंगी काश्तकारों को सहयोग

प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों का इंटरनेट से दूर होने वाला यह आंकड़ा हैरानी पैदा करने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि देश में विभिन्न योजनाओं से लेकर विभिन्न सेक्टर डिजिटल मोड में आ चुके हैं. यही नहीं सरकार भी ऑनलाइन तरीकों से ही लोगों को योजनाओं का लाभ दे रही है. उत्तराखंड सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी यानी आइटीडीए के निदेशक सीनियर आईपीएस अधिकारी अमित सिन्हा कहते हैं कि मौजूदा वक्त में इंटरनेट सबसे महत्वपूर्ण है. किसी भी काम को कहीं से भी ऑनलाइन आसानी से किया जा सकता है. इसी को देखते हुए जल्द ही उत्तराखंड में 400 सेवाओं को ऑनलाइन करने की तैयारी भी की जा रही है. जिसे जल्द ही मुख्यमंत्री की तरफ से शुरू किया जाएगा.
पढे़ं- पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे पर कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा- हे मुनिवर यहां आएं तो कुछ वरदान देकर जाएं

आज ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जहां इंटरनेट की आवश्यकता नहीं पड़ती. हर सेक्टर ऑनलाइन होने से इंटरनेट का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है. आम लोगों के लिए क्यों इंटरनेट जरूरी है इसे बिंदुवार समझिए.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
क्यों जरुरी है इंटरनेट

सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत लोगों के खातों में पेंशन से लेकर दूसरी किसी भी तरह की राशि के लिए अब डीबीटी की जाती है. यानी यह पैसा ऑनलाइन सीधा खातों में आता है. अपने अकाउंट को संचालित करने और पैसों के लेनदेन के लिए भी इंटरनेट का महत्वपूर्ण रोल है. सरकार की योजनाओं की जानकारी या दूसरी और जानकारियों के लिए भी इंटरनेट बेहद उपयोगी है. ऑनलाइन क्लास लेने के लिए भी बच्चों को इंटरनेट का इस्तेमाल करना होता है.

उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां इंटरनेट की उपलब्धता नहीं है, वहां छोटे कामों के लिए भी ग्रामीणों को इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए शहरों की ओर जाना होता है. यही नहीं बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई इस स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी तरह चौपट रहती है. बता दें पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मुख्यतया तीन निजी कंपनियां टेलीकॉम के रूप में काम कर रही हैं. इनकी सेवाओं के जरिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में फिलहाल 6 करोड़ 44 लाख 53 हज़ार लोग इनकी सेवाएं ले रहे हैं. जिओ के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 02 करोड़ 14 लाख ग्राहक हैं. एयरटेल के 1 करोड़ 86 लाख 25 हज़ार ग्राहक हैं, जबकि वीआई के 01 करोड़ 85 लाख 68 हज़ार ग्राहक हैं.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
इंटरनेट के मुख्य उपयोग
पढे़ं- प्रधानमंत्री के दौरे से पहले बदरीनाथ पहुंचे सीएम धामी, पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का लिया जायजा

उत्तराखंड के लिहाज से देखें तो सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. इतने बड़े आंकड़े के बावजूद उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इनमें से कोई भी कंपनी पूरी तरह से इंटरनेट का फायदा नहीं दे पा रही है. खास बात यह है कि उत्तराखंड में कुल ग्रामीण क्षेत्रों में एक के बाद एक ऐसे एरिया हैं जहां इंटरनेट पहुंचता ही नहीं है. हालांकि बड़ी संख्या में लोग ऐसे भी हैं जो इंटरनेट का इस्तेमाल करना ही नहीं जानते. लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि हजारों गांवों तक इंटरनेट अभी भी नहीं पहुंचा है. इसके कारण यहां इंटरनेट का प्रयोग करना मुमकिन ही नहीं है. अब इस बात को आंकड़ों से समझिए.

उत्तराखंड में कुल 16,500 गांव हैं. जिसमें से 700 गांव ऐसे हैं जिन्हें डार्क विलेज के रूप में माना जाता है. यानी यहां किसी भी कंपनी के सिग्नल पहुंचते ही नहीं हैं. उधर कुल करीब 3500 गांव ऐसे हैं जहां 2G के सिग्नल आते हैं. यानी बमुश्किल फोन से बात तो हो सकती है, लेकिन यहां भी इंटरनेट नहीं पहुंचता. राज्य के 40% गांवों में इंटरनेट के लिए सिग्नल नहीं हैं. इसी वजह से लोग इंटरनेट का इस्तेमाल यहां कर ही नहीं सकते.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
क्या हैं चुनौतियां

ऐसा नहीं कि इन हालातों को केंद्र या राज्य सरकार नहीं जानतीं. इसके बावजूद सिस्टम के हालात और तमाम व्यवस्थाओं की कमी के कारण फिलहाल लोगों को इन्हीं हालातों में गांवों में बिना इंटरनेट के रहना पड़ रहा है. हालांकि अच्छी खबर यह है कि अब केंद्र ने ऐसे गांवों के लिए विशेष योजना तैयार कर ली है. इस योजना के तहत उत्तराखंड की नहीं बल्कि देशभर के ऐसे सूचना क्रांति से कटे हुए गांवों के लिए टावर लगाए जाने की तैयारी हो रही है.
पढे़ं- गढ़वाल-कुमाऊं में जल्द लगेंगे इंटरनेट एक्सचेंज, डिजिटल रिवोल्यूशन के लिए अनिल बलूनी की पहल

जानकारी के अनुसार देश भर में कुल 12,000 टावर लगाए जाने हैं. जिसमें से 1202 टावर उत्तराखंड में भी लगाए जाने हैं. हालांकि उत्तराखंड के हिस्से आने वाले टावर की संख्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है. उम्मीद की जा रही है कि इनकी संख्या 1750 तक हो सकती है. ऐसा हुआ तो उत्तराखंड के दुर्गम और बीहड़ क्षेत्रों तक भी इंटरनेट की पहुंच हो सकेगी. दरअसल केंद्र सरकार 2 तरह से इंटरनेट सुविधाओं को बढ़ाने के लिए काम कर रही है. इसमें एक तरफ शहरों में 5G पहुंचाना है तो ऐसे क्षेत्र जहां सिग्नल नहीं है, वहां पर 4G की पहुंच को तैयार करना है. आईटीडीए के निदेशक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमित सिन्हा कहते हैं कि इस साल के अंत तक उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
उत्तराखंड के 40 फीसदी गांवों तक नहीं पहुंचा इंटरनेट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए जरूरी है कि शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों को भी डिजिटल रूप से मजबूत किया जाए. यहां के लोगों को भी तमाम सुविधाओं का लाभ मिल सके.

देहरादून: आज के दौर में जब पूरी दुनिया के लिए इंटरनेट एक बड़ी जरूरत बन गया है, तब उत्तराखंड के ऐसे हजारों गांव हैं जो आज भी इंटरनेट (No internet connection in Uttarakhand villages) की पहुंच से कोसों दूर हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 48 फीसदी लोग ऐसे हैं जो इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते. इंटरनेट पर केंद्रित आज के युग में उत्तराखंड के गांवों (reports internet from villages Uttarakhand) से चौंकाने वाली रिपोर्ट.

सूचना क्रांति के इस युग में खुद को बिना तकनीक और इंटरनेट के महसूस करना भी मुश्किल है. आज जब हम अपने कई घंटे हर दिन इंटरनेट पर बिता देते हैं तब उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के वो आंकड़े सभी को अचंभित करते हैं, जिनके जीवन में इंटरनेट की मौजूदगी ही नहीं है. पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में हजारों गांवों के लोग इंटरनेट से आज भी महरूम हैं. यह स्थिति तब है जब देश में डिजिटल इंडिया का नारा दिया जा रहा है. ज्यादा से ज्यादा योजनाएं और सरकारी लाभ ऑनलाइन माध्यमों से जनता तक पहुंचाए जा रहे हैं.

उत्तराखंड के 40 फीसदी गांवों तक आज तक पहुंचा ही नहीं इंटरनेट

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण यानी ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India) के पिछले महीनों के आंकड़े उत्तराखंड के लिहाज से थोड़ा चिंता बढ़ाने वाले हैं. उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर ट्राई के आंकड़े क्या कहते हैं समझिए.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
उत्तराखंड में इंटरनेट सर्विस के आंकड़े
ट्राई की मार्च 2022 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 83.8 लाख लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. शहरी क्षेत्रों में 44.9 लाख लोग इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लिहाज से यह आंकड़ा 38.9 लाख है. आंकड़ों के लिहाज से ग्रामीण क्षेत्रों में 52 फ़ीसदी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. यानी 48 प्रतिशत ग्रामीण लोग आज भी इंटरनेट के इस्तेमाल से दूर हैं.पढे़ं- पौड़ी को एप्पल हब बनाने की तैयारी, कई संस्थाएं करेंगी काश्तकारों को सहयोग

प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों का इंटरनेट से दूर होने वाला यह आंकड़ा हैरानी पैदा करने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि देश में विभिन्न योजनाओं से लेकर विभिन्न सेक्टर डिजिटल मोड में आ चुके हैं. यही नहीं सरकार भी ऑनलाइन तरीकों से ही लोगों को योजनाओं का लाभ दे रही है. उत्तराखंड सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी यानी आइटीडीए के निदेशक सीनियर आईपीएस अधिकारी अमित सिन्हा कहते हैं कि मौजूदा वक्त में इंटरनेट सबसे महत्वपूर्ण है. किसी भी काम को कहीं से भी ऑनलाइन आसानी से किया जा सकता है. इसी को देखते हुए जल्द ही उत्तराखंड में 400 सेवाओं को ऑनलाइन करने की तैयारी भी की जा रही है. जिसे जल्द ही मुख्यमंत्री की तरफ से शुरू किया जाएगा.
पढे़ं- पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे पर कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा- हे मुनिवर यहां आएं तो कुछ वरदान देकर जाएं

आज ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जहां इंटरनेट की आवश्यकता नहीं पड़ती. हर सेक्टर ऑनलाइन होने से इंटरनेट का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है. आम लोगों के लिए क्यों इंटरनेट जरूरी है इसे बिंदुवार समझिए.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
क्यों जरुरी है इंटरनेट

सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत लोगों के खातों में पेंशन से लेकर दूसरी किसी भी तरह की राशि के लिए अब डीबीटी की जाती है. यानी यह पैसा ऑनलाइन सीधा खातों में आता है. अपने अकाउंट को संचालित करने और पैसों के लेनदेन के लिए भी इंटरनेट का महत्वपूर्ण रोल है. सरकार की योजनाओं की जानकारी या दूसरी और जानकारियों के लिए भी इंटरनेट बेहद उपयोगी है. ऑनलाइन क्लास लेने के लिए भी बच्चों को इंटरनेट का इस्तेमाल करना होता है.

उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां इंटरनेट की उपलब्धता नहीं है, वहां छोटे कामों के लिए भी ग्रामीणों को इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए शहरों की ओर जाना होता है. यही नहीं बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई इस स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी तरह चौपट रहती है. बता दें पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मुख्यतया तीन निजी कंपनियां टेलीकॉम के रूप में काम कर रही हैं. इनकी सेवाओं के जरिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में फिलहाल 6 करोड़ 44 लाख 53 हज़ार लोग इनकी सेवाएं ले रहे हैं. जिओ के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 02 करोड़ 14 लाख ग्राहक हैं. एयरटेल के 1 करोड़ 86 लाख 25 हज़ार ग्राहक हैं, जबकि वीआई के 01 करोड़ 85 लाख 68 हज़ार ग्राहक हैं.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
इंटरनेट के मुख्य उपयोग
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उत्तराखंड के लिहाज से देखें तो सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. इतने बड़े आंकड़े के बावजूद उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इनमें से कोई भी कंपनी पूरी तरह से इंटरनेट का फायदा नहीं दे पा रही है. खास बात यह है कि उत्तराखंड में कुल ग्रामीण क्षेत्रों में एक के बाद एक ऐसे एरिया हैं जहां इंटरनेट पहुंचता ही नहीं है. हालांकि बड़ी संख्या में लोग ऐसे भी हैं जो इंटरनेट का इस्तेमाल करना ही नहीं जानते. लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि हजारों गांवों तक इंटरनेट अभी भी नहीं पहुंचा है. इसके कारण यहां इंटरनेट का प्रयोग करना मुमकिन ही नहीं है. अब इस बात को आंकड़ों से समझिए.

उत्तराखंड में कुल 16,500 गांव हैं. जिसमें से 700 गांव ऐसे हैं जिन्हें डार्क विलेज के रूप में माना जाता है. यानी यहां किसी भी कंपनी के सिग्नल पहुंचते ही नहीं हैं. उधर कुल करीब 3500 गांव ऐसे हैं जहां 2G के सिग्नल आते हैं. यानी बमुश्किल फोन से बात तो हो सकती है, लेकिन यहां भी इंटरनेट नहीं पहुंचता. राज्य के 40% गांवों में इंटरनेट के लिए सिग्नल नहीं हैं. इसी वजह से लोग इंटरनेट का इस्तेमाल यहां कर ही नहीं सकते.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
क्या हैं चुनौतियां

ऐसा नहीं कि इन हालातों को केंद्र या राज्य सरकार नहीं जानतीं. इसके बावजूद सिस्टम के हालात और तमाम व्यवस्थाओं की कमी के कारण फिलहाल लोगों को इन्हीं हालातों में गांवों में बिना इंटरनेट के रहना पड़ रहा है. हालांकि अच्छी खबर यह है कि अब केंद्र ने ऐसे गांवों के लिए विशेष योजना तैयार कर ली है. इस योजना के तहत उत्तराखंड की नहीं बल्कि देशभर के ऐसे सूचना क्रांति से कटे हुए गांवों के लिए टावर लगाए जाने की तैयारी हो रही है.
पढे़ं- गढ़वाल-कुमाऊं में जल्द लगेंगे इंटरनेट एक्सचेंज, डिजिटल रिवोल्यूशन के लिए अनिल बलूनी की पहल

जानकारी के अनुसार देश भर में कुल 12,000 टावर लगाए जाने हैं. जिसमें से 1202 टावर उत्तराखंड में भी लगाए जाने हैं. हालांकि उत्तराखंड के हिस्से आने वाले टावर की संख्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है. उम्मीद की जा रही है कि इनकी संख्या 1750 तक हो सकती है. ऐसा हुआ तो उत्तराखंड के दुर्गम और बीहड़ क्षेत्रों तक भी इंटरनेट की पहुंच हो सकेगी. दरअसल केंद्र सरकार 2 तरह से इंटरनेट सुविधाओं को बढ़ाने के लिए काम कर रही है. इसमें एक तरफ शहरों में 5G पहुंचाना है तो ऐसे क्षेत्र जहां सिग्नल नहीं है, वहां पर 4G की पहुंच को तैयार करना है. आईटीडीए के निदेशक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमित सिन्हा कहते हैं कि इस साल के अंत तक उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.

No internet in 40 percent villages of Uttarakhand
उत्तराखंड के 40 फीसदी गांवों तक नहीं पहुंचा इंटरनेट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए जरूरी है कि शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों को भी डिजिटल रूप से मजबूत किया जाए. यहां के लोगों को भी तमाम सुविधाओं का लाभ मिल सके.

Last Updated : Oct 19, 2022, 5:14 PM IST
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