देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने के बाद पार्टी की अंदरूनी कलह खुलकर सामने गई है. पदाधिकारियों के चुनने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने खुलकर विरोध शुरू कर दिया है. तो वहीं, नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के लेकर कांग्रेस विधायकों में नाराजगी बताई जा रही है. सूत्रों की मानें तो पार्टी करीब 10 विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं. यह सभी विधायक बुधवार को देहरादून में बैठक कर सकते हैं. हालांकि, इसको लेकर कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी विधायकों के दलबदल की बातों को सिरे से नकार रहे हैं.
बता दें, कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की हार के बाद नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के चयन में लंबा समय लिया है. यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष और करन माहरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, जिसके बाद पार्टी में गुटबाजी और भी हावी हो गई है. अब पार्टी की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ रही है. इसके बाद से पार्टी के पदाधिकारियों ने इस्तीफे देने शुरू कर दिए हैं. तो वहीं, नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और उप नेता का चुनाव कुमाऊं से होने के बाद गढ़वाल के कांग्रेसियों में नाराजगी देखने को मिल रही है.
नेता प्रतिपक्ष के रेस में थे ये नेता: बता दें, नेता प्रतिपक्ष पद के लिए प्रीतम सिंह, हरीश धामी और राजेंद्र भंडारी रेस में थे. ऐसे में यशपाल आर्य के चुने जाने के बाद पार्टी के करीब 10 विधायक नाराज बताए जा रहे हैं, जिनके दलबदल की खबरें लगातार चर्चा में है.
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इस संबंध में कांग्रेस संगठन के प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि कांग्रेस एक बड़ी पार्टी है. जहां नाराजगी भी होती है और खुशी भी होती है लेकिन पार्टी को छोड़कर कोई भी नहीं जा रहा है. इसके साथ कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि पूर्व में गढ़वाल से ही प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष थे. इसलिए पार्टी में नाराजगी की कोई बात नहीं है.