देहरादून: उत्तराखंड की जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों को बेहतर इंसान बनाने की दिशा में कारागार विभाग ने एक कोशिश शुरू की है. इसमें गैर-सरकारी संस्थाओं (NGO) की मदद भी ली जा रही है. जेल में सजा काट रहे कैदियों को शारीरिक और मानसिक रूप में स्वस्थ रखने के लिए जेल प्रशासन योग गुरुओं और मनोचिकित्सक के साथ करियर काउंसिलर्स की भी मदद लेगा, ताकि जेल में सजा काटने के बाद कैदी मुख्यधारा में आकर एक अच्छे नागरिक के तौर पर अपना जीवन बीता सकें.
इस नेक इरादे के साथ उत्तराखंड कारागार विभाग ने तमाम गैर सरकारी संस्थाओं (NGO), मनोचिकित्सक और योग गुरुओं सहित करियर काउंसिलर्स से संपर्क किया है. कैदियों का जीवन सुधारने के लिए कई एनजीओ भी आगे आए हैं. उन्होंने जेल प्रशासन को अपना प्रस्ताव भेजा है. कुछ संस्थाओं ने तो औपराचिक रूप से शुरुआत भी कर दी है.
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आईजी जेल एपी अंशुमान के मुताबिक, सजायाफ्ता कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ये पहला प्रयास किया जा रहा है. जेल में ऐसे कई कैदी हैं, जो पढ़े-लिखे होने के साथ तकनीकी रूप से भी हुनरमंद हैं. हालांकि, वह किन्हीं कारणों से अपराध कर जेल पहुंचे हैं.
ऐसे में उत्तराखंड कारागार विभाग प्रदेश के सभी 11 जेलों में व्यवस्थित तरीके से कैदियों को बेहतर इंसान बनाने की दिशा में कुछ कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है. इसमें उनकी मदद के लिए कई गैर सरकारी संस्थाएं भी आगे आई हैं. हालांकि, अभी सभी संस्थाओं की जांच की जाएगी, उसके बाद उन्हें चिन्हित कर आगे का काम दिया जाएगा.
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बता दें कि जेलों में बंद कुछ कैदी इतने हुनरमंद हैं कि उनके हाथों से बने सामानों की बाहर न सिर्फ तारीफ हो रही है, बल्कि लोग बड़ी संख्या में उन्हें खरीद भी रहे हैं. यही कारण है कि जेल प्रशासन अब कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ उन्हें बेहतर इंसान बनाने की कोशिश भी कर रहा है, ताकि सजा काटने के बाद वो समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें.