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जान जोखिम में डालकर की मरीजों की सेवाएं, मानदेय की मांग पर अड़े इंटर्न डॉक्टर - doctor internship

डॉक्टरों का कहना है कि इंटर्नशिप के दौरान वो रोजाना 6 से 12 घंटे की ड्यूटी करते हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ ₹7500 प्रति माह दिया जाता है. ऐसे में उनका यह मानदेय मजदूरों की दिहाड़ी से भी कम है.

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इंटर्न डॉक्टर
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Published : Jun 19, 2021, 9:25 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में कोरोनाकाल में इंटर्न डॉक्टरों ने विभिन्न अस्पतालों में सेवाएं दी, डेढ़ महीने बाद इन डॉक्टरों को शासन-प्रशासन की ओर से स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा है. लिहाजा, अब इंटर्न डॉक्टरों को आंदोलन करना पड़ रहा है. जबकि, विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे इंटर्न डॉक्टरों का स्टाइपेंड भी बेहद कम है.

दून मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टरों ने उत्तराखंड इंटर्न डॉक्टर ग्रुप के बैनर शनिवार को अपनी मांग को लेकर कॉलेज परिसर में तले प्रदर्शन किया और स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग की. इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि अंतिम बार मानदेय में वृद्धि 10 साल पहले यानी साल 2011 में की गई थी, वर्तमान में राज्य में कार्यरत इंटर्न डॉक्टरों का मासिक मानदेय ₹7500 है, जो पूरे भारत में न्यूनतम है.

मानदेय की मांग पर अड़े इंटर्न डॉक्टर.

ये भी पढ़ेंः गजब: बिना आंखों के डॉक्टर के ही बनाए जा रहे डीएल के लिए मेडिकल

जान जोखिम में डालकर ड्यूटी, इसके बावजूद मानदेय की अनदेखीः इंटर्न डॉक्टर

आईएमए जेडीएन से डॉक्टर शुभम कुड़ियाल के अनुसार सरकार उन्हें 8 घंटे की सेवा के बाद मात्र ₹5000 मानदेय देती है, ऐसे में उनकी रोज की आय ₹180 से भी कम है. उन्होंने कहा कि रोजाना संक्रमण का खतरा उठाते हुए वो कोविड वार्ड में ड्यूटी करते हैं, इसके बावजूद उनका मानदेय नहीं बढ़ाया जा रहा है.

डॉक्टर शुभम कुड़ियाल के अनुसार उत्तराखंड में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से इंटर्नशिप करने के लिए 1.50 लाख रुपये से ज्यादा मैस और हॉस्टल चार्जेस देना पड़ता है, लेकिन उन्हें जो स्टाइपेंड दिया जा रहा है, वह बहुत कम है. उन्होंने बताया कि कोविड संक्रमण के बीच कुंभ में ड्यूटी देने वाले इंटर्न्स को अभी तक मानदेय नहीं दिया गया है, ऐसे में सरकार उनकी समस्याओं को अनदेखा कर रही है.

ये भी पढ़ेंः काशीपुरः महिला डॉक्टर पर जबरन प्राइवेट अस्पताल में रेफर करने का आरोप

23,500 रुपये प्रतिमाह दिया जाए स्टाइपेंडः डॉ. ऋषभ अग्रवाल

वहीं, स्टेट जेडीएन के ज्वाइंट सेक्रेटरी और दून मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉ. ऋषभ अग्रवाल का कहना है कि इंटर्नशिप के दौरान वो 6 से 12 घंटे की ड्यूटी रोजाना करते हैं, लेकिन उसके बदले में उन्हें सिर्फ ₹7500 प्रति माह मिलता है. ऐसे में यह मानदेय मजदूरों की दिहाड़ी से भी कम है. सरकार ने कोरोनाकाल में आश्वासन दिया था कि उन्हें कोविड-19 के अलग से 60 हजार रुपये मिलेंगे, लेकिन अब यह धनराशि भी देने से मना कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि उन्हें 23,500 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड दिया जाए.

बता दें कि राज्य के 3 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 330 इंटर्न डॉक्टर कोरोना में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. इनमें दून मेडिकल कॉलेज के अलावा श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज भी शामिल है. यह इंटर्न कोरोना वार्ड, जिला अस्पताल, कोविड-19 सेंटर, इमरजेंसी, फ्लू ओपीडी, कोविड सैंपलिंग जैसी व्यवस्थाओं को संभालते हैं, लेकिन इनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है.

देहरादूनः उत्तराखंड में कोरोनाकाल में इंटर्न डॉक्टरों ने विभिन्न अस्पतालों में सेवाएं दी, डेढ़ महीने बाद इन डॉक्टरों को शासन-प्रशासन की ओर से स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा है. लिहाजा, अब इंटर्न डॉक्टरों को आंदोलन करना पड़ रहा है. जबकि, विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे इंटर्न डॉक्टरों का स्टाइपेंड भी बेहद कम है.

दून मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टरों ने उत्तराखंड इंटर्न डॉक्टर ग्रुप के बैनर शनिवार को अपनी मांग को लेकर कॉलेज परिसर में तले प्रदर्शन किया और स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग की. इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि अंतिम बार मानदेय में वृद्धि 10 साल पहले यानी साल 2011 में की गई थी, वर्तमान में राज्य में कार्यरत इंटर्न डॉक्टरों का मासिक मानदेय ₹7500 है, जो पूरे भारत में न्यूनतम है.

मानदेय की मांग पर अड़े इंटर्न डॉक्टर.

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जान जोखिम में डालकर ड्यूटी, इसके बावजूद मानदेय की अनदेखीः इंटर्न डॉक्टर

आईएमए जेडीएन से डॉक्टर शुभम कुड़ियाल के अनुसार सरकार उन्हें 8 घंटे की सेवा के बाद मात्र ₹5000 मानदेय देती है, ऐसे में उनकी रोज की आय ₹180 से भी कम है. उन्होंने कहा कि रोजाना संक्रमण का खतरा उठाते हुए वो कोविड वार्ड में ड्यूटी करते हैं, इसके बावजूद उनका मानदेय नहीं बढ़ाया जा रहा है.

डॉक्टर शुभम कुड़ियाल के अनुसार उत्तराखंड में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से इंटर्नशिप करने के लिए 1.50 लाख रुपये से ज्यादा मैस और हॉस्टल चार्जेस देना पड़ता है, लेकिन उन्हें जो स्टाइपेंड दिया जा रहा है, वह बहुत कम है. उन्होंने बताया कि कोविड संक्रमण के बीच कुंभ में ड्यूटी देने वाले इंटर्न्स को अभी तक मानदेय नहीं दिया गया है, ऐसे में सरकार उनकी समस्याओं को अनदेखा कर रही है.

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23,500 रुपये प्रतिमाह दिया जाए स्टाइपेंडः डॉ. ऋषभ अग्रवाल

वहीं, स्टेट जेडीएन के ज्वाइंट सेक्रेटरी और दून मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉ. ऋषभ अग्रवाल का कहना है कि इंटर्नशिप के दौरान वो 6 से 12 घंटे की ड्यूटी रोजाना करते हैं, लेकिन उसके बदले में उन्हें सिर्फ ₹7500 प्रति माह मिलता है. ऐसे में यह मानदेय मजदूरों की दिहाड़ी से भी कम है. सरकार ने कोरोनाकाल में आश्वासन दिया था कि उन्हें कोविड-19 के अलग से 60 हजार रुपये मिलेंगे, लेकिन अब यह धनराशि भी देने से मना कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि उन्हें 23,500 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड दिया जाए.

बता दें कि राज्य के 3 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 330 इंटर्न डॉक्टर कोरोना में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. इनमें दून मेडिकल कॉलेज के अलावा श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज भी शामिल है. यह इंटर्न कोरोना वार्ड, जिला अस्पताल, कोविड-19 सेंटर, इमरजेंसी, फ्लू ओपीडी, कोविड सैंपलिंग जैसी व्यवस्थाओं को संभालते हैं, लेकिन इनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है.

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