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उत्तराखंड-चीन बॉर्डर पर भारत की मजबूत पकड़, देखिए खास रिपोर्ट - Nainital MP Ajay Bhatt

उत्तराखंड-चीन सीमा पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा मजबूत करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों में केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर सीमा की सुरक्षा को लेकर काफी गंभीरता दिखाई.

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बॉर्डर पर मजबूत भारत
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Published : Jul 1, 2020, 2:18 PM IST

Updated : Jul 11, 2020, 5:10 PM IST

देहरादून: चीन-सीमा पर लगातार बढ़ते दबाव के बीच अब केंद्र और राज्य सरकार द्वारा तेजी से सीमा सीमाओं की मजबूती के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. हालांकि, इसकी शुरुआत काफी पहले से की जा चुकी है. उत्तराखंड में किस तरह से पिछले कुछ सालों में केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर चीन-सीमा पर मजबूती की दिशा में काम किया है.

सामरिक दृष्टिकोण से सीमाओं की मजबूती हमेशा किसी भी राष्ट्र की पहली प्राथमिकता होती है. मौजूदा समय में चाइना बॉर्डर पर लगातार बढ़ते दबाव के बीच कड़ी सुरक्षा आवश्यकता बन चुकी है. उत्तराखंड के तीन बड़े जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ चाइना बॉर्डर से जुड़ते हैं. इन तीनों जिलों से सटी चीन सीमा की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए आज से नहीं बल्कि काफी पहले से प्रयास किए जा रहे हैं.

ऑल वेदर रोड और रेलवे लाइन का निर्माण

2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार की सबसे बड़ी योजना चारधाम विकास मार्ग यानी ऑल वेदर रोड योजना थी. हालांकि, शुरुआत में इसे केवल उत्तराखंड के चारधामों से जोड़कर देखा जा रहा था. लेकिन, अब केंद्र सरकार की मंशा स्पष्ट हो चुकी है कि आखिर केंद्र क्यों इन सड़कों पर इतना गंभीर था. इसकी स्पष्ट वजह यह है कि इस योजना में आने वाली सभी सड़कें चाइना बॉर्डर की और जाने वाली सड़कों से जुड़ती है, जो कि पूरी तरह से चाइना बॉर्डर को भारत की तरफ से मजबूत करती हैं.

चीन बॉर्डर पर भारत की मजबूत पकड़.

केंद्र की मंशा तब ज्यादा स्पष्ट हो गई जब हाल ही में 18 जून को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय में महानिदेशक आईके पांडे ने ऑल वेदर रोड का तकरीबन 3 दिनों तक निरीक्षण किया. जिसके बाद उन्होंने बताया कि चीन सीमा की ओर जाने वाली सभी सड़कें ऑल वेदर रोड के अंतर्गत आती हैं. इन सड़कों के आगे बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने बेहतर काम किया है. इस तरह से उत्तराखंड से लगने वाली चीन सीमा तक पहुंचना बेहद आसान और सुगम हो गया है. इसी तरह से ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन भी इसका एक अगला कदम माना जा रहा है.

नेशनल पार्क में सड़कों को मंजूरी

भारत की तरफ से उत्तराखंड राज्य में पड़ने वाले चाइना बॉर्डर पर कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने के लिए हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए सरकारें हर जरूरी निर्णय ले रही हैं. जिसका ताजा उदाहरण सोमवार को हुई उत्तराखंड में वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में देखने को मिला. वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में गंगोत्री नेशनल पार्क जो कि सबसे ज्यादा जैव विविधता वाला पार्क माना जाता है. वहां पर कई हेक्टेयर भूमि बॉर्डर रोड बनाने के लिए वन विभाग द्वारा बीआरओ को स्थानांतरित की गई. यह रोड भारत-तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी को सीमा पर और मजबूती देगी.

चाइना बॉर्डर की तरफ जाने वाली ये तीनों सड़कें उत्तरकाशी जिले में पड़ेंगी. सुमला से थांगला तक 11.85 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए 30.39 हेक्टेयर वन भूमि के स्थानांतरित की गई है. दूसरी सड़क त्रिपाणी से रंगमचगार तक 6.21 किलोमीटर लम्बी सड़क के लिए 11.218 हेक्टेयर वन भूमि को ट्रांसफर किया गया है. वहीं, तीसरी सड़क मेंडी से सांगचोक्ला रोड 17.60 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए 31.76 हेक्टेयर वन भूमि के स्थानांतरण को स्वीकृति दी गई है.

होमस्टे और साहसिक पर्यटन जैसी योजनाओं को बढ़ावा

केंद्र की योजनाओं में ही नहीं बल्कि राज्य की बीते कुछ सालों की तमाम योजनाओं में भी सीमा सुरक्षा की मंशा नजर आती है. बात चाहे सुदूर सीमांत गांव में होमस्टे परियोजना को बढ़ावा देने की हो या फिर साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की. राज्य सरकार द्वारा सीमांत क्षेत्रों में इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा देकर यह साफ स्पष्ट संदेश दिया गया है कि भारत देश की सीमाएं वीरान नहीं हैं.

उत्तराखंड सरकार की इन तमाम योजनाओं के जरिए सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही के साथ-साथ सैन्य गतिविधि पिछले कुछ सालों में बढ़ाई गई है. इससे पड़ोसी मित्र राष्ट्र हों या फिर तल्खियां रखने वाला कोई बड़ा साम्राज्य हर किसी को यह संदेश देने की कोशिश की गई कि भारत अपने देश की 1 इंच जमीन पर भी किसी बाहरी व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं करेगा.

उड़ान योजना के तहत हवाई पट्टियां विकसित

उत्तराखंड से लगी चीन सीमा तक केवल सड़क मार्ग और अन्य योजनाओं के जरिए ही नहीं बल्कि हवाई मार्ग के जरिए भी कनेक्टिविटी बढ़ाई गई है. उत्तराखंड में उड़ान योजना के तहत कई एयरपोर्ट शुरू किए गए हैं. अगर हम सामरिक या फिर युद्ध के नजरिए से देखें तो पिछले कई सालों से उदासीनता का रुख झेल रही उत्तरकाशी में चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी को मौजूदा सरकार ने इस्तेमाल के लायक बनाया है. किसी भी सैन्य कार्रवाई में उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ में पड़ने वाली हवाई पट्टी एक बेहतरीन भूमिका निभा सकती है. इसी तरह से कुमाऊं क्षेत्र में भी पंतनगर और नैनी-सैनी में हवाई पट्टियों को बनाकर सरकार ने बॉर्डर एरिया की कनेक्टिविटी को मजबूत बनाया है.

सांसद अजय भट्ट ने कहा 'नए भारत' का चीन को संदेश

नैनीताल सांसद अजय भट्ट का कहना है कि केंद्र सरकार का यह स्पष्ट संदेश है कि हम अपने देश का एक भी इंच हिस्सा अब किसी गैर राष्ट्र के हाथ में नहीं जाने देंगे. सांसद ने कहा कि भाजपा सरकार में देश की अखंडता और सीमाओं को मजबूत करने का काम किया जा रहा है. जिसे देखते हुए सामरिक दृष्टिकोण से भारत के सभी पड़ोसी राष्ट्र उसका सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत देश का यह इतिहास रहा है कि कभी हमने विस्तार वादी नीति को नहीं अपनाया है. लेकिन, अब यह नया भारत है और यहां पर अपने देश की तरफ आंख उठा कर देखने वाले को बख्शा नहीं जाएगा.

देहरादून: चीन-सीमा पर लगातार बढ़ते दबाव के बीच अब केंद्र और राज्य सरकार द्वारा तेजी से सीमा सीमाओं की मजबूती के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. हालांकि, इसकी शुरुआत काफी पहले से की जा चुकी है. उत्तराखंड में किस तरह से पिछले कुछ सालों में केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर चीन-सीमा पर मजबूती की दिशा में काम किया है.

सामरिक दृष्टिकोण से सीमाओं की मजबूती हमेशा किसी भी राष्ट्र की पहली प्राथमिकता होती है. मौजूदा समय में चाइना बॉर्डर पर लगातार बढ़ते दबाव के बीच कड़ी सुरक्षा आवश्यकता बन चुकी है. उत्तराखंड के तीन बड़े जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ चाइना बॉर्डर से जुड़ते हैं. इन तीनों जिलों से सटी चीन सीमा की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए आज से नहीं बल्कि काफी पहले से प्रयास किए जा रहे हैं.

ऑल वेदर रोड और रेलवे लाइन का निर्माण

2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार की सबसे बड़ी योजना चारधाम विकास मार्ग यानी ऑल वेदर रोड योजना थी. हालांकि, शुरुआत में इसे केवल उत्तराखंड के चारधामों से जोड़कर देखा जा रहा था. लेकिन, अब केंद्र सरकार की मंशा स्पष्ट हो चुकी है कि आखिर केंद्र क्यों इन सड़कों पर इतना गंभीर था. इसकी स्पष्ट वजह यह है कि इस योजना में आने वाली सभी सड़कें चाइना बॉर्डर की और जाने वाली सड़कों से जुड़ती है, जो कि पूरी तरह से चाइना बॉर्डर को भारत की तरफ से मजबूत करती हैं.

चीन बॉर्डर पर भारत की मजबूत पकड़.

केंद्र की मंशा तब ज्यादा स्पष्ट हो गई जब हाल ही में 18 जून को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय में महानिदेशक आईके पांडे ने ऑल वेदर रोड का तकरीबन 3 दिनों तक निरीक्षण किया. जिसके बाद उन्होंने बताया कि चीन सीमा की ओर जाने वाली सभी सड़कें ऑल वेदर रोड के अंतर्गत आती हैं. इन सड़कों के आगे बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने बेहतर काम किया है. इस तरह से उत्तराखंड से लगने वाली चीन सीमा तक पहुंचना बेहद आसान और सुगम हो गया है. इसी तरह से ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन भी इसका एक अगला कदम माना जा रहा है.

नेशनल पार्क में सड़कों को मंजूरी

भारत की तरफ से उत्तराखंड राज्य में पड़ने वाले चाइना बॉर्डर पर कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने के लिए हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए सरकारें हर जरूरी निर्णय ले रही हैं. जिसका ताजा उदाहरण सोमवार को हुई उत्तराखंड में वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में देखने को मिला. वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में गंगोत्री नेशनल पार्क जो कि सबसे ज्यादा जैव विविधता वाला पार्क माना जाता है. वहां पर कई हेक्टेयर भूमि बॉर्डर रोड बनाने के लिए वन विभाग द्वारा बीआरओ को स्थानांतरित की गई. यह रोड भारत-तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी को सीमा पर और मजबूती देगी.

चाइना बॉर्डर की तरफ जाने वाली ये तीनों सड़कें उत्तरकाशी जिले में पड़ेंगी. सुमला से थांगला तक 11.85 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए 30.39 हेक्टेयर वन भूमि के स्थानांतरित की गई है. दूसरी सड़क त्रिपाणी से रंगमचगार तक 6.21 किलोमीटर लम्बी सड़क के लिए 11.218 हेक्टेयर वन भूमि को ट्रांसफर किया गया है. वहीं, तीसरी सड़क मेंडी से सांगचोक्ला रोड 17.60 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए 31.76 हेक्टेयर वन भूमि के स्थानांतरण को स्वीकृति दी गई है.

होमस्टे और साहसिक पर्यटन जैसी योजनाओं को बढ़ावा

केंद्र की योजनाओं में ही नहीं बल्कि राज्य की बीते कुछ सालों की तमाम योजनाओं में भी सीमा सुरक्षा की मंशा नजर आती है. बात चाहे सुदूर सीमांत गांव में होमस्टे परियोजना को बढ़ावा देने की हो या फिर साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की. राज्य सरकार द्वारा सीमांत क्षेत्रों में इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा देकर यह साफ स्पष्ट संदेश दिया गया है कि भारत देश की सीमाएं वीरान नहीं हैं.

उत्तराखंड सरकार की इन तमाम योजनाओं के जरिए सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही के साथ-साथ सैन्य गतिविधि पिछले कुछ सालों में बढ़ाई गई है. इससे पड़ोसी मित्र राष्ट्र हों या फिर तल्खियां रखने वाला कोई बड़ा साम्राज्य हर किसी को यह संदेश देने की कोशिश की गई कि भारत अपने देश की 1 इंच जमीन पर भी किसी बाहरी व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं करेगा.

उड़ान योजना के तहत हवाई पट्टियां विकसित

उत्तराखंड से लगी चीन सीमा तक केवल सड़क मार्ग और अन्य योजनाओं के जरिए ही नहीं बल्कि हवाई मार्ग के जरिए भी कनेक्टिविटी बढ़ाई गई है. उत्तराखंड में उड़ान योजना के तहत कई एयरपोर्ट शुरू किए गए हैं. अगर हम सामरिक या फिर युद्ध के नजरिए से देखें तो पिछले कई सालों से उदासीनता का रुख झेल रही उत्तरकाशी में चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी को मौजूदा सरकार ने इस्तेमाल के लायक बनाया है. किसी भी सैन्य कार्रवाई में उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ में पड़ने वाली हवाई पट्टी एक बेहतरीन भूमिका निभा सकती है. इसी तरह से कुमाऊं क्षेत्र में भी पंतनगर और नैनी-सैनी में हवाई पट्टियों को बनाकर सरकार ने बॉर्डर एरिया की कनेक्टिविटी को मजबूत बनाया है.

सांसद अजय भट्ट ने कहा 'नए भारत' का चीन को संदेश

नैनीताल सांसद अजय भट्ट का कहना है कि केंद्र सरकार का यह स्पष्ट संदेश है कि हम अपने देश का एक भी इंच हिस्सा अब किसी गैर राष्ट्र के हाथ में नहीं जाने देंगे. सांसद ने कहा कि भाजपा सरकार में देश की अखंडता और सीमाओं को मजबूत करने का काम किया जा रहा है. जिसे देखते हुए सामरिक दृष्टिकोण से भारत के सभी पड़ोसी राष्ट्र उसका सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत देश का यह इतिहास रहा है कि कभी हमने विस्तार वादी नीति को नहीं अपनाया है. लेकिन, अब यह नया भारत है और यहां पर अपने देश की तरफ आंख उठा कर देखने वाले को बख्शा नहीं जाएगा.

Last Updated : Jul 11, 2020, 5:10 PM IST
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